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ऐसी व्यवस्था विकसित हो जिससे सबको न्याय मिल सकेः जस्टिस रमन्ना - Rajasthan High Court News

प्रदेश के 36 न्यायिक जिलों में शनिवार को लोक अदालत सफलतापूर्वक आयोजित हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने कहा कि आज ऐसी व्यवस्था विकसित करने की जरूरत है, जिससे सबको सुलभ न्याय मिल सके.

Supreme Court Judge NV Ramanna
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एनवी रमन्ना
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Published : Aug 22, 2020, 9:22 PM IST

जयपुर. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने कहा कि आज ऐसी व्यवस्था विकसित करने की जरूरत है, जिससे सबको सुलभ न्याय मिल सके. जस्टिस रमन्ना ने यह विचार पहली ऑनलाइन लोक अदालत के वर्चुअल समापन समारोह में रखे.

रमन्ना ने कहा कि लोक अदालत के जरिए हम बच्चों और महिलाओं सहित अन्य जरूरतमंदों तक न्याय को लेकर गए हैं. हालांकि इसमें नेटवर्क की काफी समस्या आई, लेकिन आज प्रदेश के 36 न्यायिक जिलों में लोक अदालत सफलतापूर्वक आयोजित हुई है.

पढ़ें- राजस्थान हाईकोर्ट के हेरिटेज बिल्डिंग में फिर सुनवाई शुरू, जिला अदालत जोधपुर महानगर होगा संचालित

कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अजय रस्तोगी ने कहा कि ऑनलाइन अदालतें नियमित कोर्ट्स का स्थान नहीं ले सकती हैं, लेकिन यह उनकी पूरक बनकर साथ चल सकती है. उन्होंने कहा कि लोक अदालत के जरिए मुकदमों का अंतिम निस्तारण हो जाता है. जिससे न्यायपालिका पर मुकदमों का भार कम होता है.

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी ने कहा कि हमें 'एक सबके लिए, सब एक के लिए' सिद्धांत पर काम करना होगा, तभी हम 'न्याय सबके लिए' तक पहुंच पाएंगे. वहीं, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांन्ती ने कहा कि कोरोना संक्रमण में देशभर में सबसे अधिक राजस्थान हाईकोर्ट ने मुकदमों की सुनवाई की है.

समारोह में जानकारी देते हुए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष संगीत लोढ़ा ने बताया कि ऑनलाइन लोक अदालत में 350 बेंच के समक्ष करीब 66,367 मुकदमों को सूचीबद्ध किया गया था. इनमें से 33,476 मुकदमों का निस्तारण किया गया. जबकि 2 अरब से अधिक की राशि के अवार्ड जारी किए गए. वहीं, 8 हजार मुकदमे राज्य सरकार ने वापस लिए हैं.

जस्टिस रमन्ना की खम्मा घणी

ऑनलाइन लोक अदालत के वर्चुअल समापन समारोह के मुख्य अतिथि जस्टिस वीएन रमन्ना ने अपना भाषण खम्मा घणी के साथ शुरू किया. अंग्रेजी भाषी जस्टिस रमन्ना ने प्रदेशवासियों को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं भी हिंदी में ही दी. वहीं उन्होंने अपने भाषण का अंत भी हिंदी में नमस्ते के साथ ही किया. जबकि सीजे इंद्रजीत महांती सहित राजस्थान से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के दूसरे न्यायाधीशों ने अपने-अपने विचार अंग्रेजी भाषा में रखें.

शिक्षक का कार्य व्यवस्था के नाम पर तबादला करने पर जवाब तलब

राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण में तबादला करने का अधिकार नहीं होने के बावजूद शिक्षक का कार्य व्यवस्था के नाम पर तबादला करने के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के आदेश पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अधिकरण ने भरतपुर के मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी और पहाड़ी के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. अधिकरण ने यह आदेश मनोज कुमार की अपील पर दिए.

पढ़ें- जोधपुरः हेरिटेज भवन से उच्च न्यायालय का नाम हटाने का विरोध, 2019 तक संचालित हुआ था हाईकोर्ट

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अधिकरण को बताया कि भरतपुर स्थित पहाड़ी के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने अपीलार्थी का तबादला एक स्कूल से दूसरे स्कूल में कर दिया. जबकि नियमानुसार मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी शिक्षक का तबादला करने के लिए सक्षम अधिकारी नहीं है. तृतीय श्रेणी शिक्षक का तबादला जिला शिक्षा अधिकारी या पंचायत समिति स्थापना समिति की सिफारिश के बाद ही किया जा सकता है.

अपील में यह भी कहा गया कि सेवा नियमों में कहीं भी कार्य व्यवस्था का कोई प्रावधान नहीं है. ऐसे में कार्य व्यवस्था के नाम पर तबादला आदेश जारी नहीं किए जा सकते. ऐसे में अपीलार्थी के तबादला आदेश को निरस्त किया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने तबादला आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने कहा कि आज ऐसी व्यवस्था विकसित करने की जरूरत है, जिससे सबको सुलभ न्याय मिल सके. जस्टिस रमन्ना ने यह विचार पहली ऑनलाइन लोक अदालत के वर्चुअल समापन समारोह में रखे.

रमन्ना ने कहा कि लोक अदालत के जरिए हम बच्चों और महिलाओं सहित अन्य जरूरतमंदों तक न्याय को लेकर गए हैं. हालांकि इसमें नेटवर्क की काफी समस्या आई, लेकिन आज प्रदेश के 36 न्यायिक जिलों में लोक अदालत सफलतापूर्वक आयोजित हुई है.

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कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अजय रस्तोगी ने कहा कि ऑनलाइन अदालतें नियमित कोर्ट्स का स्थान नहीं ले सकती हैं, लेकिन यह उनकी पूरक बनकर साथ चल सकती है. उन्होंने कहा कि लोक अदालत के जरिए मुकदमों का अंतिम निस्तारण हो जाता है. जिससे न्यायपालिका पर मुकदमों का भार कम होता है.

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी ने कहा कि हमें 'एक सबके लिए, सब एक के लिए' सिद्धांत पर काम करना होगा, तभी हम 'न्याय सबके लिए' तक पहुंच पाएंगे. वहीं, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांन्ती ने कहा कि कोरोना संक्रमण में देशभर में सबसे अधिक राजस्थान हाईकोर्ट ने मुकदमों की सुनवाई की है.

समारोह में जानकारी देते हुए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष संगीत लोढ़ा ने बताया कि ऑनलाइन लोक अदालत में 350 बेंच के समक्ष करीब 66,367 मुकदमों को सूचीबद्ध किया गया था. इनमें से 33,476 मुकदमों का निस्तारण किया गया. जबकि 2 अरब से अधिक की राशि के अवार्ड जारी किए गए. वहीं, 8 हजार मुकदमे राज्य सरकार ने वापस लिए हैं.

जस्टिस रमन्ना की खम्मा घणी

ऑनलाइन लोक अदालत के वर्चुअल समापन समारोह के मुख्य अतिथि जस्टिस वीएन रमन्ना ने अपना भाषण खम्मा घणी के साथ शुरू किया. अंग्रेजी भाषी जस्टिस रमन्ना ने प्रदेशवासियों को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं भी हिंदी में ही दी. वहीं उन्होंने अपने भाषण का अंत भी हिंदी में नमस्ते के साथ ही किया. जबकि सीजे इंद्रजीत महांती सहित राजस्थान से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के दूसरे न्यायाधीशों ने अपने-अपने विचार अंग्रेजी भाषा में रखें.

शिक्षक का कार्य व्यवस्था के नाम पर तबादला करने पर जवाब तलब

राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण में तबादला करने का अधिकार नहीं होने के बावजूद शिक्षक का कार्य व्यवस्था के नाम पर तबादला करने के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के आदेश पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अधिकरण ने भरतपुर के मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी और पहाड़ी के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. अधिकरण ने यह आदेश मनोज कुमार की अपील पर दिए.

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याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अधिकरण को बताया कि भरतपुर स्थित पहाड़ी के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने अपीलार्थी का तबादला एक स्कूल से दूसरे स्कूल में कर दिया. जबकि नियमानुसार मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी शिक्षक का तबादला करने के लिए सक्षम अधिकारी नहीं है. तृतीय श्रेणी शिक्षक का तबादला जिला शिक्षा अधिकारी या पंचायत समिति स्थापना समिति की सिफारिश के बाद ही किया जा सकता है.

अपील में यह भी कहा गया कि सेवा नियमों में कहीं भी कार्य व्यवस्था का कोई प्रावधान नहीं है. ऐसे में कार्य व्यवस्था के नाम पर तबादला आदेश जारी नहीं किए जा सकते. ऐसे में अपीलार्थी के तबादला आदेश को निरस्त किया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने तबादला आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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