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SPECIAL: 40 लाख से अधिक मजदूरों पर गहराया रोजी-रोटी का संकट.. - rajasthan news

कोरोना वायरस संकट और उससे निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चलते प्रदेश में असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले करीब 40 लाख से अधिक लोग प्रभावित हो रहे हैं. इनसे उनकी नौकरियों और कमाई पर असर पड़ रहा है. जिससे ये मजदूर गरीबी के चक्रव्यूह में फंस सकते हैं. राजस्थान लेबर डिपार्टमेंट ने इन आंकड़ों की पुष्टि की है.

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मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट
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Published : Apr 10, 2020, 9:02 PM IST

जयपुर. कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया, सभी लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी गई. साथ ही सभी फैक्ट्रियां कंपनियों और दुकानों को बंद करने के लिए कहा गया. इससे इस काम से जुड़े लाखों मजदूरों को खाने के लाले पड़ गए हैं.

2010-11 की रिपोर्ट के मुताबिक

मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट

राजस्थान में मजदूर कुल मजदूर- 46.5 लाख

संगठित मजदूर- 2.8 लाख

असंगठित मजदूर- 43.7 लाख

कृषि क्षेत्र में मजदूर- 24.6 लाख

निर्माण क्षेत्र में मजदूर- 4.4 लाख

एक मजदूर 8 लोगों का भरता है पेट...

एक आंकलन के अनुसार मजदूर परिवार का आकार 5 से 8 सदस्य का होता है. ऐसे में स्थिति साफ है कि एक मजदूर का रोजगार जाने से 8 लोगों के जीवन पर असर पड़ेगा. ऐसे में प्रदेश में करीब 40 लाख से अधिक मजदूरों का जीवन प्रभावित हो रहा है. वहीं इनसे जुड़े न जाने कितने करोड़ परिवार गरीबी की चपेट में आ सकते हैं.

यह भी पढ़ें- SPECIAL: 'जिंदगी' और 'मौत' के बीच तालमेल बिठाने वाली एंबुलेंस कितनी मुस्तैद..

घर तो लौट आए पेट कहां से भरें...

असंठित क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूर लॉकडाउन की वजह से जैसे-तैसे करके अपने गांव लौट आए हैं. वहीं कुछ रास्ते में ही फंसे हुए हैं. जो मजदूर लॉकडाउन के दौरान काम नहीं कर पा रहे हैं उनके लिए भी पीएम मोदी ने इन सेक्टरों से अपील की थी कि वे अपने क्षेत्र से जुड़े मजदूरों को सैलरी जरूर दें. लेकिन ईटीवी भारत ने जब ऐसे कंपनी फैक्ट्रियों और दुकानों पर काम करने वाले लोगों से बात की तो उनका दर्द निकलकर सामने आया. इन लोगों को कंपनी मालिकों द्वारा न तो पिछले महीने की सैलरी दी गई और ना ही इनके किसी फोन को रिस्पांस किया जा रहा है.

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मजदूरों पर गहराया संकट

यह भी पढ़ें- SPECIAL: Corona महामारी पर बोले दादाजी, नहीं देखा किसी भी बीमारी का ऐसा प्रकोप

लॉकडाउन से पहले की भी नहीं मिली सैलरी

ये मजदूरों और कारीगर बताते हैं कि लॉकडाउन के समय को तो छोड़िए उन्हें तो इससे पहले की भी तनख्वाह नहीं मिली है. जिससे अब उनके घर कई दिनों से चूल्हे नहीं जल रहे हैं. लाचारी तो यह है कि न कमाने जा सकते हैं और न ही घर बैठे खा सकते हैं. बीच मजधार में फंसे इन लाखों मजदूरों को आने वाले समय में काम मिलेगा या नहीं. इस पर भी कुछ नहीं कहा जा सकता.

जयपुर. कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया, सभी लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी गई. साथ ही सभी फैक्ट्रियां कंपनियों और दुकानों को बंद करने के लिए कहा गया. इससे इस काम से जुड़े लाखों मजदूरों को खाने के लाले पड़ गए हैं.

2010-11 की रिपोर्ट के मुताबिक

मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट

राजस्थान में मजदूर कुल मजदूर- 46.5 लाख

संगठित मजदूर- 2.8 लाख

असंगठित मजदूर- 43.7 लाख

कृषि क्षेत्र में मजदूर- 24.6 लाख

निर्माण क्षेत्र में मजदूर- 4.4 लाख

एक मजदूर 8 लोगों का भरता है पेट...

एक आंकलन के अनुसार मजदूर परिवार का आकार 5 से 8 सदस्य का होता है. ऐसे में स्थिति साफ है कि एक मजदूर का रोजगार जाने से 8 लोगों के जीवन पर असर पड़ेगा. ऐसे में प्रदेश में करीब 40 लाख से अधिक मजदूरों का जीवन प्रभावित हो रहा है. वहीं इनसे जुड़े न जाने कितने करोड़ परिवार गरीबी की चपेट में आ सकते हैं.

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घर तो लौट आए पेट कहां से भरें...

असंठित क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूर लॉकडाउन की वजह से जैसे-तैसे करके अपने गांव लौट आए हैं. वहीं कुछ रास्ते में ही फंसे हुए हैं. जो मजदूर लॉकडाउन के दौरान काम नहीं कर पा रहे हैं उनके लिए भी पीएम मोदी ने इन सेक्टरों से अपील की थी कि वे अपने क्षेत्र से जुड़े मजदूरों को सैलरी जरूर दें. लेकिन ईटीवी भारत ने जब ऐसे कंपनी फैक्ट्रियों और दुकानों पर काम करने वाले लोगों से बात की तो उनका दर्द निकलकर सामने आया. इन लोगों को कंपनी मालिकों द्वारा न तो पिछले महीने की सैलरी दी गई और ना ही इनके किसी फोन को रिस्पांस किया जा रहा है.

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मजदूरों पर गहराया संकट

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लॉकडाउन से पहले की भी नहीं मिली सैलरी

ये मजदूरों और कारीगर बताते हैं कि लॉकडाउन के समय को तो छोड़िए उन्हें तो इससे पहले की भी तनख्वाह नहीं मिली है. जिससे अब उनके घर कई दिनों से चूल्हे नहीं जल रहे हैं. लाचारी तो यह है कि न कमाने जा सकते हैं और न ही घर बैठे खा सकते हैं. बीच मजधार में फंसे इन लाखों मजदूरों को आने वाले समय में काम मिलेगा या नहीं. इस पर भी कुछ नहीं कहा जा सकता.

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