जयपुर. राजस्थान विधानसभा में आज बलवान पूनिया के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर स्पीकर सीपी जोशी (Speaker CP Joshi) और संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के बीच खूब व्यंग्य बाण चले. स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि राजस्थान सरकार ने भारत सरकार की किसान परिभाषा का इस्तेमाल किया है, भारत सरकार ने किसान सम्मान निधि जारी करने के लिए कृषक की परिभाषा बनाई है. राज्य सरकार उस परिभाषा के इतर सभी किसानों को सब्सिडी की फायदा दे.
स्पीकर सीपी जोशी के निर्देश को धारीवाल (Minister Shanti Dhariwal) ने मानते हुए कृषक की परिभाषा राजस्थान में परिवर्तित करने और एग्रो इंडस्ट्री प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर मिलने वाली सब्सिडी 25% की जगह 50% करने की बात कही.
ऐसे चले व्यंग्य बाण
स्पीकर सीपी जोशी ने शांति धारीवाल पर नाराजगी जताते हुए 15 सितम्बर को सदन की कार्रवाई को अनिश्चितकालीन स्थगित किया था. हालांकि मुख्यमंत्री के आग्रह पर स्पीकर ने विधानसभा तो दोबारा बुला ली, लेकिन आज भी उस दिन का असर विधानसभा में दिखाई दिया. शांति धारीवाल ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर जवाब देने उठे, तो स्पीकर सीपी जोशी ने पूछ लिया कि जवाब आप देंगे या कृषि मंत्री लालचंद कटारिया. क्योंकि मेरे पास नाम लालचंद कटारिया का आया है.
इस पर धारीवाल ने व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा कि आपकी इजाजत होगी तो मैं ही बोलूंगा. स्पीकर ने कहा कि आपने इजाजत कब ली. इस पर धारीवाल ने तुरंत इजाजत ली और स्पीकर ने इजाजत देते हुए कहा कि अब इजाजत ले ली, तो आप बोल सकते हैं. स्पीकर सीपी जोशी ने धारीवाल से कहा कि भारत सरकार ने कृषक की परिभाषा केवल कृषक सम्मान निधि योजना को लेकर जारी की है, यह अन्य योजना के लिए प्रभावी नहीं है. ऐसे में राजस्थान सरकार इस परिभाषा का इस्तेमाल क्यों कर रही है.
धारीवाल जवाब देने लगे तो स्पीकर सीपी जोशी ने राज्य सरकार को भारत सरकार के आधार पर राजस्थान में किसान की परिभाषा (definition of farmer) तय करने के नियम को डिलीट करने के निर्देश दिए. धारीवाल जब अपनी बात रख रहे थे तब स्पीकर सीपी जोशी खड़े थे. इस पर धारीवाल ने कहा कि मैं बैठ जाऊं या खड़ा रहा हूं, क्योंकि आपके खड़े रहने पर मुझे बैठना पड़ता है. स्पीकर सीपी जोशी ने भी कहा कि आप बैठें तो बैठ जाएं, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
राज्य सरकार को निर्देश देने के बाद भी दोनों नेताओं के बीच व्यंग जारी रहे. जब स्पीकर ने राज्य सरकार को निर्देश दे दिए तो धारीवाल ने कहा कि आपने दो बार निवेदन किया और अब की बार निर्देश दिया है तो आप के निर्देश की पालना होगी. इस पर सीपी जोशी ने भी धारीवाल को जवाब देते हुए कहा कि मैं केवल आपकी सीनियरिटी देखते हुए निर्देश नहीं दे रहा था, नहीं तो मैं पहली बार में भी निर्देश दे सकता था.
ये था मामला
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव विधायक बलवान पूनिया की ओर से लगाया गया था. जिसमें उन्हें राज्य सरकार की कृषक की परिभाषा पर एतराज था.
जिसके तहत राजस्थान में ऐसे कृषक परिवार जिनमें पूर्व या वर्तमान सांसद, विधायक, जिला प्रमुख, महापौर, पेंशनर्स रहे हैं, ऐसे परिवारों को किसान परिवार नहीं माना गया है. बलवान पूनिया ने कहा कि मेरे 4 बीघा जमीन है मैं एमएलए बन गया या मेरे साथी विधायक गिरधारी जी जो आज भी खेत में टिड्डी उड़ा रहे हैं, मुझे किसान क्यों नहीं मानेंगे.
उन्होंने कहा कि आप अधिसूचित करके कैसे कह सकते हो कि मैं किसान नहीं हूं. आप हमें कृषक का फायदा नहीं देना चाहते हो, तो न दें लेकिन परिभाषित करके हमें कृषक होने से वंचित न कीजिए. हम किसान हैं, किसान की बात करते हैं. आप कागज में यह कैसे कह दोगे कि हम किसान नहीं हैं, इस आदेश को संशोधित करके हमें किसान होने के अधिकार से वंचित मत कीजिए.
इस पर शांति धारीवाल ने भारत सरकार की योजना का हवाला दिया तो स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि भारत सरकार ने तो केवल कृषक सम्मान निधि दिए जाने के लिए यह परिभाषा दी है. भारत सरकार का तर्क है कि इन लोगों को हम कृषक सम्मान निधि नहीं देंगे. लेकिन राजस्थान सरकार क्यों इस परिभाषा का इस्तेमाल कर रही है.
हर किसान को मिले सब्सिडी
किसान एमएलए, प्रमुख, सांसद, पूर्व सांसद, विधायक भी है तो अगर कोई एंटरप्रेन्योरशिप करना चाहता है तो उसे 50% सब्सिडी मिलनी चाहिए. भारत सरकार की गाइडलाइन कृषि सम्मान निधि (Kisan Samman Nidhi ) योजना के तहत है. इसमें उन्होंने डिफाइन किया है कि हम इन्हें किसान सम्मान निधि देंगे और इन्हें नहीं देंगे. जबकि राजस्थान में एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट (Agro Processing Unit) को प्रमोट करने के लिए जो योजना बनाई है, यह अलग है. एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट, वेयरहाउस या एक्सपोर्ट का काम कोई भी करे तो उसे 50 प्रतिशत सब्सिडी मिलनी चाहिए, न कि 25 प्रतिशत.