जयपुर. देश के कई राज्यों ने अलग-अलग कारणों से दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों के लिए भर्तियों के दरवाजे बंद किए हैं. अब राजस्थान से भी यह आवाज उठने लगी है कि दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों को राजस्थान में नौकरियां नहीं देनी चाहिए. यह आवाज राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के ओबीसी विभाग के संयोजक राजेंद्र सेन ने उठाई है.
राजेंद्र सेन ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक पत्र लिखते हुए निवेदन किया है कि 15 से ज्यादा ऐसे राज्य हैं जिन्होंने अपने राज्यों से बाहर के अभ्यर्थियों को अलग-अलग शर्तें लगाकर नौकरी नहीं देने का निर्णय लिया है. लेकिन राजस्थान में अब भी इस तरीके की कोई रोक नहीं है. उन्होंने मांग की है कि राजस्थान सरकार राज्य में होने वाली भर्तियों में केवल राजस्थान के अभ्यर्थियों को ही जगह दें.
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सेन ने कहा कि इससे दूसरे प्रदेशों से आकर राजस्थान में अभ्यर्थी रोजगार नहीं पा सकेंगे. उन्होंने कहा कि राजस्थान में SC के लिए 16 फीसदी, ST के लिए 12 फीसदी, OBC के लिए 21 फीसदी, EWS के लिए 10 फीसदी और MBC के लिए 5 फीसदी आरक्षण है. इस 74 फीसदी आरक्षण के बाद 36 फीसदी सामान्य कोटे के लिए जो नौकरियां बच रही हैं, उसमें बाहरी राज्यों के बेरोजगारों को ज्यादा मौका मिल जाता है और राजस्थान का अभ्यर्थी बेरोजगार रह जाता है.
राजेंद्र सेन ने मांग की है कि अब राजस्थान सरकार को भी चाहिए कि वह अन्य राज्यों की तरह राजस्थान में भी स्थानीय निवासी होने, स्थानीय भाषा का ज्ञान होने और स्थानीय शिक्षण संस्थानों से पास आउट होने जैसी शर्तें लागू करें, ताकि राजस्थान के युवाओं को ही राजस्थान में नौकरियां मिल सके.