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जयपुर: 31 तोपों की सलामी के साथ मनायी गई कृष्ण जन्माष्टमी

कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर जयपुर के गोविंद देवजी मंदिर में मंगल गीत गाए गए. गोविंद देवजी और अन्य मंदिरों में श्रीकृष्ण का मध्यरात्रि जन्माभिषेक हुआ. जहां उन्होंने पीत रंग की विशेष पोशाक में भक्तों को ऑनलाइन दर्शन दिए. वहीं मध्यरात्रि में 31 तोपों की सलामी के बीच गोविंद देवजी के अभिषेक दर्शन के लिए गर्भगृह के द्वार खुले तब सभी भक्तों ने ठाकुरजी को निहारा.

krishna janmashtami,  krishna janmashtami celebrated,  Govind Devji Temple
31 तोपों की सलामी के साथ मनायी गई कृष्ण जन्माष्टमी
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Published : Aug 13, 2020, 3:36 AM IST

जयपुर. 'नंद के घर आनंद भयो, जय यशोदा लाल की...हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की' के उद्घोष के साथ कान्हा के स्वागत में छोटी काशी ने पलक पावड़े बिछा दिए. आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में जैसे ही 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हुए तो मानो माहौल पूरा भक्तिमय हो गया. हालांकि कोरोना के चलते भक्त जरूर मंदिर से दूर रहे लेकिन फिर भी कृष्ण जन्मोत्सव का उल्लास कम नहीं हुआ.

गोविंद देवजी मंदिर में मंगल गीत गाए गए

गोविंद देवजी मंदिर से लेकर कृष्ण बलराम मंदिर तक नंदलाल के आने की खुशी में जयपुर नंदगांव बन गया. श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा वृन्दांवन से लेकर छोटी काशी गोविंद देवजी तक उनके जन्मोत्सव के मंगल गीत गाए जा रहे हैं. हर कोई भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन है. भले ही सोशल मीडिया हो लेकिन फिर भी छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गो में भी ठाकुरजी की एक झलक पाने की होड़ मची रही. हर कोई भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप को बिना पलक झपकाए निहार रहा था.

पढ़ें: कोरोना के चलते घरों में ही मनाया गया कृष्ण जन्मोत्सव..बाल गोपाल की सजाई गई मनमोहक झांकिया

गोविंद देवजी और अन्य मंदिरों में श्रीकृष्ण का मध्यरात्रि जन्माभिषेक हुआ. जहां उन्होंने पीत रंग की विशेष पोशाक में भक्तों को ऑनलाइन दर्शन दिए. वहीं मध्यरात्रि में 31 तोपों की सलामी के बीच गोविंद देवजी के अभिषेक दर्शन के लिए गर्भगृह के द्वार खुले तब सभी भक्तों ने ठाकुरजी को निहारा. फिर गोविंद मिश्र द्वारा वेदपाठ हुआ और सालिगराम का पूजन किया गया. इसके बाद ठाकुरजी का 31 किलो दूध, 21 किलो दही, 10 किलो बूरा, 2 किलो घी और 2 किलो शहद से अभिषेक किया गया.

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श्रीकृष्ण ने पीत रंग की विशेष पोशाक में भक्तों को ऑनलाइन दर्शन दिए

आराध्य देव को पंजीरी लड्डू, सागारी लड्डू, सिरसा और रबड़ी का भोग लगाया गया. बता दें कि गोविंद देवजी का विग्रह भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात स्वरूप है. पौराणिक इतिहास के साथ-साथ किदवंती और कथाओं की मानें तो कहा जाता है कि, श्री गोविंद का विग्रह हूबहू श्री कृष्ण के सुंदर और न्याभिराम मुख मंडल और नयनों से मिलता है.

झालावाड़ में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मनाई गई जन्माष्टमी

देश भर में बुधवार को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया गया. बुधवार आधी रात को भगवान कृष्ण ने जन्म ले लिया है. जिसके बाद से मंदिरों में बधाइयां बजनी शुरू हो गई हैं. ऐसे में झालावाड़ के प्रमुख मंदिरों में भी कृष्ण के जन्म के बाद से पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो गया है, कई मंदिरों में जहां सिर्फ पुजारी को ही प्रवेश दिया गया है तो वहीं कई जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ श्रद्धालु भी श्री कृष्ण का दर्शन कर रहे हैं. साथ ही कई जगहों पर श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जा रहा, जिसके चलते श्रद्धालु बाहर से खड़े होकर ही आरती में शामिल हो रहे हैं.

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सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मनाया गया पर्व

पढ़ें: बाड़मेर में जन्माष्टमी के अवसर पर तालाब में विसर्जित किए गए माटी के कान्हा

शहर के प्रमुख राधारमण और सत्यनारायण मंदिर में श्री कृष्ण के जन्म के बाद पूजा अर्चना का कार्यक्रम चल रहा है. इसके लिए मंदिर में आकर्षक झांकी भी सजाई गई है लेकिन कोरोना के चलते मंदिर में बहुत कम लोगों को प्रवेश दिया गया है. कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए कलेक्टर ने कृष्ण जन्माष्टमी सहित आने वाले सभी उत्सवों और कार्यक्रमों के आयोजन पर पाबंदी लगा दी थी.

जयपुर. 'नंद के घर आनंद भयो, जय यशोदा लाल की...हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की' के उद्घोष के साथ कान्हा के स्वागत में छोटी काशी ने पलक पावड़े बिछा दिए. आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में जैसे ही 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हुए तो मानो माहौल पूरा भक्तिमय हो गया. हालांकि कोरोना के चलते भक्त जरूर मंदिर से दूर रहे लेकिन फिर भी कृष्ण जन्मोत्सव का उल्लास कम नहीं हुआ.

गोविंद देवजी मंदिर में मंगल गीत गाए गए

गोविंद देवजी मंदिर से लेकर कृष्ण बलराम मंदिर तक नंदलाल के आने की खुशी में जयपुर नंदगांव बन गया. श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा वृन्दांवन से लेकर छोटी काशी गोविंद देवजी तक उनके जन्मोत्सव के मंगल गीत गाए जा रहे हैं. हर कोई भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन है. भले ही सोशल मीडिया हो लेकिन फिर भी छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गो में भी ठाकुरजी की एक झलक पाने की होड़ मची रही. हर कोई भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप को बिना पलक झपकाए निहार रहा था.

पढ़ें: कोरोना के चलते घरों में ही मनाया गया कृष्ण जन्मोत्सव..बाल गोपाल की सजाई गई मनमोहक झांकिया

गोविंद देवजी और अन्य मंदिरों में श्रीकृष्ण का मध्यरात्रि जन्माभिषेक हुआ. जहां उन्होंने पीत रंग की विशेष पोशाक में भक्तों को ऑनलाइन दर्शन दिए. वहीं मध्यरात्रि में 31 तोपों की सलामी के बीच गोविंद देवजी के अभिषेक दर्शन के लिए गर्भगृह के द्वार खुले तब सभी भक्तों ने ठाकुरजी को निहारा. फिर गोविंद मिश्र द्वारा वेदपाठ हुआ और सालिगराम का पूजन किया गया. इसके बाद ठाकुरजी का 31 किलो दूध, 21 किलो दही, 10 किलो बूरा, 2 किलो घी और 2 किलो शहद से अभिषेक किया गया.

krishna janmashtami,  krishna janmashtami celebrated,  Govind Devji Temple
श्रीकृष्ण ने पीत रंग की विशेष पोशाक में भक्तों को ऑनलाइन दर्शन दिए

आराध्य देव को पंजीरी लड्डू, सागारी लड्डू, सिरसा और रबड़ी का भोग लगाया गया. बता दें कि गोविंद देवजी का विग्रह भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात स्वरूप है. पौराणिक इतिहास के साथ-साथ किदवंती और कथाओं की मानें तो कहा जाता है कि, श्री गोविंद का विग्रह हूबहू श्री कृष्ण के सुंदर और न्याभिराम मुख मंडल और नयनों से मिलता है.

झालावाड़ में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मनाई गई जन्माष्टमी

देश भर में बुधवार को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया गया. बुधवार आधी रात को भगवान कृष्ण ने जन्म ले लिया है. जिसके बाद से मंदिरों में बधाइयां बजनी शुरू हो गई हैं. ऐसे में झालावाड़ के प्रमुख मंदिरों में भी कृष्ण के जन्म के बाद से पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो गया है, कई मंदिरों में जहां सिर्फ पुजारी को ही प्रवेश दिया गया है तो वहीं कई जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ श्रद्धालु भी श्री कृष्ण का दर्शन कर रहे हैं. साथ ही कई जगहों पर श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जा रहा, जिसके चलते श्रद्धालु बाहर से खड़े होकर ही आरती में शामिल हो रहे हैं.

krishna janmashtami,  krishna janmashtami celebrated,  Govind Devji Temple
सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मनाया गया पर्व

पढ़ें: बाड़मेर में जन्माष्टमी के अवसर पर तालाब में विसर्जित किए गए माटी के कान्हा

शहर के प्रमुख राधारमण और सत्यनारायण मंदिर में श्री कृष्ण के जन्म के बाद पूजा अर्चना का कार्यक्रम चल रहा है. इसके लिए मंदिर में आकर्षक झांकी भी सजाई गई है लेकिन कोरोना के चलते मंदिर में बहुत कम लोगों को प्रवेश दिया गया है. कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए कलेक्टर ने कृष्ण जन्माष्टमी सहित आने वाले सभी उत्सवों और कार्यक्रमों के आयोजन पर पाबंदी लगा दी थी.

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