ETV Bharat / city

SPECIAL : ग्रामीण अंचल की महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा 'बापू का चरखा'...फैशन बन रही खादी

author img

By

Published : Mar 30, 2021, 5:50 PM IST

बापू के स्वदेशी अभियान से प्रभावित होकर जयपुर के चौमूं में अंबेडकर विकास समिति ग्रामीण अंचल की महिलाओं को चरखे से जोड़ रही है. महिलाएं चरखा चलाकर सूत तैयार करती हैं. जिनसे खादी के वस्त्र बनाए जा रहे हैं. यानी का बापू का चरखा आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कारगर साबित हो रहा है.

Jaipur Khadi Village Industries,  Mahatma Gandhi's spinning wheel,  Jaipur Chaomu Ambedkar vikas samiti
आत्मनिर्भरता का चरखा

जयपुर. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जिस चरखे से विदेशी हुकूमतों की चूलें हिला दी थी. वो चरखा आज ग्रामीण अंचल की महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा है. कभी स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक रही खादी अब नारी शक्ति के घर का खर्च भी चला रही है.

राजस्थान में चल रहा आत्मनिर्भरता का चरखा

समय के साथ-साथ परिवर्तन के इस दौर में गांव की महिलाएं घर में रहते हुए भी कुछ समय निकालकर खादी की फैशनेबल ड्रेसेज बनाकर अलग से आमदनी कमा रही हैं. इससे प्रधानमंत्री के वोकल फ़ॉर लोकल के ध्येय को भी मजबूती मिल रही है.

Jaipur Khadi Village Industries,  Mahatma Gandhi's spinning wheel,  Jaipur Chaomu Ambedkar vikas samiti Jaipur Khadi Village Industries,  Mahatma Gandhi's spinning wheel,  Jaipur Chaomu Ambedkar vikas samiti
बापू का सपना साकार

जयपुर के चौमू गांव में अंबेडकर विकास समिति सैंकड़ों ग्रामीण महिलाओं को सशक्त कर रहा है. खादी उत्पाद बनाने वाली गुलाब देवी बताती है कि वे पिछले 10 साल से इस काम मे जुटी हुई हैं. जिसमें चरखे के अलावा हर तरह की मशीनों पर धागे से लेकर बुनाई तक पूरा काम कर लेती हैं. इस काम से 1 किलो माल निकलने पर उन्हें 400 रुपये मेहनताना मिलता है.

पढ़ें- Special: खादी पड़ेगी जेब पर भारी...गहलोत सरकार ने घटा दी रियायतें

खादी को फैशनेबल ड्रेसेज में बदलने वाली प्रोडेक्ट डिजाइनर डॉ संगीता वर्मा ने बताया कि उनकी संस्था की स्थापना 1982 में हुई. 2007 में खादी का सर्टिफिकेट मिला. तब से खादी का रोजगार शुरू किया. शुरुआत में बहुत कम कतिनें जुड़ीं. लेकिन आज 107 कतिनों और 24 बुनकर जुड़े हुए हैं. ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार को लेकर इस संस्था की स्थापना की गई थी. यहां महिलाएं जो कपड़ा बनाती हैं वो खादी भंडारों, एग्जीबिशन के माध्यम से बेचा जाता है. उनका ये प्रोडक्ट राजस्थान के अलावा देश-विदेश में भी जाता है.

Jaipur Khadi Village Industries,  Mahatma Gandhi's spinning wheel,  Jaipur Chaomu Ambedkar vikas samiti
अंबेडकर विकास समिति दे रही महिलाओं को संबल

युवाओं को खादी से जोड़ने के लिए लेटेस्ट फैशनबल डिजाइन तैयार की जा रही है. जिसमें साड़ियां, पेंट-शर्ट, कोट, टॉपर, वन पीस तक तैयार हो रहे हैं. ताकि युवा वर्ग भी खादी को ज्यादा से ज्यादा पहन सके. संगीता कहती हैं कि खादी के कपड़े पहनने के बाद जो फीलिंग आती है वो अपने आप में एक अलग ही सुकून देता है.

Jaipur Khadi Village Industries,  Mahatma Gandhi's spinning wheel,  Jaipur Chaomu Ambedkar vikas samiti
राजस्थान में खादी रोजगार से जुड़ रही महिलाएं

पढ़ें- खादी को समर्पित खानदान, माता-पिता के बाद पांच बहनों ने भी पकड़ी गांधी दर्शन की राह

संस्था सचिव रामजीलाल ने बताया कि महिलाओं को यहां ट्रेडिशनल और नॉर्मल चरखे से सूत कताई का काम करवाते है. इसमें दरियां, रजाई, शीट कवर, बैड शीट जैसे करीब 70 आइटम तैयार किए जाते हैं. इसके लिए संस्था से 250 महिलाएं रजिस्टर्ड हैं, उसमें से 85 महिलाएं कार्यरत हैं. जिसमें करीब 30 महिलाएं रोजाना चरखे पर काम करती हैं. यहां 50 लाख की लागत तक का कपड़ा तैयार किया जाता है. जिनको राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार की ओर से लगने वाली खादी प्रदर्शनियों में शो किया जाता है.

Jaipur Khadi Village Industries,  Mahatma Gandhi's spinning wheel,  Jaipur Chaomu Ambedkar vikas samiti
चरखा चलाकर घर पाल रही हैं महिलाएं

संस्था से जुड़ी इन महिलाओं को देख लगता है कि बदलते वक्त के साथ अब महिलाओं की स्थिति भी बदल रही है. किसी जमाने में चूल्हा-चौका तक सीमित रहने वाली महिलाएं आधुनिक समाज में अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन कर रही हैं. अब जरूरत है खादी ग्रामोद्योग और राज्य सरकार को इनकी सुध लेने की.

जयपुर. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जिस चरखे से विदेशी हुकूमतों की चूलें हिला दी थी. वो चरखा आज ग्रामीण अंचल की महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा है. कभी स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक रही खादी अब नारी शक्ति के घर का खर्च भी चला रही है.

राजस्थान में चल रहा आत्मनिर्भरता का चरखा

समय के साथ-साथ परिवर्तन के इस दौर में गांव की महिलाएं घर में रहते हुए भी कुछ समय निकालकर खादी की फैशनेबल ड्रेसेज बनाकर अलग से आमदनी कमा रही हैं. इससे प्रधानमंत्री के वोकल फ़ॉर लोकल के ध्येय को भी मजबूती मिल रही है.

Jaipur Khadi Village Industries,  Mahatma Gandhi's spinning wheel,  Jaipur Chaomu Ambedkar vikas samiti Jaipur Khadi Village Industries,  Mahatma Gandhi's spinning wheel,  Jaipur Chaomu Ambedkar vikas samiti
बापू का सपना साकार

जयपुर के चौमू गांव में अंबेडकर विकास समिति सैंकड़ों ग्रामीण महिलाओं को सशक्त कर रहा है. खादी उत्पाद बनाने वाली गुलाब देवी बताती है कि वे पिछले 10 साल से इस काम मे जुटी हुई हैं. जिसमें चरखे के अलावा हर तरह की मशीनों पर धागे से लेकर बुनाई तक पूरा काम कर लेती हैं. इस काम से 1 किलो माल निकलने पर उन्हें 400 रुपये मेहनताना मिलता है.

पढ़ें- Special: खादी पड़ेगी जेब पर भारी...गहलोत सरकार ने घटा दी रियायतें

खादी को फैशनेबल ड्रेसेज में बदलने वाली प्रोडेक्ट डिजाइनर डॉ संगीता वर्मा ने बताया कि उनकी संस्था की स्थापना 1982 में हुई. 2007 में खादी का सर्टिफिकेट मिला. तब से खादी का रोजगार शुरू किया. शुरुआत में बहुत कम कतिनें जुड़ीं. लेकिन आज 107 कतिनों और 24 बुनकर जुड़े हुए हैं. ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार को लेकर इस संस्था की स्थापना की गई थी. यहां महिलाएं जो कपड़ा बनाती हैं वो खादी भंडारों, एग्जीबिशन के माध्यम से बेचा जाता है. उनका ये प्रोडक्ट राजस्थान के अलावा देश-विदेश में भी जाता है.

Jaipur Khadi Village Industries,  Mahatma Gandhi's spinning wheel,  Jaipur Chaomu Ambedkar vikas samiti
अंबेडकर विकास समिति दे रही महिलाओं को संबल

युवाओं को खादी से जोड़ने के लिए लेटेस्ट फैशनबल डिजाइन तैयार की जा रही है. जिसमें साड़ियां, पेंट-शर्ट, कोट, टॉपर, वन पीस तक तैयार हो रहे हैं. ताकि युवा वर्ग भी खादी को ज्यादा से ज्यादा पहन सके. संगीता कहती हैं कि खादी के कपड़े पहनने के बाद जो फीलिंग आती है वो अपने आप में एक अलग ही सुकून देता है.

Jaipur Khadi Village Industries,  Mahatma Gandhi's spinning wheel,  Jaipur Chaomu Ambedkar vikas samiti
राजस्थान में खादी रोजगार से जुड़ रही महिलाएं

पढ़ें- खादी को समर्पित खानदान, माता-पिता के बाद पांच बहनों ने भी पकड़ी गांधी दर्शन की राह

संस्था सचिव रामजीलाल ने बताया कि महिलाओं को यहां ट्रेडिशनल और नॉर्मल चरखे से सूत कताई का काम करवाते है. इसमें दरियां, रजाई, शीट कवर, बैड शीट जैसे करीब 70 आइटम तैयार किए जाते हैं. इसके लिए संस्था से 250 महिलाएं रजिस्टर्ड हैं, उसमें से 85 महिलाएं कार्यरत हैं. जिसमें करीब 30 महिलाएं रोजाना चरखे पर काम करती हैं. यहां 50 लाख की लागत तक का कपड़ा तैयार किया जाता है. जिनको राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार की ओर से लगने वाली खादी प्रदर्शनियों में शो किया जाता है.

Jaipur Khadi Village Industries,  Mahatma Gandhi's spinning wheel,  Jaipur Chaomu Ambedkar vikas samiti
चरखा चलाकर घर पाल रही हैं महिलाएं

संस्था से जुड़ी इन महिलाओं को देख लगता है कि बदलते वक्त के साथ अब महिलाओं की स्थिति भी बदल रही है. किसी जमाने में चूल्हा-चौका तक सीमित रहने वाली महिलाएं आधुनिक समाज में अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन कर रही हैं. अब जरूरत है खादी ग्रामोद्योग और राज्य सरकार को इनकी सुध लेने की.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.