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गांधी जयंती 2019: राजस्थान से जुड़ी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कुछ यादें...

बुधवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती हैं. बापू के इस दिन को पूरा देश धूमधाम से मना रहा है. अगर बात करें तो बापू के राजस्थान से संबंध की तो गांधी जी तीन बार जयपुर रेलवे स्टेशन से गुजरे थे. आजादी के आंदोलन में बापू की राजस्थान यात्रा ने चिंगारी दी थी. बापू को देखने और सुनने के लिए उस समय लोग उमड़ पड़े थे. देखिए हमारी ये खास रिपोर्ट.

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Published : Oct 2, 2019, 2:22 AM IST

Updated : Oct 2, 2019, 9:32 AM IST

जयपुर. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है. पूरे देशभर में बापू की जयंती को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार हो या फिर विपक्ष में बैठी बीजेपी, दोनों ही राजनीतिक पार्टियां राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती भव्य रूप से मना रहे है.

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महात्मा गांधी की 150वीं जयंती

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की राजस्थान से खास कर जयपुर से जुड़ी हुई बड़ी यादें है. राजकोट जाते वक्त या फिर अजमेर जाते वक्त तीनों बार गांधी जी जयपुर के रेलवे स्टेशन से होकर निकले थे. उस वक्त स्टेशन पर मौजूद लोगों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भव्य स्वागत किया था. आज भी रेलवे स्टेशन के बाहर मौजूद गांधी जी की प्रतिमा और शिलालेख पर बापू के रेलवे स्टेशन पर आने का जिक्र अंकित हैं.

पढ़ें- महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर होंगे विभिन्न कार्यक्रम, जिला कलेक्टर ने किया पोस्टर विमोचन

देश की आजादी की लड़ाई में कुछ जन आंदोलन बनाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के राजस्थान में आने की खास मायने हैं. छोटी-छोटी रियासतों में बंटा राजस्थान उस वक्त के राजपूताना में रूढ़ीवादी, जागीरदारी प्रथा, छुआछूत से ग्रस्त था जिस पर महात्मा गांधी की यात्रा ने बड़ा प्रभाव डाला. आजादी के आंदोलन में बापू के राजस्थान यात्रा ने चिंगारी दी. महात्मा गांधी जयपुर जंक्शन से तीन बार गुजरे. उनकी उसी याद में रेलवे स्टेशन पर बापू की प्रतिमा भी बनाई गई. पहली बार महात्मा गांधी 1901 में जयपुर रेलवे स्टेशन से गुजरने की यादों के रूप में स्टेशन परिसर में लगी गांधी जी की मूर्ति के नीचे शिलालेख में उनके आने का उल्लेख है. दिल्ली से राजकोट जाते वक्त पहली बार महात्मा गांधी जयपुर रेलवे स्टेशन पर रुके और उस दौरान वहां पर मौजूद लोगों को संबोधित भी किया.

जानिए गांधी जी का राजस्थान से कनेक्शन

पढ़ें: गांधी @ 150 : रामोजी ग्रुप के चेयरमैन रामोजी राव ने लॉन्च किया बापू का प्रिय भजन

गांधी विचारक सवाई सिंह बताते हैं की 1901 में महात्मा गांधी की भारत पर कुछ ज्यादा पहचान नहीं बन पाई थी. दक्षिण अफ्रीका में जो गांधी जी ने आंदोलन किया था, उससे उनकी एक पहचान बनी. जब महात्मा गांधी दिल्ली से राजकोट जा रहे थे. उस वक्त वे कुछ वक्त के लिए जयपुर रेलवे स्टेशन पर रुकें. जहां पर कुछ लोग उनसे मिलने रेलवे स्टेशन पर पहुंचे.

गांधी जी को सुनने उमड़े थे सैकड़ों लोग

दूसरी बार महात्मा गांधी 3 नवंबर 1921 को अजमेर से दिल्ली जाते वक्त जयपुर रेलवे स्टेशन पर ठहरे. उस वक्त महात्मा गांधी का जयपुर में जनसभा करने का कोई कार्यक्रम नहीं था, लेकिन जब लोगों को भी पता लगा कि महात्मा गांधी अजमेर से दिल्ली जा रहे हैं तो करीब 400 से अधिक लोग उन्हें देखने और सुनने के लिए रेलवे स्टेशन पर लोग जमा हो गए थे. उस वक्त पहली बार महात्मा गांधी ने जयपुर रेलवे स्टेशन पर लोगों से मुलाकात की और उन्हें संबोधित भी किया.

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जयपुर रेलवे स्टेशन से नाता रहा है गांधी जी का

स्वागत को उमड़े हजारों लोग जब तीसरी बार गांधी पहुंचे जयपुर

तीसरी बार महात्मा गांधी 1 मार्च 1939 में रात्रि के 12 बजे जयपुर रेलवे स्टेशन से गुजरे. सवाई सिंह बताते हैं कि जब 1 महात्मा गांधी जयपुर से गुजर रहे थे उसकी जानकारी जयपुर वासियों और आसपास के लोगों को पता चली. उसका परिणाम यह रहा की हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ महात्मा गांधी का स्वागत करने के लिए और उन्हें सुनने के लिए जयपुर रेलवे स्टेशन पहुंची. महात्मा गांधी ने वहां पहुंचे हजारों की संख्या में लोगों को संबोधित किया और उन्हें किस तरह से अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई को लड़ा जाए इसके बारे में बताया. इस दौरान महात्मा गांधी जी ने छुआछुत का संदेश भी दिया.

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जयपुर में स्थित गांधी की प्रतिमा

पढ़ें: गांधी @150 : ईटीवी भारत की पहल को मिल रही सराहना

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जयपुर में राजस्थान की अन्य किसी जिले में कभी कोई सीधा कार्यक्रम या सभा नहीं रही. तीन बार महात्मा गांधी की सभाएं हुई वह भी अजमेर में. दरअसल महात्मा गांधी का मानना था राजा अंग्रेजों की हुकूमत के सहारे टिके हुए है और अजमेर सीधे अंग्रेज शासन के अधीन था. इसलिए आंदोलन कारियों ने अंग्रेजों से सीधी लड़ाई को करने के लिए राजस्थान के अजमेर को केंद्र बिंदु बनाया गया था. उसी वक्त राजस्थान में प्रजामंडल की स्थापना की गई थी. क्योंकि राजस्थान उस समय अलग-अलग रियासतों में बंटा हुआ था और यहां पर राजाओं का शासन था. उस वक्त राजस्थान का नाम राजपूताना के नाम से जाना जाता था लेकिन जब आजादी का आंदोलन पूरे देश में उमड़ रहा था, उस वक्त राजस्थान में प्रजामंडल की स्थापना हुई जो आगे जाकर आजादी की लड़ाई में मील का पत्थर साबित हुई.

पढ़ें: जोधपुर में तीन तलाक : अनबन के चलते पति ने तीन बार तलाक..तलाक...तलाक बोलकर पत्नी व बच्चों को निकाला घर से बाहर

गांधी जी की यात्रा से राजपूताना में फैली स्वाधीनता के चिंगारी

सवाई सिंह बताते हैं कि जब 1921 से 1939 के बीच में गांधी जी जब यहां से गुजरे तो राजपूताना में आंदोलन की चिंगारी खड़ी हो गई. इससे पहले राजपूताना में आंदोलन को लेकर कोई खास ज्यादा उत्साह नहीं था लेकिन जब महात्मा गांधी की तीन बार सभाएं अजमेर में हुई. उसके बाद पूरे प्रदेश में आंदोलन को लेकर चिंगारी आग की तरफ फैली. क्योंकि जब जब गांधी जी आए तो लोगों में एक उत्साह का संचार हुआ. सवाई सिंह बताते हैं कि जब राजपूताना जब अलग-अलग रियासतों को बटा हुआ था उस वक्त खादी पहनना और टोपी लगाना एक अपराध के रूप में माना जाता था. राजपुताना उस वक्त 26 रियासतों में बटा हुआ था. लेकिन जब महात्मा गांधी ने अजमेर में सभाएं की तो राजस्थान में आजादी के दीवाने खड़े हो गए.

जयपुर. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है. पूरे देशभर में बापू की जयंती को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार हो या फिर विपक्ष में बैठी बीजेपी, दोनों ही राजनीतिक पार्टियां राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती भव्य रूप से मना रहे है.

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महात्मा गांधी की 150वीं जयंती

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की राजस्थान से खास कर जयपुर से जुड़ी हुई बड़ी यादें है. राजकोट जाते वक्त या फिर अजमेर जाते वक्त तीनों बार गांधी जी जयपुर के रेलवे स्टेशन से होकर निकले थे. उस वक्त स्टेशन पर मौजूद लोगों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भव्य स्वागत किया था. आज भी रेलवे स्टेशन के बाहर मौजूद गांधी जी की प्रतिमा और शिलालेख पर बापू के रेलवे स्टेशन पर आने का जिक्र अंकित हैं.

पढ़ें- महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर होंगे विभिन्न कार्यक्रम, जिला कलेक्टर ने किया पोस्टर विमोचन

देश की आजादी की लड़ाई में कुछ जन आंदोलन बनाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के राजस्थान में आने की खास मायने हैं. छोटी-छोटी रियासतों में बंटा राजस्थान उस वक्त के राजपूताना में रूढ़ीवादी, जागीरदारी प्रथा, छुआछूत से ग्रस्त था जिस पर महात्मा गांधी की यात्रा ने बड़ा प्रभाव डाला. आजादी के आंदोलन में बापू के राजस्थान यात्रा ने चिंगारी दी. महात्मा गांधी जयपुर जंक्शन से तीन बार गुजरे. उनकी उसी याद में रेलवे स्टेशन पर बापू की प्रतिमा भी बनाई गई. पहली बार महात्मा गांधी 1901 में जयपुर रेलवे स्टेशन से गुजरने की यादों के रूप में स्टेशन परिसर में लगी गांधी जी की मूर्ति के नीचे शिलालेख में उनके आने का उल्लेख है. दिल्ली से राजकोट जाते वक्त पहली बार महात्मा गांधी जयपुर रेलवे स्टेशन पर रुके और उस दौरान वहां पर मौजूद लोगों को संबोधित भी किया.

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गांधी विचारक सवाई सिंह बताते हैं की 1901 में महात्मा गांधी की भारत पर कुछ ज्यादा पहचान नहीं बन पाई थी. दक्षिण अफ्रीका में जो गांधी जी ने आंदोलन किया था, उससे उनकी एक पहचान बनी. जब महात्मा गांधी दिल्ली से राजकोट जा रहे थे. उस वक्त वे कुछ वक्त के लिए जयपुर रेलवे स्टेशन पर रुकें. जहां पर कुछ लोग उनसे मिलने रेलवे स्टेशन पर पहुंचे.

गांधी जी को सुनने उमड़े थे सैकड़ों लोग

दूसरी बार महात्मा गांधी 3 नवंबर 1921 को अजमेर से दिल्ली जाते वक्त जयपुर रेलवे स्टेशन पर ठहरे. उस वक्त महात्मा गांधी का जयपुर में जनसभा करने का कोई कार्यक्रम नहीं था, लेकिन जब लोगों को भी पता लगा कि महात्मा गांधी अजमेर से दिल्ली जा रहे हैं तो करीब 400 से अधिक लोग उन्हें देखने और सुनने के लिए रेलवे स्टेशन पर लोग जमा हो गए थे. उस वक्त पहली बार महात्मा गांधी ने जयपुर रेलवे स्टेशन पर लोगों से मुलाकात की और उन्हें संबोधित भी किया.

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जयपुर रेलवे स्टेशन से नाता रहा है गांधी जी का

स्वागत को उमड़े हजारों लोग जब तीसरी बार गांधी पहुंचे जयपुर

तीसरी बार महात्मा गांधी 1 मार्च 1939 में रात्रि के 12 बजे जयपुर रेलवे स्टेशन से गुजरे. सवाई सिंह बताते हैं कि जब 1 महात्मा गांधी जयपुर से गुजर रहे थे उसकी जानकारी जयपुर वासियों और आसपास के लोगों को पता चली. उसका परिणाम यह रहा की हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ महात्मा गांधी का स्वागत करने के लिए और उन्हें सुनने के लिए जयपुर रेलवे स्टेशन पहुंची. महात्मा गांधी ने वहां पहुंचे हजारों की संख्या में लोगों को संबोधित किया और उन्हें किस तरह से अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई को लड़ा जाए इसके बारे में बताया. इस दौरान महात्मा गांधी जी ने छुआछुत का संदेश भी दिया.

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जयपुर में स्थित गांधी की प्रतिमा

पढ़ें: गांधी @150 : ईटीवी भारत की पहल को मिल रही सराहना

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जयपुर में राजस्थान की अन्य किसी जिले में कभी कोई सीधा कार्यक्रम या सभा नहीं रही. तीन बार महात्मा गांधी की सभाएं हुई वह भी अजमेर में. दरअसल महात्मा गांधी का मानना था राजा अंग्रेजों की हुकूमत के सहारे टिके हुए है और अजमेर सीधे अंग्रेज शासन के अधीन था. इसलिए आंदोलन कारियों ने अंग्रेजों से सीधी लड़ाई को करने के लिए राजस्थान के अजमेर को केंद्र बिंदु बनाया गया था. उसी वक्त राजस्थान में प्रजामंडल की स्थापना की गई थी. क्योंकि राजस्थान उस समय अलग-अलग रियासतों में बंटा हुआ था और यहां पर राजाओं का शासन था. उस वक्त राजस्थान का नाम राजपूताना के नाम से जाना जाता था लेकिन जब आजादी का आंदोलन पूरे देश में उमड़ रहा था, उस वक्त राजस्थान में प्रजामंडल की स्थापना हुई जो आगे जाकर आजादी की लड़ाई में मील का पत्थर साबित हुई.

पढ़ें: जोधपुर में तीन तलाक : अनबन के चलते पति ने तीन बार तलाक..तलाक...तलाक बोलकर पत्नी व बच्चों को निकाला घर से बाहर

गांधी जी की यात्रा से राजपूताना में फैली स्वाधीनता के चिंगारी

सवाई सिंह बताते हैं कि जब 1921 से 1939 के बीच में गांधी जी जब यहां से गुजरे तो राजपूताना में आंदोलन की चिंगारी खड़ी हो गई. इससे पहले राजपूताना में आंदोलन को लेकर कोई खास ज्यादा उत्साह नहीं था लेकिन जब महात्मा गांधी की तीन बार सभाएं अजमेर में हुई. उसके बाद पूरे प्रदेश में आंदोलन को लेकर चिंगारी आग की तरफ फैली. क्योंकि जब जब गांधी जी आए तो लोगों में एक उत्साह का संचार हुआ. सवाई सिंह बताते हैं कि जब राजपूताना जब अलग-अलग रियासतों को बटा हुआ था उस वक्त खादी पहनना और टोपी लगाना एक अपराध के रूप में माना जाता था. राजपुताना उस वक्त 26 रियासतों में बटा हुआ था. लेकिन जब महात्मा गांधी ने अजमेर में सभाएं की तो राजस्थान में आजादी के दीवाने खड़े हो गए.

Intro:
जयपुर

स्पेशल स्टोरी

राजस्थान से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की यादें , महात्मा गांधी तीन बार जयपुर रेलवे स्टेशन पर लोगों से मिले ,

एंकर:- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वी जयंती वर्ष है , पूरे देश मे बापू की जयंती को बड़े हर्षोंल्ला के साथ मनाया जा रहा है , प्रदेश की कोंग्रेस सरकार हो या फिर विपक्ष में बैठी बीजेपी दोनों ही राजनीतिक पार्टियां भी राष्ट्रपिता की 150 वी जयंती पर भव्य रूप से मना रहे है , लेकिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की राजस्थान और खास कर जयपुर भी बड़ी यादें है , राजकोट जाते वक्त या फिर अजमेर जाते वक्त तीनों बार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जयपुर के रेलवे स्टेशन से होकर निकले , उस वक्त स्टेशन पर मौजूद लोगों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भव्य स्वागत किया आज भी रेलवे स्टेशन के बाहर मौजूद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा और शिलालेख जिस पर बापू के जयपुर रेलवे स्टेशन पर आने का जिक्र है।


Body:VO:- देश की आजादी की लड़ाई में कुछ जन आंदोलन बनाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के राजस्थान में आने की खास मायने हैं । छोटी-छोटी रियासतों में बैठे राजस्थान उस वक्त के राजपूताना मैं रूढ़ीवादी , जागीरदारी प्रथा , छुआछूत पर महात्मा गांधी की यात्रा ने बड़ा प्रभाव डाला , आजादी के आंदोलन में बापू के राजस्थान यात्रा ने चिंगारी दी , महात्मा गांधी जयपुर जंक्शन से तीन बार गुजरे , उनकी उसी याद में रेलवे स्टेशन पर बापू की प्रतिमा भी बनाई गई , पहली बार महात्मा गांधी 1901 में जयपुर रेलवे स्टेशन से गुजरने की यादों के रूप में स्टेशन परिसर में लगी गांधी जी की मूर्ति के नीचे शिलालेख में उनके आने का उल्लेख है दिल्ली से राजकोट जाते वक्त पहली बार महात्मा गांधी जयपुर रेलवे स्टेशन पर रुके और उस दौरान वहां पर मौजूद लोगों को संबोधित भी किया , गांधी विचारक सवाई सिंह बताते हैं की 1901 में महात्मा गांधी की भारत पर कुछ ज्यादा पहचान नहीं बन पाई थी लेकिन दक्षिण अफ्रीका में जो गांधी जी ने आंदोलन की थी उससे उनकी एक पहचान तो थी जब महात्मा गांधी दिल्ली से राजकोट जा रहे थे उस वक्त वह कुछ वक्त के लिए जयपुर रेलवे स्टेशन पर रुके जहां पर कुछ लोग उनसे मिलने रेलवे स्टेशन पर पहुंचे हालांकि उस वक्त राजस्थान में राजशाही लागू था तो ऐसे में कोई भी ज्यादा खुलकर गांधीजी को नाम पर नहीं निकल पाता था । फिर जब कुछ लोगों को महात्मा गांधी के यहां से गुजरने का पता लगा तो अच्छी संख्या में लोग रेलवे स्टेशन पहुंचे उस वक्त महात्मा गांधी की 32 साल की थी , क्योंकि दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी ने काम किया उससे उनकी एक अच्छी इमेज थी । दूसरी बार महात्मा गांधी 3 नवंबर 1921 को अजमेर से दिल्ली जाते वक्त जयपुर रेलवे स्टेशन पर ठहरे , हालांकि उस वक्त महात्मा गांधी का जयपुर में जनसभा करने का कोई कार्यक्रम नहीं था लेकिन जब लोगों को भी पता लगा कि महात्मा गांधी अजमेर से दिल्ली जा रहे हैं तो करीब 400 से अधिक लोग हमें देखने और सुनने सुनने के लिए क्योंकि गांधी जी कुछ कह कर जाएं , इसलिए रेलवे स्टेशन पर लोग जमा हो गए उस , वक्त पहली बार महात्मा गांधी ने जयपुर रेलवे स्टेशन पर लोगों से मुलाकात और उन्हें संबोधित भी किया महात्मा गांधी ने इस दौरान लोगों को अहिंसा का पाठ पढ़ाया छुआछूत को मिटाने के बारे में साथ ही अंग्रेजो के खिलाफ किस तरह से आजादी की लड़ाई में अहिंसा के जरिए आगे बढ़ा जाए उसके बारे में बताया , इससे पहले जब 1901 में महात्मा गांधी जयपुर से गुजरे थे उस वक्त उन्होंने किसी से भी बात नहीं करी थी, लेकिन 3 नवंबर 1921 में पहली बार महात्मा गांधी ने जयपुर के रेलवे स्टेशन पर लोगों को संबोधित किया था । तीसरी बार महात्मा गांधी 1 मार्च 1939 में रात्रि के 12:00 बजे जयपुर रेलवे स्टेशन से गुजरे सवाई सिंह बताते हैं कि जब 1 मार्च 1939 को महात्मा गांधी जयपुर से गुजर रहे थे उसकी जानकारी जयपुर और जयपुर के आसपास के लोगों को लग चुकी थी उसका परिणाम यह रहा की हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ महात्मा गांधी का स्वागत करने के लिए और उन्हें सुनने के जयपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे , महात्मा गांधी ने वहां पहुंचे हजारों की संख्या में लोगों को संबोधित किया और उन्हें किस तरह से अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई को लड़ा जाए इसके बारे में बताया इस दौरान महात्मा गांधी ने छुवाछुत का संदेश भी दिया , राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जयपुर में राजस्थान की अन्य किसी जिले में कभी को सीधा कार्यक्रम या सभा नहीं रही , तीन बार महात्मा गांधी की सभाएं हुई वह अजमेर में हुई , दरअसल महात्मा गांधी का मामना था राजा अंग्रेजों की हुकूमत के सहारे टिके हुए है , और अजमेर सीधे अंग्रेज शासन के अधीन था , इसलिए आंदोलन कारियों ने अंग्रेजों से सीधी लड़ाई को करने के लिए राजस्थान के अजमेर को केंद्र बिंदु बनाया गया था , उसी वक्त राजस्थान में प्रजामंडल की स्थापना करी गई क्योंकि राजस्थान उस समय अलग-अलग रियासतों में बंटा हुआ था और यहां पर राजाओं का शासन था उस वक्त राजस्थान का नाम राजपूताना के नाम से जाना जाता था लेकिन जब आजादी का आंदोलन पूरे देश में पढ़ रहा था उस वक्त राजस्थान में प्रजामंडल की स्थापना हुई जो आगे जाके आजादी की लड़ाई में मील का पत्थर साबित हुई , सवाई सिंह बताते हैं कि जब 1921 से 1939 के बीच में गांधी जी जब यहां से गुजरे और अजमेर में सवाई की उसके बाद ही राजपूताना में आंदोलन की चिंगारी खड़ी हुई उससे पहले राजपूताना में आंदोलन को लेकर कोई खास ज्यादा उत्साह नहीं था लेकिन जब महात्मा गांधी की तीन बार सभाएं अजमेर में हुई उसके बाद पूरे प्रदेश में आंदोलन को लेकर चिंगारी आग की तरफ फैली , क्योंकि जब जब गांधी जी आए तो लोगों में एक उत्साह का संचार हुआ , सवाई सिंह बताते हैं कि जब राजपूताना जब अलग-अलग रियासतों को बटा हुआ था उस वक्त खादी पहनना और टोपी लगाना एक अपराध के रूप में माना जाता था , राजपुताना उस वक्त 26 रियासतों में बटा हुआ था , लेकिन जब महात्मा गांधी ने अजमेर में सभाएं की तो राजस्थान में आजादी के दीवाने खड़े हो गए ।

One to one :- jaswant singh with sawai singh


Conclusion:
Last Updated : Oct 2, 2019, 9:32 AM IST
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