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Malmas 2021: 16 दिसंबर की रात से शुरू होंगे मलमास, एक महीने तक मांगलिक कार्यों पर विराम

16 दिसंबर की रात से मलमास शुरू हो जाएगा. इसके साथ ही मांगलिक कार्यों एक माह तक नहीं किए जाएंगे. मान्यता है कि धनु राशि में गोचर करते समय सूर्य की शक्ति क्षीण और रश्मियां कमजोर हो जाती हैं. इसलिए शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं.

शुरू होंगे मलमास
शुरू होंगे मलमास
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Published : Dec 14, 2021, 4:19 PM IST

जयपुर. सौरमंडल के राजा सूर्यदेव 16 दिसंबर की रात 3:28 बजे वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करेंगे. इसलिए इसे धनु संक्रांति भी कहते हैं. इस दिन से मलमास या खरमास शुरू हो जाएगा और मांगलिक कार्यों पर एक महीने के लिए विराम लग जाएगा.

अगले साल 14 जनवरी को दोपहर 2:21 बजे सूर्य मकर राशि में गोचर करेंगे. इस दिन सूर्यदेव उत्तरायण भी होंगे. मान्यता है कि धनु राशि में गोचर करते समय सूर्य की शक्ति क्षीण और रश्मियां कमजोर हो जाती हैं. इसलिए इस एक महीने में शादी, सगाई, नया वाहन या घर खरीदने सहित अन्य सभी शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं.

पढ़ें: Panchang 14 December : जानें शुभ मुहूर्त, तिथि और ग्रह-नक्षत्र की चाल, आज बन रहा ये संयोग

भगवान सूर्य की अलग-अलग समय पर उपासना का मिलता है अलग-अलग फल

उत्तम स्वास्थ्य, शिक्षा, संतान और यश की प्राप्ति, सामाजिक प्रतिष्ठा, प्रतियोगिता में सफलता, व्यापार में कामयाबी और राज्यपद की लालसा रखने वाले बेरोजगार नवयुवकों को सुबह के समय लाल सूर्य की आराधना करनी चाहिए. जिन जातकों को बार-बार चोट लगती हो, शरीर में कैल्शियम की कमी हो, दुर्घटना के शिकार अधिक होते हों, अपनी हत्या का भय हो उन्हें दोपहर में अभिजीत मुहूर्त में सूर्य की आराधना करनी चाहिए. शाम के समय सूर्य की आराधना करने से जातक को जीवनपर्यंत अन्न-जल एवं भौतिक वस्तुओं का पूर्णसुख मिलता है. इनकी आराधना करने अथवा जल द्वारा अर्घ्य देने से सभी दोष नष्ट हो जाते हैं.

जयपुर. सौरमंडल के राजा सूर्यदेव 16 दिसंबर की रात 3:28 बजे वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करेंगे. इसलिए इसे धनु संक्रांति भी कहते हैं. इस दिन से मलमास या खरमास शुरू हो जाएगा और मांगलिक कार्यों पर एक महीने के लिए विराम लग जाएगा.

अगले साल 14 जनवरी को दोपहर 2:21 बजे सूर्य मकर राशि में गोचर करेंगे. इस दिन सूर्यदेव उत्तरायण भी होंगे. मान्यता है कि धनु राशि में गोचर करते समय सूर्य की शक्ति क्षीण और रश्मियां कमजोर हो जाती हैं. इसलिए इस एक महीने में शादी, सगाई, नया वाहन या घर खरीदने सहित अन्य सभी शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं.

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भगवान सूर्य की अलग-अलग समय पर उपासना का मिलता है अलग-अलग फल

उत्तम स्वास्थ्य, शिक्षा, संतान और यश की प्राप्ति, सामाजिक प्रतिष्ठा, प्रतियोगिता में सफलता, व्यापार में कामयाबी और राज्यपद की लालसा रखने वाले बेरोजगार नवयुवकों को सुबह के समय लाल सूर्य की आराधना करनी चाहिए. जिन जातकों को बार-बार चोट लगती हो, शरीर में कैल्शियम की कमी हो, दुर्घटना के शिकार अधिक होते हों, अपनी हत्या का भय हो उन्हें दोपहर में अभिजीत मुहूर्त में सूर्य की आराधना करनी चाहिए. शाम के समय सूर्य की आराधना करने से जातक को जीवनपर्यंत अन्न-जल एवं भौतिक वस्तुओं का पूर्णसुख मिलता है. इनकी आराधना करने अथवा जल द्वारा अर्घ्य देने से सभी दोष नष्ट हो जाते हैं.

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