जयपुर. दी डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ सुनील शर्मा के नेतृत्व में वकील बीते 8 जनवरी से आमेर एसडीएम कोर्ट को वापस कलेक्ट्रेट परिसर में लाने के लिए धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि कुछ गांवों का भला करने के चक्कर करीब 136 गांव के लोगों को परेशान किया जा रहा है. कालवाड़ और सीकर रोड पर स्थित इन गांव के लोगों को अब पूरे शहर का चक्कर काटकर आमेर तहसील जाना पड़ रहा है.
शुक्रवार को वकीलों ने न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया. वकीलों ने आंदोलन को 'आमेर कोर्ट लाओ जयपुर बचाओ' नाम दिया है. वकीलों की ओर से आंदोलन में तेजी लाने के निर्णय के बाद शुक्रवार को हड़ताल के दौरान रजिस्ट्री का कार्य बंद रहा, जिससे सरकार की आय पर भी असर पड़ा. रेवेन्यू कोर्ट में भी कोई काम नहीं हुआ.
स्टाम्प वेंडर की हड़ताल से जनता को स्टाम्प के लिए भटकना पड़ा. नोटरी पब्लिक ने भी अपना काम बंद रखा. जिससे शपथ पत्र नहीं बने, मूल निवास का काम भी बंद रहा. दी डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ सुनील शर्मा ने कहा कि वकीलों के 3000 मुकदमें अभी भी आमेर कोर्ट में चल रहे हैं. यदि कोर्ट को जयपुर से आमेर भेजने का मनमर्जी निर्णय वापस नहीं लिया जाता है, तो वकीलों का आंदोलन और तेज होगा.
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इसमें किसान और वकील शामिल रहेंगे. शर्मा ने आरोप लगाया कि कुछ नेता सरकार को गुमराह कर आमेर कोर्ट को आमेर तहसील में ले गए हैं. अगर सरकार आम जनता को सस्ता सुलभ न्याय देना चाहती है तो आमेर कोर्ट को जयपुर में ही रखना उचित होगा.