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Jaipur News: मानसून सिर पर, सड़कों पर गड्ढे...कमिश्नर ने मरम्मत को लेकर किया ये दावा, नालों की सफाई जारी

मानसून में हर साल जयपुर में खराब ड्रेनेज सिस्टम की वजह से सड़कें नदियों में तब्दील हो जाती हैं. लेकिन इस बार निगम प्रशासन का दावा है कि छोटे नालों की सफाई के साथ-साथ बड़े नालों की सफाई का भी टेंडर कर सफाई कराई जा रही है ताकि बारिश के दिनों में हालात न बिगड़े. पढ़िए पूरी खबर...

Road Condition in Jaipur
सड़कों पर गड्ढे
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Published : Jun 7, 2022, 7:48 AM IST

Updated : Jun 8, 2022, 9:53 AM IST

जयपुर. मानसून में हर साल राजधानी की एक ही कहानी देखने को मिलती है. खराब ड्रेनेज सिस्टम (poor drainage system in jaipur) की वजह से सड़कें नदियों में तब्दील हो जाती हैं. इन सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे वाहन चालकों और राहगीरों की परेशानी का सबब बनते हुए दुर्घटनाओं को न्योता देते हैं. हालांकि, इस बार निगम प्रशासन का दावा है कि छोटे नालों की सफाई के साथ-साथ बड़े नालों की सफाई का भी टेंडर कर सफाई कराई जा रही है ताकि बारिश के दिनों में हालात न बिगड़े. सड़कों के पैच वर्क का काम भी शुरू कर दिया गया है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती परकोटा क्षेत्र में है. जहां काफी तादाद में पानी भी भरता है और यहीं स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट के तहत नए नाले डालने का काम भी चल रहा है. इस प्रोजेक्ट की धीमी रफ्तार ने स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ा दी है.

राजधानी के परकोटे की सड़कें खस्ताहाल हो गई है. कहीं सड़क पर गड्ढे नजर आते हैं तो कहीं गड्ढों के बीच सड़क ढूंढनी पड़ती है. विकास की चुगली करती हुई सड़कें लंबे समय से अपनी मरम्मत की बाट जोह रही है. इन्हीं सड़कों से आए दिन पार्षदों, निगम के अधिकारियों यहां तक की मेयर और विधायकों के वाहन भी गुजरते हैं. बावजूद इसके सड़कों की सुध नहीं ली जाती. आलम ये है कि सड़कों पर हो रहे गड्ढों से गिरकर आए दिन कोई न कोई चोटिल हो जाता है. इस संबंध में जब हेरिटेज निगम का रुख किया तो सामने आया कि निगम से जुड़े ठेकेदारों के बकाया बिल निकाले नहीं जा रहे. ठेकेदार हड़ताल पर तो नहीं लेकिन काम करने में भी रूचि नहीं दिखा रहे. वहीं स्मार्ट सिटी के छोटी चौपड़ से ब्रह्मपुरी क्षेत्र में चल रहे ड्रेनेज सिस्टम सुधारने के प्रोजेक्ट वर्क की धीमी रफ्तार स्थानीय लोगों की परेशानी का सबब बनी हुई है. कारण साफ है इस क्षेत्र में पल भर की बारिश में ही जलभराव की स्थिति पैदा हो जाती है और वर्तमान में सड़क पूरी तरह टूटी हुई है और नाले भी पूरी तरह डाले नहीं जा सके हैं.

पढ़ें- मंडावर नगर पालिका को लेकर संशोधित अधिसूचना जारी, अब पाखर, जैतपुर, करणबास और सायपुर को भी किया शामिल

निगम कमिश्नर का दावा- हालांकि, स्मार्ट सिटी सीईओ और हेरिटेज निगम के कमिश्नर अवधेश मीणा का दावा है कि मुख्य मार्गों पर सड़क मरम्मत का काम मानसून से पहले पूरा करा लिया जाएगा. मुख्य सड़कों और बाजारों का काम स्मार्ट सिटी के तहत किया जा रहा है और इंटरनल बाजार हेरिटेज निगम से किया जा रहा है. वहीं, ग्रेटर नगर निगम कमिश्नर महेंद्र सोनी ने कहा कि मानसून से पहले नई सड़कें बनाना उचित नहीं होता है. फिर भी सड़कों पर यदि कोई वाहनों को दुर्घटनाग्रस्त करने वाले गड्ढे हैं, तो उन्हें निश्चित रूप से प्राथमिकता पर अगले 10 दिन में एक अभियान के रूप में चलाते हुए मरम्मत की जाएगी. कोई मैनहोल खुला न रहे, इस तरह की सावधानी भी बरती जाएगी.

बहरहाल, संसाधनों को देखते हुए ये मॉडल बनाया गया है कि जयपुर शहर में परकोटा एरिया में तो हेरिटेज निगम काम करेगा. लेकिन परकोटे से बाहर नगर निगम ग्रेटर का क्षेत्र हो या नगर निगम हेरिटेज का 60 फीट और उससे ज्यादा चौड़ाई की सड़कों की जिम्मेदारी जेडीए को दी गई है. करीब 20 करोड़ की लागत से फिलहाल चिह्नित सड़कों का नवीनीकरण, सुदृढ़ीकरण और मरम्मत का काम किया जा रहा है, लेकिन असली चुनौती इस काम को मानसून से पहले पूरा करने की है.

पढ़ें- Prashasan Shehron ke Sang Abhiyan: एक साइट प्लान में एक व्यक्ति को एक भूखंड का पट्टा जारी करने के नियम की उड़ी धज्जियां

नालों की सफाई जारी- वहीं, मानसून से पहले शहर के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने के लिए करीब एक हजार छोटे-बड़े नालों की सफाई की जा रही है. हालांकि जो काम हर साल फरवरी-मार्च महीने में किया जाता था, उसे इस बार करीब ढाई महीने की देरी से शुरू किया गया है. वहीं, छोटे नालों के साथ-साथ जिन बड़े नालों की सफाई का काम अब तक निगम प्रशासन अपने स्तर पर करता आया है, उनके लिए भी इस बार अलग टेंडर किया गया है. शहर में बरसाती नाले कचरे और गंदगी से अटे पड़े हैं. इन नालों में कचरा और गाद जमा होने से ड्रेनेज सिस्टम अवरुद्ध हो गया है.

पढ़ें- दो जून की रोटी के लिए जिंदगी दांव पर लगाकर नालों की सफाई कर रहे कर्मचारी...न सुरक्षा उपकरण और न मेडिकल जांच की सुविधा

एक महीने में 973 नालों की सफाई का लक्ष्य- दोनों निगम में कई जगह लोग इन गंदे नालों की सफाई न होने की वजह से परेशान है. हर साल कई शिकायतें करने के बाद भी निगम प्रशासन कुछ नालों की तरफ झांकता तक नहीं. ये नाले गंदगी के साथ-साथ आवारा पशुओं का घर भी बन चुके हैं और कहीं ना कहीं बीमारियों को न्यौता भी दे रहे हैं. हालांकि, दोनों निगम ने एक महीने में राजधानी के सभी 973 नालों की सफाई का लक्ष्य निर्धारित किया है. मानसून से पहले हेरिटेज और ग्रेटर निगम ने जोनवार टेंडर किए हैं ताकि नालों का कचरा और मलबा निकाल कर पानी की सुगम निकासी की जा सके.

फैक्ट फाइल-

  • हेरिटेज नगर निगम में 364 नाले
  • ग्रेटर नगर निगम में 609 नाले
  • छोटे नालों की चौड़ाई 5 से 6 फुट
  • छोटे नालों की लंबाई 6 से 7 फुट
  • शहर में 14 बड़े नाले
  • बड़े नालों की गहराई 10 से 20 फीट
  • बड़े नालों की लंबाई 28 से 30 किलोमीटर

नालों की सफाई को लेकर में ग्रेटर निगम कमिश्नर महेंद्र सोनी ने कहा कि नालों की सफाई के लिए जोन वाइज अलग-अलग टेंडर किए हैं और इस बार विशेष कर बड़े नाले में करतारपुरा नाले को चुनकर उसकी सफाई भी की जाएगी. वहीं, हेरिटेज निगम कमिश्नर अवधेश मीणा ने बताया कि छोटे नालों की सफाई का काम शुरू हो चुका है. जहां तक बड़े नालों की बात है, उन्हें अब तक निगम के संसाधनों से साफ करते आए हैं. लेकिन इस बार उनके लिए भी अलग टेंडर किया गया है.

जयपुर. मानसून में हर साल राजधानी की एक ही कहानी देखने को मिलती है. खराब ड्रेनेज सिस्टम (poor drainage system in jaipur) की वजह से सड़कें नदियों में तब्दील हो जाती हैं. इन सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे वाहन चालकों और राहगीरों की परेशानी का सबब बनते हुए दुर्घटनाओं को न्योता देते हैं. हालांकि, इस बार निगम प्रशासन का दावा है कि छोटे नालों की सफाई के साथ-साथ बड़े नालों की सफाई का भी टेंडर कर सफाई कराई जा रही है ताकि बारिश के दिनों में हालात न बिगड़े. सड़कों के पैच वर्क का काम भी शुरू कर दिया गया है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती परकोटा क्षेत्र में है. जहां काफी तादाद में पानी भी भरता है और यहीं स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट के तहत नए नाले डालने का काम भी चल रहा है. इस प्रोजेक्ट की धीमी रफ्तार ने स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ा दी है.

राजधानी के परकोटे की सड़कें खस्ताहाल हो गई है. कहीं सड़क पर गड्ढे नजर आते हैं तो कहीं गड्ढों के बीच सड़क ढूंढनी पड़ती है. विकास की चुगली करती हुई सड़कें लंबे समय से अपनी मरम्मत की बाट जोह रही है. इन्हीं सड़कों से आए दिन पार्षदों, निगम के अधिकारियों यहां तक की मेयर और विधायकों के वाहन भी गुजरते हैं. बावजूद इसके सड़कों की सुध नहीं ली जाती. आलम ये है कि सड़कों पर हो रहे गड्ढों से गिरकर आए दिन कोई न कोई चोटिल हो जाता है. इस संबंध में जब हेरिटेज निगम का रुख किया तो सामने आया कि निगम से जुड़े ठेकेदारों के बकाया बिल निकाले नहीं जा रहे. ठेकेदार हड़ताल पर तो नहीं लेकिन काम करने में भी रूचि नहीं दिखा रहे. वहीं स्मार्ट सिटी के छोटी चौपड़ से ब्रह्मपुरी क्षेत्र में चल रहे ड्रेनेज सिस्टम सुधारने के प्रोजेक्ट वर्क की धीमी रफ्तार स्थानीय लोगों की परेशानी का सबब बनी हुई है. कारण साफ है इस क्षेत्र में पल भर की बारिश में ही जलभराव की स्थिति पैदा हो जाती है और वर्तमान में सड़क पूरी तरह टूटी हुई है और नाले भी पूरी तरह डाले नहीं जा सके हैं.

पढ़ें- मंडावर नगर पालिका को लेकर संशोधित अधिसूचना जारी, अब पाखर, जैतपुर, करणबास और सायपुर को भी किया शामिल

निगम कमिश्नर का दावा- हालांकि, स्मार्ट सिटी सीईओ और हेरिटेज निगम के कमिश्नर अवधेश मीणा का दावा है कि मुख्य मार्गों पर सड़क मरम्मत का काम मानसून से पहले पूरा करा लिया जाएगा. मुख्य सड़कों और बाजारों का काम स्मार्ट सिटी के तहत किया जा रहा है और इंटरनल बाजार हेरिटेज निगम से किया जा रहा है. वहीं, ग्रेटर नगर निगम कमिश्नर महेंद्र सोनी ने कहा कि मानसून से पहले नई सड़कें बनाना उचित नहीं होता है. फिर भी सड़कों पर यदि कोई वाहनों को दुर्घटनाग्रस्त करने वाले गड्ढे हैं, तो उन्हें निश्चित रूप से प्राथमिकता पर अगले 10 दिन में एक अभियान के रूप में चलाते हुए मरम्मत की जाएगी. कोई मैनहोल खुला न रहे, इस तरह की सावधानी भी बरती जाएगी.

बहरहाल, संसाधनों को देखते हुए ये मॉडल बनाया गया है कि जयपुर शहर में परकोटा एरिया में तो हेरिटेज निगम काम करेगा. लेकिन परकोटे से बाहर नगर निगम ग्रेटर का क्षेत्र हो या नगर निगम हेरिटेज का 60 फीट और उससे ज्यादा चौड़ाई की सड़कों की जिम्मेदारी जेडीए को दी गई है. करीब 20 करोड़ की लागत से फिलहाल चिह्नित सड़कों का नवीनीकरण, सुदृढ़ीकरण और मरम्मत का काम किया जा रहा है, लेकिन असली चुनौती इस काम को मानसून से पहले पूरा करने की है.

पढ़ें- Prashasan Shehron ke Sang Abhiyan: एक साइट प्लान में एक व्यक्ति को एक भूखंड का पट्टा जारी करने के नियम की उड़ी धज्जियां

नालों की सफाई जारी- वहीं, मानसून से पहले शहर के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने के लिए करीब एक हजार छोटे-बड़े नालों की सफाई की जा रही है. हालांकि जो काम हर साल फरवरी-मार्च महीने में किया जाता था, उसे इस बार करीब ढाई महीने की देरी से शुरू किया गया है. वहीं, छोटे नालों के साथ-साथ जिन बड़े नालों की सफाई का काम अब तक निगम प्रशासन अपने स्तर पर करता आया है, उनके लिए भी इस बार अलग टेंडर किया गया है. शहर में बरसाती नाले कचरे और गंदगी से अटे पड़े हैं. इन नालों में कचरा और गाद जमा होने से ड्रेनेज सिस्टम अवरुद्ध हो गया है.

पढ़ें- दो जून की रोटी के लिए जिंदगी दांव पर लगाकर नालों की सफाई कर रहे कर्मचारी...न सुरक्षा उपकरण और न मेडिकल जांच की सुविधा

एक महीने में 973 नालों की सफाई का लक्ष्य- दोनों निगम में कई जगह लोग इन गंदे नालों की सफाई न होने की वजह से परेशान है. हर साल कई शिकायतें करने के बाद भी निगम प्रशासन कुछ नालों की तरफ झांकता तक नहीं. ये नाले गंदगी के साथ-साथ आवारा पशुओं का घर भी बन चुके हैं और कहीं ना कहीं बीमारियों को न्यौता भी दे रहे हैं. हालांकि, दोनों निगम ने एक महीने में राजधानी के सभी 973 नालों की सफाई का लक्ष्य निर्धारित किया है. मानसून से पहले हेरिटेज और ग्रेटर निगम ने जोनवार टेंडर किए हैं ताकि नालों का कचरा और मलबा निकाल कर पानी की सुगम निकासी की जा सके.

फैक्ट फाइल-

  • हेरिटेज नगर निगम में 364 नाले
  • ग्रेटर नगर निगम में 609 नाले
  • छोटे नालों की चौड़ाई 5 से 6 फुट
  • छोटे नालों की लंबाई 6 से 7 फुट
  • शहर में 14 बड़े नाले
  • बड़े नालों की गहराई 10 से 20 फीट
  • बड़े नालों की लंबाई 28 से 30 किलोमीटर

नालों की सफाई को लेकर में ग्रेटर निगम कमिश्नर महेंद्र सोनी ने कहा कि नालों की सफाई के लिए जोन वाइज अलग-अलग टेंडर किए हैं और इस बार विशेष कर बड़े नाले में करतारपुरा नाले को चुनकर उसकी सफाई भी की जाएगी. वहीं, हेरिटेज निगम कमिश्नर अवधेश मीणा ने बताया कि छोटे नालों की सफाई का काम शुरू हो चुका है. जहां तक बड़े नालों की बात है, उन्हें अब तक निगम के संसाधनों से साफ करते आए हैं. लेकिन इस बार उनके लिए भी अलग टेंडर किया गया है.

Last Updated : Jun 8, 2022, 9:53 AM IST
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