जयपुर. साल 2020 की आखिरी एकादशी आज है, जिसे मोक्षदा एकादशी कहते हैं. आमतौर पर साल की आखिरी एकादशी के तौर पर सफला एकादशी व्रत किया जाता था, लेकिन इस साल तिथियों में अंतर आने की वजह से मोक्षदा एकादशी को ही साल का अंतिम एकादशी माना गया है.
हिन्दू पंचाग की मानें तो मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी तिथि आज रात 1 बजकर 55 मिनट तक है. वहीं, एकादशी का पारण करने का शुभ समय शनिवार सुबह 8 बजकर 30 मिनट से 9 बजकर 15 मिनट तक रहेगा. इस एकादशी को सच्चे मन और श्रद्धा से व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, इसलिए ही इस एकादशी का नाम मोक्षदा अथार्त मोक्ष देने वाली कहा गया है. आज के दिन भगवान विष्णु जी की कृपा प्राप्त करने के लिए भी इस व्रत को किया जाता है.
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मोक्षदा एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति को मानसिक शांति और सुकून की प्राप्ति होती है. कई भक्त भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए भी मोक्षदा एकादशी का व्रत रखते है. वहीं, ये व्रत करने से व्रती ही नही बल्कि उसके पितरों के किए भी मोक्ष के द्वार खुल जाते है. मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी के व्रत की कथा सुनने से वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्य प्राप्त होता है.