जयपुर. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है. पूरे देशभर में बापू की जयंती को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार हो या फिर विपक्ष में बैठी बीजेपी, दोनों ही राजनीतिक पार्टियां राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती भव्य रूप से मना रहे है.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की राजस्थान से खास कर जयपुर से जुड़ी हुई बड़ी यादें है. राजकोट जाते वक्त या फिर अजमेर जाते वक्त तीनों बार गांधी जी जयपुर के रेलवे स्टेशन से होकर निकले थे. उस वक्त स्टेशन पर मौजूद लोगों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भव्य स्वागत किया था. आज भी रेलवे स्टेशन के बाहर मौजूद गांधी जी की प्रतिमा और शिलालेख पर बापू के रेलवे स्टेशन पर आने का जिक्र अंकित हैं.
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देश की आजादी की लड़ाई में कुछ जन आंदोलन बनाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के राजस्थान में आने की खास मायने हैं. छोटी-छोटी रियासतों में बंटा राजस्थान उस वक्त के राजपूताना में रूढ़ीवादी, जागीरदारी प्रथा, छुआछूत से ग्रस्त था जिस पर महात्मा गांधी की यात्रा ने बड़ा प्रभाव डाला. आजादी के आंदोलन में बापू के राजस्थान यात्रा ने चिंगारी दी. महात्मा गांधी जयपुर जंक्शन से तीन बार गुजरे. उनकी उसी याद में रेलवे स्टेशन पर बापू की प्रतिमा भी बनाई गई. पहली बार महात्मा गांधी 1901 में जयपुर रेलवे स्टेशन से गुजरने की यादों के रूप में स्टेशन परिसर में लगी गांधी जी की मूर्ति के नीचे शिलालेख में उनके आने का उल्लेख है. दिल्ली से राजकोट जाते वक्त पहली बार महात्मा गांधी जयपुर रेलवे स्टेशन पर रुके और उस दौरान वहां पर मौजूद लोगों को संबोधित भी किया.
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गांधी विचारक सवाई सिंह बताते हैं की 1901 में महात्मा गांधी की भारत पर कुछ ज्यादा पहचान नहीं बन पाई थी. दक्षिण अफ्रीका में जो गांधी जी ने आंदोलन किया था, उससे उनकी एक पहचान बनी. जब महात्मा गांधी दिल्ली से राजकोट जा रहे थे. उस वक्त वे कुछ वक्त के लिए जयपुर रेलवे स्टेशन पर रुकें. जहां पर कुछ लोग उनसे मिलने रेलवे स्टेशन पर पहुंचे.
गांधी जी को सुनने उमड़े थे सैकड़ों लोग
दूसरी बार महात्मा गांधी 3 नवंबर 1921 को अजमेर से दिल्ली जाते वक्त जयपुर रेलवे स्टेशन पर ठहरे. उस वक्त महात्मा गांधी का जयपुर में जनसभा करने का कोई कार्यक्रम नहीं था, लेकिन जब लोगों को भी पता लगा कि महात्मा गांधी अजमेर से दिल्ली जा रहे हैं तो करीब 400 से अधिक लोग उन्हें देखने और सुनने के लिए रेलवे स्टेशन पर लोग जमा हो गए थे. उस वक्त पहली बार महात्मा गांधी ने जयपुर रेलवे स्टेशन पर लोगों से मुलाकात की और उन्हें संबोधित भी किया.
स्वागत को उमड़े हजारों लोग जब तीसरी बार गांधी पहुंचे जयपुर
तीसरी बार महात्मा गांधी 1 मार्च 1939 में रात्रि के 12 बजे जयपुर रेलवे स्टेशन से गुजरे. सवाई सिंह बताते हैं कि जब 1 महात्मा गांधी जयपुर से गुजर रहे थे उसकी जानकारी जयपुर वासियों और आसपास के लोगों को पता चली. उसका परिणाम यह रहा की हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ महात्मा गांधी का स्वागत करने के लिए और उन्हें सुनने के लिए जयपुर रेलवे स्टेशन पहुंची. महात्मा गांधी ने वहां पहुंचे हजारों की संख्या में लोगों को संबोधित किया और उन्हें किस तरह से अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई को लड़ा जाए इसके बारे में बताया. इस दौरान महात्मा गांधी जी ने छुआछुत का संदेश भी दिया.
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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जयपुर में राजस्थान की अन्य किसी जिले में कभी कोई सीधा कार्यक्रम या सभा नहीं रही. तीन बार महात्मा गांधी की सभाएं हुई वह भी अजमेर में. दरअसल महात्मा गांधी का मानना था राजा अंग्रेजों की हुकूमत के सहारे टिके हुए है और अजमेर सीधे अंग्रेज शासन के अधीन था. इसलिए आंदोलन कारियों ने अंग्रेजों से सीधी लड़ाई को करने के लिए राजस्थान के अजमेर को केंद्र बिंदु बनाया गया था. उसी वक्त राजस्थान में प्रजामंडल की स्थापना की गई थी. क्योंकि राजस्थान उस समय अलग-अलग रियासतों में बंटा हुआ था और यहां पर राजाओं का शासन था. उस वक्त राजस्थान का नाम राजपूताना के नाम से जाना जाता था लेकिन जब आजादी का आंदोलन पूरे देश में उमड़ रहा था, उस वक्त राजस्थान में प्रजामंडल की स्थापना हुई जो आगे जाकर आजादी की लड़ाई में मील का पत्थर साबित हुई.
गांधी जी की यात्रा से राजपूताना में फैली स्वाधीनता के चिंगारी
सवाई सिंह बताते हैं कि जब 1921 से 1939 के बीच में गांधी जी जब यहां से गुजरे तो राजपूताना में आंदोलन की चिंगारी खड़ी हो गई. इससे पहले राजपूताना में आंदोलन को लेकर कोई खास ज्यादा उत्साह नहीं था लेकिन जब महात्मा गांधी की तीन बार सभाएं अजमेर में हुई. उसके बाद पूरे प्रदेश में आंदोलन को लेकर चिंगारी आग की तरफ फैली. क्योंकि जब जब गांधी जी आए तो लोगों में एक उत्साह का संचार हुआ. सवाई सिंह बताते हैं कि जब राजपूताना जब अलग-अलग रियासतों को बटा हुआ था उस वक्त खादी पहनना और टोपी लगाना एक अपराध के रूप में माना जाता था. राजपुताना उस वक्त 26 रियासतों में बटा हुआ था. लेकिन जब महात्मा गांधी ने अजमेर में सभाएं की तो राजस्थान में आजादी के दीवाने खड़े हो गए.