जयपुर. केंद्रीय बजट और राज्य सरकार की ओर से बिजली के दामों में भारी बढ़ोतरी के विरोध में मंगलवार को सीपीआईएम, सीपीआई और सीपीआई (एमएल) ने जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया. इस दौरान राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा गया.
राष्ट्रपति को दिए ज्ञापन में बताया गया कि भारत सरकार ने जो केंद्रीय बजट पेश किया है. वह पूरी तरह से जनविरोधी, किसान विरोधी, मजदूर विरोधी, विद्यार्थी विरोधी और कर्मचारी विरोधी है. यह महंगाई बढ़ाने वाला बजट है. इस मंदी के दौर में सभी वर्गों में भारी निराशा उत्पन्न हुई है. इस बजट से मंदी और बढ़ने का संकट पैदा हो गया है. इससे आमजन को कोई राहत नहीं दी गई है बल्कि घरेलू सामानों पर टैक्स बढ़ाकर उन्हें महंगा किया गया है.
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साथ ही बताया कि केंद्रीय बजट के जरिए मनरेगा बजट में दस हजार करोड़ रुपए की कमी की गई है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार में कमी आएगी. इससे शिक्षा, स्वास्थ्य बजट में कटौती कर उसे प्राइवेट क्षेत्र में धकेलने का कार्य किया गया है. साथ ही कहा कि किसानों के बजट में भी काफी कमी की गई है. एफसीआई की खरीद को भी कम बजट देकर घटाया गया है, जिससे सरकार किसान की उपज नहीं खरीदेगी और किसानों को अपनी उपज औने-पौने दामों पर बेचना पड़ेगा.
वहीं, कर्मचारियों को भी इनकम टैक्स में कोई छूट नहीं देकर उनके साथ छलावा किया गया है. देश के बहुत ही महत्वपूर्ण उद्योगों जैसे एचपीसीएल, एलआईसी, एयर इंडिया, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया, कांकन, रेलवे, शिपयार्ड आदि को बेचने का निर्णय भी सरकार ने किया है जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.
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साथ ही मुख्यमंत्री के नाम से दिए गए ज्ञापन में बताया गया है कि राज्य सरकार ने 1 फरवरी से बिजली की दरों में 11 फीसदी की भारी बढ़ोतरी की गई है. इस बढ़ोतरी ने इस महंगाई के दौर में कोढ़ में खाज का काम कर दिया है. बिजली की दरों में बढ़ोतरी कर कांग्रेस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है कि सरकार को आम जनता की परेशानी से कोई मतलब नहीं है. सिर्फ चुनाव जीतने के लिए खोखले नारे दिए जाते हैं. इस दौरान वामपंथी दलों ने ज्ञापन के माध्यम से बढ़ी हुई बिजली की दरों को वापस लेने की मांग की है. साथ ही कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो उनकी ओर से आंदोलन करने की चेतावनी भी दी गई है.