जयपुर. कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान अस्पतालों को मजबूत करने के लिए सरकार ने लैब टेक्नीशियन (lab technician) के 1119 पदों पर और रेफियोग्राफर (radiographer) के 1058 पदों पर भर्ती निकालकार यह भर्ती 45 दिन में पूरी करने का दावा किया था. जहां वर्तमान में सरकार का यह दावा पूरी तरह फैल हुआ है. आज एक साल बाद भी चयनित रेडियोग्राफर (radiographer) और लैब टेक्नीशियन (lab technician) नियुक्ति के लिए विभाग के चक्कर लगा रहे हैं. जहां शनिवार को यह अभ्यर्थी राजधानी जयपुर के स्वास्थ्य भवन पहुंचे और यहां नियुक्ति की गुहार लगाई. इनका कहना है कि जल्द इन्हें नियुक्ति नहीं मिली तो आंदोलन का रुख करेंगे.
दरअसल, कोरोना संक्रमण की पहली लहर के बीच सरकार ने जून 2020 में लैब टेक्नीशियन के 1119 पदों और सहायक रेडियोग्राफर के 1058 पदों पर भर्ती निकाली थी. तब यह दावा किया गया था कि इन दोनों भर्तियों की प्रक्रिया 45 दिन में पूरी कर चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाएगी, ताकि कोरोना के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ी जा सके और कोरोना जांच संबंधी काम भी सुचारू तरीके से हो पाए. लेकिन हालात यह है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का असर खत्म होने के बाद भी अभी तक चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं मिल पाई है.
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यह एक बानगी है कि आमजन को स्वास्थ्य सेवाएं और बेरोजगारों को रोजगार मुहैया करवाने को लेकर सरकार कितनी गंभीर है. अब विशेषज्ञ कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका भी जता रहे हैं. बड़ी बात यह है कि यह भर्तियां प्रक्रियाधीन होने के बावजूद संविदा पर प्रयोगशाला सहायक और रेडियोग्राफर को लगाया गया है. हालांकि, सरकार की इस लेटलतीफी का खामियाजा कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में मरीजों और उनके परिजनों को भुगतना पड़ा है.
लैब टेक्नीशियन भर्ती के अभ्यर्थी मानव चौधरी का कहना है कि जून 2020 में लैब टेक्नीशियन के 1119 पदों पर भर्ती निकाली गई थी. अब एक साल से ज्यादा हो चुका है. परीक्षा के बाद इसका परिणाम भी जारी हो चुका है, लेकिन अभी तक महज 439 पदों पर ही नियुक्ति दी गई है. हालांकि 700-800 अभ्यर्थियों का दस्तावेज सत्यापन हो चुका है. लेकिन उन्हें नियुक्ति नहीं मिल पाई है.
उनका कहना है कि विशेषज्ञ कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आने की संभावना जता रहे हैं. ऐसे में इन्हें समय पर नियुक्ति मिल जाए, तो मरीजों की जांच और अन्य कार्यों में तेजी लाई जा सकती है. उनका कहना है कि स्वास्थ्य विभाग में आज भी लैब टेक्नीशियन के कई पद खाली हैं. इस संबंध में विभाग की ओर से समय-समय पर पत्राचार भी किया जाता है. यदि समय रहते इन चयनित अभ्यर्थियों को नौकरी मिल जाती है तो न केवल इन्हें रोजगार मिलेगा, बल्कि अस्पतालों में जांच के काम में भी तेजी आएगी.
रेडियोग्राफर भर्ती के अभ्यर्थी राहुल गौतम का कहना है कि पिछले साल 12 जून को महामारी के बीच रेडियोग्राफर के 1058 पदों पर भर्ती की विज्ञप्ति जारी की गई थी. यह भर्ती भी 45 दिन में पूरी होनी थी, ताकि कोरोना संकट के दौर में मरीजों के एक्सरे और सिटी स्कैन जैसी जांच सुचारू रूप से की जा सके, लेकिन यह भर्ती एक साल बाद भी पूरी नहीं हो पाई है.
हालांकि, 21 मई को परिणाम जारी हो चुका है, लेकिन अभी तक 750 पदों पर परिणाम जारी किया गया है. इस भर्ती में कुछ जांचें भी हुई है और फर्जी अभ्यर्थी भी पाए गए हैं. अनुभव के मामले में भी 6 अभ्यर्थी फर्जी पाए गए हैं. इस भर्ती में 520 अभ्यर्थी सम्पूर्ण योग्यता रखते हैं, उन्हें जल्द से जल्द नियुक्ति देनी चाहिए. उनका कहना है कि विशेषज्ञ कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की संभावना जता रहे हैं. ऐसे में समय रहते यदि रेफियोग्राफर भर्ती पूरी कर अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाए, तो आने वाले कठिन हालत पर पार पाने में आसानी होगी.
एक अन्य अभ्यर्थी प्रिया अग्रवाल का कहना है कि एक साल पूरा हो गया. जबकि भर्ती 45 दिन में पूरी करने का दावा था. परीक्षा हो चुकी है और परिणाम भी जारी हो चुका है. लेकिन अभी तक नियुक्ति नहीं मिली है. बताया जा रहा है कि लैब टेक्नीशियन भर्ती के अभ्यर्थियों को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने 30 जून तक नियुक्ति देने का भरोसा दिलाया था, लेकिन अब 2 जुलाई तक भी उन्हें नियुक्ति नहीं मिल पाई है. ऐसे में लैब टेक्नीशियन और रेडियोग्राफर भर्ती के अभ्यर्थी आंदोलन की रणनीति तय करने में जुटे हैं.
राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष उपेन यादव का कहना है कि 45 दिन में भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का दावा था, लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते एक साल बाद भी नियुक्ति का इंतजार खत्म नहीं हुआ है. अभ्यर्थी विभाग के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन अधिकारी मिलते तक नहीं हैं. उनका कहना है कि अधिकारियों की इसी लापरवाही के खिलाफ आज प्रदेशभर से अभ्यर्थी इकट्ठा हुए हैं और आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श कर रहे हैं.
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इधर, लैब टेक्नीशियन संघ के महेश शर्मा का कहना है कि वर्तमान में प्रदेशभर में लैब टेक्नीशियन के 6400 पद स्वीकृत हैं. इनमें से 50 फीसदी यानि 3200 पद खाली हैं. एक साल पहले सरकार ने 1119 पदों पर भर्ती निकाली और उसमें से भी अब तक 439 अभ्यर्थियों को ही नियुक्ति मिल पाई है. उन्होंने भी लैब टेक्नीशियन के रिक्त पद जल्द भरने की मांग की है. उनका कहना है कि आबादी के हिसाब से प्रदेश में लैब टेक्नीशियन के 10 हजार पद स्वीकृत होने चाहिए.