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निकाय चुनाव में अपना गढ़ हारने वाले नेताओं को उपचुनाव की जिम्मेदारी, क्या पार्टी की लाज बचा पाएंगे ये नेता ?

प्रदेश के 20 जिलों के 90 निकायों में हुए चुनाव में अधिकतर जगह भाजपा का कमल नहीं खिल पाया. उम्मीद थी, जो गलती निकाय चुनाव में की उसे पार्टी आगामी चुनाव में दूर कर लेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. पार्टी ने एक बार फिर कुछ ऐसे ही नेताओं पर भरोसा जताया है जो निकाय चुनाव में अपने ही गढ़ नहीं बचा पाए थे. देखिये जयपुर से ये रिपोर्ट...

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भाजपा में इन नेताओं को जिम्मेदारी
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Published : Feb 16, 2021, 4:26 PM IST

जयपुर. राजस्थान की 4 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा की ओर से प्रत्याशियों के चयन का काम शुरू हो गया है. प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में परिवारवाद हावी दिख रहा है. वहीं, भाजपा ने जिन्हें निकाय चुनाव का प्रभारी नियुक्त किया था, एक बार फिर उन्हीं नेताओं पर भरोसा जताते हुए उपचुनाव की जिम्मेदारी सौंपी है. ऐसे में अब आनेवाला समय ही बतलाएगा कि भाजपा के ये दिग्गज पार्टी की लाज बचा पाएंगे या नहीं.

क्या पार्टी की लाज बचा पाएंगे ये नेता...

मदन दिलावर...

दरअसल, 4 विधानसभा क्षेत्रों में होने उपचुनाव के लिए प्रदेश भाजपा ने जो चुनाव पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं, उनमें पार्टी के प्रदेश महामंत्री मदन दिलावर का भी नाम शामिल है. मदन दिलावर को इससे पहले नगर निकाय चुनाव में राजसमंद नगर परिषद में चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन पंचायत चुनाव में इस क्षेत्र में एकतरफा जीत करने वाली भाजपा निकाय चुनाव में हार गई. बतौर प्रभारी इसकी जिम्मेदारी मदन दिलावर पर ही जाती है, लेकिन अब पार्टी ने उन्हें उपचुनाव को लेकर सहाड़ा विधानसभा सीट पर बतौर चुनाव पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी सौंप दी है. राठौड़ के साथ ही इस सीट पर प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ को भी बतौर चुनाव पर्यवेक्षक लगाया है.

यह बात तो रही चुनाव प्रभारी की, लेकिन उपचुनाव क्षेत्रों में जिन पार्टी के बड़े नेताओं को चुनाव पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उनमें कुछ नेता ऐसे भी हैं जिनके अपने गृह जिले में पिछले दिनों हुए निकाय चुनाव में भाजपा का कमल नहीं खिल पाया था. लेकिन अब इन नेताओं को दूसरों जिलों में आने वाली विधानसभा उपचुनाव की सीटों की जिम्मेदारी दी गई है. इन नेताओं में...

गुलाबचंद कटारिया (उदयपुर) व सीपी जोशी (चितौड़गढ़)...

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया उदयपुर जिले से आते हैं, लेकिन उन्हें हाल ही में चुरू जिले के सुजानगढ़ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए पार्टी ने बतौर चुनाव पर्यवेक्षक जिम्मेदारी सौंपी. हाल ही में हुए निकाय चुनाव में उदयपुर जिले की 3 नगर पालिकाओं में से 2 में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा था. इसी तरह प्रदेश उपाध्यक्ष और सांसद सीपी जोशी चित्तौड़गढ़ जिले से आते हैं. यहां पर भी भाजपा को 3 नगरपालिकाओं में से 2 में हार का मुंह देखना पड़ा था. जोशी को भी सुजानगढ़ विधानसभा सीट पर कटारिया के साथ बतौर चुनाव पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी पार्टी ने सौंपी है.

पढ़ें : राजस्थान : उपचुनाव में होगी कांग्रेस और भाजपा की अग्निपरीक्षा

अर्जुन राम मेघवाल (बीकानेर)...

इसी तरह केंद्रीय मंत्री और बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल का गृह जिला बीकानेर है, लेकिन उपचुनाव के लिए उन्हें उदयपुर के वल्लभनगर विधानसभा सीट पर बतौर चुनाव पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी गई है. अब पिछले दिनों बीकानेर जिले में हुए निकाय चुनाव के परिणाम पर भी नजर डालें. बीकानेर में 3 नगर पालिकाओं में हुए चुनाव में से दो में बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा था. महज श्रीडूंगरगढ़ नगर पालिका में ही बीजेपी को जीत मिल पाई थी, जबकि नोखा और देशनोक में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा था.

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इन नेताओं की सीटें हुईं हैं खाली...

राजेंद्र राठौड़ (चुरू)...

प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ का गृह जिला चूरू है, लेकिन पार्टी ने उन्हें भीलवाड़ा के सहाड़ा विधानसभा सीट पर चुनाव पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी है. पिछले दिनों हुए निकाय चुनाव में यदि चूरू जिले में आए परिणामों की बात की जाए तो चूरु जिले में एक नगर परिषद सहित 8 निकायों में चुनाव थे, जिनमें से 5 निकायों में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा जबकि पूर्व में 8 में से 6 निकाय भाजपा के कब्जे में थे.

पढ़ें : Exclusive: आलाकमान की उपेक्षा गलत, वसुंधरा राजे को CM प्रोजेक्ट करें : भवानी सिंह राजावत

कैलाश चौधरी ने बचाई थी लाज...

केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी का गृह जिला को संसदीय क्षेत्र बाड़मेर जैसलमेर है, लेकिन उन्हें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ राज्य संबंध विधानसभा सीट पर चुनाव पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गई है. हालांकि, पिछले दिनों हुए निकाय चुनाव में जैसलमेर जिले की एकमात्र पोकरण नगर पालिका में हुए चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में आए थे. वहीं, जोधपुर जिले में निकाय के कोई चुनाव थे ही नहीं.

प्रदेश नेतृत्व ने जताया विश्वास, खरा उतरना चुनौती भरा काम...

इन विधानसभा सीटों पर जिन नेताओं को पार्टी ने पुराने अनुभव को दरकिनार करके वापस मौका दिया है और विश्वास जताया है तो निश्चित तौर पर इन नेताओं के लिए भी अपने क्षेत्र वाले उपचुनाव सीटों पर भाजपा का कमल खिलाना जरूरी होगा. इसके लिए तमाम नेताओं को ना केवल अपने परिश्रम के पसीने से यहां होने वाले चुनावी दलदल में भाजपा का कमल खिलाना होगा, बल्कि इन नेताओं के पास निकाय चुनाव में हार के गम को उपचुनाव की जीत से दूर करने का एक सुनहरा मौका भी है. हालांकि, देखना लाजिमी होगा कि इस मौके को भुनाने में यह नेता कितने सफल हो पाते हैं.

जयपुर. राजस्थान की 4 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा की ओर से प्रत्याशियों के चयन का काम शुरू हो गया है. प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में परिवारवाद हावी दिख रहा है. वहीं, भाजपा ने जिन्हें निकाय चुनाव का प्रभारी नियुक्त किया था, एक बार फिर उन्हीं नेताओं पर भरोसा जताते हुए उपचुनाव की जिम्मेदारी सौंपी है. ऐसे में अब आनेवाला समय ही बतलाएगा कि भाजपा के ये दिग्गज पार्टी की लाज बचा पाएंगे या नहीं.

क्या पार्टी की लाज बचा पाएंगे ये नेता...

मदन दिलावर...

दरअसल, 4 विधानसभा क्षेत्रों में होने उपचुनाव के लिए प्रदेश भाजपा ने जो चुनाव पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं, उनमें पार्टी के प्रदेश महामंत्री मदन दिलावर का भी नाम शामिल है. मदन दिलावर को इससे पहले नगर निकाय चुनाव में राजसमंद नगर परिषद में चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन पंचायत चुनाव में इस क्षेत्र में एकतरफा जीत करने वाली भाजपा निकाय चुनाव में हार गई. बतौर प्रभारी इसकी जिम्मेदारी मदन दिलावर पर ही जाती है, लेकिन अब पार्टी ने उन्हें उपचुनाव को लेकर सहाड़ा विधानसभा सीट पर बतौर चुनाव पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी सौंप दी है. राठौड़ के साथ ही इस सीट पर प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ को भी बतौर चुनाव पर्यवेक्षक लगाया है.

यह बात तो रही चुनाव प्रभारी की, लेकिन उपचुनाव क्षेत्रों में जिन पार्टी के बड़े नेताओं को चुनाव पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उनमें कुछ नेता ऐसे भी हैं जिनके अपने गृह जिले में पिछले दिनों हुए निकाय चुनाव में भाजपा का कमल नहीं खिल पाया था. लेकिन अब इन नेताओं को दूसरों जिलों में आने वाली विधानसभा उपचुनाव की सीटों की जिम्मेदारी दी गई है. इन नेताओं में...

गुलाबचंद कटारिया (उदयपुर) व सीपी जोशी (चितौड़गढ़)...

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया उदयपुर जिले से आते हैं, लेकिन उन्हें हाल ही में चुरू जिले के सुजानगढ़ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए पार्टी ने बतौर चुनाव पर्यवेक्षक जिम्मेदारी सौंपी. हाल ही में हुए निकाय चुनाव में उदयपुर जिले की 3 नगर पालिकाओं में से 2 में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा था. इसी तरह प्रदेश उपाध्यक्ष और सांसद सीपी जोशी चित्तौड़गढ़ जिले से आते हैं. यहां पर भी भाजपा को 3 नगरपालिकाओं में से 2 में हार का मुंह देखना पड़ा था. जोशी को भी सुजानगढ़ विधानसभा सीट पर कटारिया के साथ बतौर चुनाव पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी पार्टी ने सौंपी है.

पढ़ें : राजस्थान : उपचुनाव में होगी कांग्रेस और भाजपा की अग्निपरीक्षा

अर्जुन राम मेघवाल (बीकानेर)...

इसी तरह केंद्रीय मंत्री और बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल का गृह जिला बीकानेर है, लेकिन उपचुनाव के लिए उन्हें उदयपुर के वल्लभनगर विधानसभा सीट पर बतौर चुनाव पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी गई है. अब पिछले दिनों बीकानेर जिले में हुए निकाय चुनाव के परिणाम पर भी नजर डालें. बीकानेर में 3 नगर पालिकाओं में हुए चुनाव में से दो में बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा था. महज श्रीडूंगरगढ़ नगर पालिका में ही बीजेपी को जीत मिल पाई थी, जबकि नोखा और देशनोक में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा था.

rajasthan byelection
इन नेताओं की सीटें हुईं हैं खाली...

राजेंद्र राठौड़ (चुरू)...

प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ का गृह जिला चूरू है, लेकिन पार्टी ने उन्हें भीलवाड़ा के सहाड़ा विधानसभा सीट पर चुनाव पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी है. पिछले दिनों हुए निकाय चुनाव में यदि चूरू जिले में आए परिणामों की बात की जाए तो चूरु जिले में एक नगर परिषद सहित 8 निकायों में चुनाव थे, जिनमें से 5 निकायों में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा जबकि पूर्व में 8 में से 6 निकाय भाजपा के कब्जे में थे.

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कैलाश चौधरी ने बचाई थी लाज...

केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी का गृह जिला को संसदीय क्षेत्र बाड़मेर जैसलमेर है, लेकिन उन्हें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ राज्य संबंध विधानसभा सीट पर चुनाव पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गई है. हालांकि, पिछले दिनों हुए निकाय चुनाव में जैसलमेर जिले की एकमात्र पोकरण नगर पालिका में हुए चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में आए थे. वहीं, जोधपुर जिले में निकाय के कोई चुनाव थे ही नहीं.

प्रदेश नेतृत्व ने जताया विश्वास, खरा उतरना चुनौती भरा काम...

इन विधानसभा सीटों पर जिन नेताओं को पार्टी ने पुराने अनुभव को दरकिनार करके वापस मौका दिया है और विश्वास जताया है तो निश्चित तौर पर इन नेताओं के लिए भी अपने क्षेत्र वाले उपचुनाव सीटों पर भाजपा का कमल खिलाना जरूरी होगा. इसके लिए तमाम नेताओं को ना केवल अपने परिश्रम के पसीने से यहां होने वाले चुनावी दलदल में भाजपा का कमल खिलाना होगा, बल्कि इन नेताओं के पास निकाय चुनाव में हार के गम को उपचुनाव की जीत से दूर करने का एक सुनहरा मौका भी है. हालांकि, देखना लाजिमी होगा कि इस मौके को भुनाने में यह नेता कितने सफल हो पाते हैं.

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