जयपुर. कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए पूरे देश में लॉकडाउन किया गया है. लॉकडाउन के दौरान निजी प्रतिष्ठानों के साथ सार्वजनिक यातायात बंद होने की वजह से कई मजदूर जयपुर में फंसे हुए हैं. लॉकडाउन के चलते काम धंधे बंद हो गए और लोगों की जेब से पैसे भी खत्म हो चुके हैं.
ऐसे में दूसरे राज्यों से आए मजदूरों को रहने के लिए घर और खाने के लिए भोजन के भी लाले पड़ गए हैं. कुछ सामाजिक संगठनों और पुलिस प्रशासन की ओर से दिहाड़ी मजदूरों और खानाबदोश लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन ये पर्याप्त नहीं है. रहने के लिए बड़ी समस्या बनी है. परिवहन सेवाएं बंद होने से हजारों की संख्या में मजदूर जयपुर में ही फंस गए और अपने गांव नहीं जा सके.
शनिवार और रविवार को राज्य सरकार के निर्देशों के बाद जयपुर में फंसे मजदूरों को स्टेट बॉर्डर और डिस्ट्रिक्ट बॉर्डर तक रोडवेज बसों में बैठाकर पहुंचाया गया. लेकिन फिर भी पूरे मजदूर अपने गंतव्य स्थान पर नहीं पहुंच पाए. अभी भी सैकड़ों मजदूर जयपुर में ही फंसे हुए हैं. ऐसे में कई मजदूर लोग पैदल ही अपने गांव के लिए पलायन कर रहे हैं.
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राजधानी जयपुर की सड़कों पर ऐसे कई मजदूर नजर आए जिनके गोद में छोटे-छोटे बच्चे और पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूर जाने को तैयार हो रहे हैं. कई महिलाएं गोद में बच्चे और सिर पर सामान लेकर अपने घर का रास्ता तय करती नजर आई. रोडवेज बसों में बैठाकर जयपुर में फंसे मजदूरों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने की सूचना मिलते ही सारे मजदूर सड़कों पर आ गए और बसों में बैठकर अपने गांव जाने के लिए बस स्टैंडों पर पहुंच गए. सरकार की ओर से मजदूरों को पहुंचाने के लिए रोडवेज बसों के साथ प्राइवेट बसों का भी संचालन किया गया.
शनिवार और रविवार के दिन हजारों मजदूरों को डिस्ट्रिक्ट बॉर्डर और स्टेट बॉर्डर तक पहुंचाया गया, लेकिन केंद्र सरकार के निर्देशों के बाद बसों का संचालन बंद कर दिया गया है. इसके बाद भी हजारों मजदूर अभी जयपुर में ही फंसे हुए हैं. कई मजदूर अभी भी पैदल ही अपने परिवार के साथ पलायन कर रहे हैं. पलायन कर रहे लोगों से अपील की जा रही है कि वह जहां पर हैं, वहीं ठहरे रहें. खाने पीने की व्यवस्था सरकार की ओर से की जाएगी.