जयपुर. मायानगरी मुंबई ही नहीं बल्कि राजस्थान में भी एक ऐसा सिद्धि विनायक मंदिर है. जहां के चमत्कार अद्भुत है. इस मंदिर में गणेशजी की श्वेत प्रतिमा अपने आप में अकल्पनीय है. यहां गणेश चतुर्थी पर सिंदूर की जगह दूध और सांप की यज्ञोपवीत चढ़ता है. इस मंदिर में सबसे पहले सूर्य भगवान साक्षात गणेश जी की पूजा करते हुए नजर आते है.
सांपों से लिपटे आपने अब तक भगवान भोलेनाथ को देखा होगा. लेकिन अब हम आपको छोटी काशी जयपुर के गुलाबी परकोटे में स्थित एक अलौकिक मंदिर के दर्शन करवाएंगे, जहां सांपों से लिपटे विराजमान है गणपति बप्पा. हम बात कर रहे है श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर की. ये एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर भगवान गणपति को सिंदूर नहीं चढ़ता. जबकि बाकी गणेश मंदिरों में सिंदूर चढ़ाया जाता है. लेकिन यहां केवल दूध और सांप की जनेऊ गणेशजी के गले में विराजमान है. मंदिर के सिंहासन पर विराजमान सिद्धि विनायक की प्रतिमा की थर्पना तांत्रिक विधि विधान से की गई थी और इसी के चलते यहां गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता.
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मंदिर के महंत मोहनलाल शर्मा ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में बताया कि, श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर करीब 250 वर्ष से ज्यादा पुराना मंदिर है. जहां जयपुर के राजा सवाईराम सिंह गलताजी से तीर्थ स्नान करके यहां दूध का अभिषेक करके अपनी गद्दी पर बैठते थे. इस मंदिर में सूर्य की पहली किरण भगवान गणेश के चरणों मे मंगल अभिषेक करती है.
इस मंदिर में भगवान के पांच सर्प बंधे हुए है. जिसमें दो सांप हाथ मे तो दो पैरों में और एक जनेव के रूप में धारण किए हुए है. ये ही एक ऐसा मंदिर है जहां भक्त अपने हाथों से भगवान का दुग्ध अभिषेक करते है, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते भक्तों को मंदिर के पट से दूर रखा जा रहा है.
सिद्धि विनायक की ये प्रतिमा तांत्रिक है, जहां तंत्र का मतलब है तत्काल कार्य करने वाली प्रतिमा. यही वजह है कि, श्रीगणेश जी महाराज तत्काल भक्तों की मनोकामनाएं स्वीकार करते है. ऐसे ही साक्षात चमत्कारों के बारे में बताते हुए भगवान श्रीगणेश के अनन्य भक्त चंद्रभान जोशी ने बताया कि, वो करीब 20 सालों से यहां मंदिर दर्शन को आ रहे है. इस मंदिर की इतनी महिमा है कि उन्होंने साक्षात चमत्कार देखे है.
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वहीं 2 चमत्कारो के दर्शन तो उन्होंने अपने घर में किए. वो बताते है कि, उनका छोटा बच्चा बहुत ही नाजुक स्थिति में था, जिसका चिकित्सकों ने जवाब भी दे दिया. उसके लिए वो सिद्धि विनायक के दरबार में सच्चे मन से प्रार्थना की जिसका ही नतीजा है की वो बच्चा आज बिल्कुल स्वस्थ है. इसके अलावा उनकी बहन के पिता भी सड़के हादसे के बाद 3 ऑपरेशन होने के बाद कोमा में चले गए लेकिन गणपति बप्पा के आशीर्वाद से आज स्वस्थ हैं.
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सालों से मंदिर में आने वाली मीनाक्षी शर्मा ने बताया कि, वो इसी मंदिर में रहती है और यही पली-बड़ी है. उनके भाई नहीं है ऐसे में गणेशजी को ही अपना भाई माना है. श्रीगणेश ने हर मनोइच्छा पूर्ण की है. इस मंदिर में आने से मन में सूकून और शांति मिलती है. वही सिद्धि विनायक मंदिर की एक ओर ये भी विशेषता है कि, कोई कुंवारा लड़का-लड़की यदि सिद्धि विनायक के 7 बुधवार करके भगवान का दुग्ध अभिषेक करें तो उसका आठवें बुधवार तक सगाई तय हो जाती है. ऐसा चमत्कार कई बार हुआ भी है. साथ ही जिसके बच्चा नहीं हो रहा वो भी जोड़ा मंदिर में मथा टेकने पहुंचते थे.
श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर में गणेश चतुर्थी के मौके पर दूर-दराज से भक्त अपनी मनोकामनाएं लिए गणपति के दरबार में धोक लगाने के लिए पहुंचते है. यहां स्थापित सफेद संगमरमर से बनी श्रीगणेश जी की श्वेत प्रतिमा आकर्षण का प्रमुख केंद्र है. कहा जाता है कि, यहां आने वाले किसी भी भक्त को बप्पा निराश नहीं करते है, लेकिन कोरोना के खौफ ने भक्तों की आस्था पर भी ठेस पहुंचाई है.