जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बने भले ही डेढ़ साल हो चुका हो, लेकिन राजस्थान में कांग्रेस की सरकार कैसे बनी इसे लेकर नेताओं के अलग-अलग बयान आते रहे हैं और यह सिलसिला अब भी जारी है. ये सिलसिला अब राजनीतिक मंचों पर अक्सर दिखाई देता है. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार किसकी मेहनत से बनी इस विषय पर सोमवार को फिर उस समय चर्चा छिड़ गई, जब राजस्थान कांग्रेस की ओर से पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ प्रदर्शन किया गया.
इस प्रदर्शन में तेल की कीमतों के साथ ही राजनीतिक बयानबाजी भी जमकर हुई. जहां सबसे पहले बोलते हुए मंत्री बीडी कल्ला ने प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को यह सलाह दी कि हर किसी को 10 पोस्टकार्ड इन कीमतों के विरोध में भारत सरकार के सचिवालय में भेजना चाहिए, तो उनके बाद बोलने आए मंत्री प्रताप सिंह ने डीजल पेट्रोल के इतर बात करते हुए कार्यकर्ताओं की भूमिका को लेकर कहा कि राजस्थान में सरकार कार्यकर्ताओं के संघर्ष के दम पर बनी है. अब उस कार्यकर्ता के सम्मान को हम सुरक्षित रखेंगे.
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सरकार में आ जाने और मंत्री बन जाने का मतलब यह नहीं है कि कार्यकर्ता से हमारी दूरी हो गई है. हम सब आप के दम पर हैं, क्योंकि जब पार्टी का कार्यकर्ता खून पसीना बहाता है तभी पार्टी का नेता सफल होकर सरकार बनाता है. चाहे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट हो या फिर हम सब मंत्री, कार्यकर्ताओं के दम पर ही हैं.
वहीं, मंत्री रमेश मीणा ने मंच पर संबोधन देते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी ने विपक्ष में रहते हुए 5 सालों में राजस्थान की सड़क से लेकर विधानसभा तक प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के नेतृत्व में जो भूमिका निभाई, उसका ही नतीजा है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. ऐसे में उन लोगों को उठाकर बाहर फेंक देना चाहिए जो गरीबों की बात नहीं सुनते हैं. इन सब के बाद अंत में संबोधन देने आए सचिन पायलट ने कहा की पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतें मुझे एक साजिश का हिस्सा लगती है.
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उन्होंने कहा कि जब मांग ही नहीं है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग गिर गई है, तो फिर क्या कारण है कि दाम बढ़ाए जा रहे हैं. उन्होंने मंत्री प्रताप सिंह और बीडी कल्ला की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस तरीके के राजनीतिक कार्यक्रम 6-8 महीने में होते रहने चाहिए, जिससे कि मंत्रियों का गला साफ होता रहे.
उन्होंने बीडी कल्ला का नाम लेते हुए कहा मंत्रालय में धीरे बोलना होता है. जी-जी करना होता है लेकिन यहां जिस हिसाब से आप बोल रहे हैं लगता है कि इन्हें भले ही जिम्मेदारी मंत्री की मिल गई हो लेकिन इनका मन संगठन में काम करने का ही है और संगठन ही हमारी ताकत है. हम विधायक और मंत्री कार्यकर्ता की ताकत से ही बने हैं.