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Maharaja College Jaipur: ऐतिहासिक इमारत को संवरने का इंतजार, दरकती दीवारें बयां कर रही अनदेखी की दास्तां

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Published : Dec 10, 2021, 8:58 AM IST

राजधानी का सबसे पुराना कॉलेज महाराजा (Maharaja College Jaipur). इसका इतिहास बहुत खूबसूरत है. 88 साल पुरानी इमारत में राजस्थानी वास्तुकला की छाप दिखती है. भवन बेहद आकर्षक हैं और फिलहाल हेरिटेज बिल्डिंग संरक्षण की राह तक रही है.

Maharaja College Jaipur
दरकती दीवारें बयां कर रही अनदेखी की दास्तां

जयपुर: महाराजा कॉलेज (Maharaja College Jaipur) की साइंस फैकल्टी उम्दा मानी जाती है और ब्रिटिश काल में निर्मित भवन भी राजस्थानी वास्तुकला की अनूठी मिसाल पेश करता है. लेकिन अफसोस है कि वर्तमान में स्मार्ट सिटी की राह पर निकल पड़ा शहर अपनी इस विरासत को सहेजने में फिसड्डी साबित हो रहा है.

रोचक है इतिहास

1844 में महाराजा कॉलेज को महाराजा (Maharaja College Jaipur) के स्कूल के रूप में स्थापित किया गया था. जयपुर के महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय (Maharaja Sawai Singh II) ने इसे शुरू कराया. और जिम्मेदारी पंडित शिव दीन को दी जो इसके पहले प्रिंसिपल भी बने. शुरुआत में इसका संचालन 40 छात्रों के साथ हवामहल के पास माणक चौक (Manak Chowk Near Jaipur Hawamahal) में हुआ. जिन्हें हिंदी, फारसी, अंग्रेजी, संस्कृत और उर्दू की शिक्षा दी जाती थी.

महाराजा कॉलेज: दरकती दीवारें बयां कर रही अनदेखी की दास्तां

पढ़ें- सांभर लेक सॉल्ट ट्रेन : 145 साल पुरानी है नमक रेल, यात्री या सामान नहीं, सिर्फ नमक ढोती है..फिल्म पीके में भी आई नजर

कलकत्ता विवि से संबद्धता

बाद में 1873 में जब मास्टर कांति चंद्र मुखर्जी यहां के प्रिंसिपल बनें तो इस कॉलेज को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खड़ा किया गया और कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबद्धता मिली. 2 साल में ही यहां छात्रों की संख्या 800 तक पहुंच गई और ये क्रम बढ़ता रहा. बाद में 1890 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीए डिग्री के लिए सम्बद्ध किया गया और 1896 में स्नातकोत्तर कराने की स्थिति में आ गया. धीरे-धीरे यहां इतिहास, दर्शन और गणित में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू हो गया.

पढ़ें- नमक टूरिज्म का : सैलानियों को खींच रही नमक नगरी सांभर...प्रवासी पक्षी, शाकंभरी माता मंदिर और देवयानी सरोवर आकर्षण का केंद्र

1933 में स्थानांतरित हुआ यहां!

1933 में इसे वर्तमान भवन में स्थानांतरित किया गया. जिसका निर्माण तत्कालीन राजा सवाई मानसिंह बहादुर ने 8.5 लाख की लागत से करवाया था. 1940 में यहां कॉमर्स फैकल्टी उसके बाद 1947 में यहां फैकल्टी ऑफ लॉ की स्थापना की गई. बाद में 1962 में ये कॉलेज राजस्थान विश्वविद्यालय का एक संघटक महाविद्यालय बन गया. हालांकि इससे पहले 1944 में ही छात्राओं के लिए महारानी कॉलेज की स्थापना हो गई थी. इसके बाद ये कॉलेज सिर्फ छात्रों के लिए संचालित रहा.

पढ़ें-Toilet बनाने के लिए फंड की नहीं जगह की कमी, कराया जा रहा सर्वे : हेरिटेज निगम प्रशासन

177 साल का गौरवशाली इतिहास...दरकती दीवारों और सीलन को संवरने का इंतजार

हाल ही में इस कॉलेज ने अपना 177 वां जन्मदिन मनाया और अब इसकी इमारत भी 88 साल पुरानी हो गई है. ब्रिटिश वास्तुकार की अभिकल्पना से तैयार ये इमारत अब जीर्णोद्धार ( Maharaja College Jaipur Awaits Renovation ) चाहती है. यहां छत में कई जगह दरारें पड़ चुकी हैं, दीवारें सीलन आने से अब झड़ने लगी है और इस इमारत के पुराने पत्थर काले पड़ चुके हैं. राजधानी में हेरिटेज इमारतों के संरक्षण के लिए स्टेट हेरिटेज कमेटी, जयपुर हेरिटेज सेल और टेक्निकल हेरिटेज कमेटी बनी हुई है. लेकिन महाराजा कॉलेज (Maharaja College Jaipur) जो शहर की विरासत के साथ जुड़ा हुआ है, उसकी इमारत का जीर्णोद्धार महज राजस्थान विश्वविद्यालय से मिलने वाले फंड के भरोसे है.

विरासत का संरक्षण करने के लिए हेरिटेज नगर निगम (Heritage Nagar Nigam Jaipur) भी 20 करोड़ खर्च करेगा. महाराजा कॉलेज की विडंबना है कि वो उस पैरामीटर को पूरा नहीं कर पाएगा क्योंकि कि ये ग्रेटर नगर निगम (Greater Nagar Nigam Jaipur) क्षेत्र में आ रहा है. फिर भी उम्मीद टूटी नहीं है अब गुहार स्मार्ट सिटी लिमिटेड से लगाई जा रही है ताकि शहर के सबसे पुराने कॉलेज की हेरिटेज इमारत को संजोया जा सके.

जयपुर: महाराजा कॉलेज (Maharaja College Jaipur) की साइंस फैकल्टी उम्दा मानी जाती है और ब्रिटिश काल में निर्मित भवन भी राजस्थानी वास्तुकला की अनूठी मिसाल पेश करता है. लेकिन अफसोस है कि वर्तमान में स्मार्ट सिटी की राह पर निकल पड़ा शहर अपनी इस विरासत को सहेजने में फिसड्डी साबित हो रहा है.

रोचक है इतिहास

1844 में महाराजा कॉलेज को महाराजा (Maharaja College Jaipur) के स्कूल के रूप में स्थापित किया गया था. जयपुर के महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय (Maharaja Sawai Singh II) ने इसे शुरू कराया. और जिम्मेदारी पंडित शिव दीन को दी जो इसके पहले प्रिंसिपल भी बने. शुरुआत में इसका संचालन 40 छात्रों के साथ हवामहल के पास माणक चौक (Manak Chowk Near Jaipur Hawamahal) में हुआ. जिन्हें हिंदी, फारसी, अंग्रेजी, संस्कृत और उर्दू की शिक्षा दी जाती थी.

महाराजा कॉलेज: दरकती दीवारें बयां कर रही अनदेखी की दास्तां

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कलकत्ता विवि से संबद्धता

बाद में 1873 में जब मास्टर कांति चंद्र मुखर्जी यहां के प्रिंसिपल बनें तो इस कॉलेज को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खड़ा किया गया और कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबद्धता मिली. 2 साल में ही यहां छात्रों की संख्या 800 तक पहुंच गई और ये क्रम बढ़ता रहा. बाद में 1890 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीए डिग्री के लिए सम्बद्ध किया गया और 1896 में स्नातकोत्तर कराने की स्थिति में आ गया. धीरे-धीरे यहां इतिहास, दर्शन और गणित में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू हो गया.

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1933 में स्थानांतरित हुआ यहां!

1933 में इसे वर्तमान भवन में स्थानांतरित किया गया. जिसका निर्माण तत्कालीन राजा सवाई मानसिंह बहादुर ने 8.5 लाख की लागत से करवाया था. 1940 में यहां कॉमर्स फैकल्टी उसके बाद 1947 में यहां फैकल्टी ऑफ लॉ की स्थापना की गई. बाद में 1962 में ये कॉलेज राजस्थान विश्वविद्यालय का एक संघटक महाविद्यालय बन गया. हालांकि इससे पहले 1944 में ही छात्राओं के लिए महारानी कॉलेज की स्थापना हो गई थी. इसके बाद ये कॉलेज सिर्फ छात्रों के लिए संचालित रहा.

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177 साल का गौरवशाली इतिहास...दरकती दीवारों और सीलन को संवरने का इंतजार

हाल ही में इस कॉलेज ने अपना 177 वां जन्मदिन मनाया और अब इसकी इमारत भी 88 साल पुरानी हो गई है. ब्रिटिश वास्तुकार की अभिकल्पना से तैयार ये इमारत अब जीर्णोद्धार ( Maharaja College Jaipur Awaits Renovation ) चाहती है. यहां छत में कई जगह दरारें पड़ चुकी हैं, दीवारें सीलन आने से अब झड़ने लगी है और इस इमारत के पुराने पत्थर काले पड़ चुके हैं. राजधानी में हेरिटेज इमारतों के संरक्षण के लिए स्टेट हेरिटेज कमेटी, जयपुर हेरिटेज सेल और टेक्निकल हेरिटेज कमेटी बनी हुई है. लेकिन महाराजा कॉलेज (Maharaja College Jaipur) जो शहर की विरासत के साथ जुड़ा हुआ है, उसकी इमारत का जीर्णोद्धार महज राजस्थान विश्वविद्यालय से मिलने वाले फंड के भरोसे है.

विरासत का संरक्षण करने के लिए हेरिटेज नगर निगम (Heritage Nagar Nigam Jaipur) भी 20 करोड़ खर्च करेगा. महाराजा कॉलेज की विडंबना है कि वो उस पैरामीटर को पूरा नहीं कर पाएगा क्योंकि कि ये ग्रेटर नगर निगम (Greater Nagar Nigam Jaipur) क्षेत्र में आ रहा है. फिर भी उम्मीद टूटी नहीं है अब गुहार स्मार्ट सिटी लिमिटेड से लगाई जा रही है ताकि शहर के सबसे पुराने कॉलेज की हेरिटेज इमारत को संजोया जा सके.

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