जयपुर. देश के किसानों की ओर से किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने 'कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश, 2020' और 'मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और सुरक्षा) समझौता अध्यादेश, 2020' को वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री से पत्र प्रेषित कर आग्रह किया है. इन अध्यादेशों को लाने का भारत सरकार का मंतव्य और प्रयोजन सही नहीं है. इन अध्यादेशों को लाने के हेतु दर्शाने के लिए सरकार ने जो तर्क दिए है, वे निराधार हैं.
साथ ही कहा कि सरकार के अनुसार इन अध्यादेशों से किसानों को उनकी उपजों को देश भर में बेचने की छूट प्राप्त होगी. कृषि उपजों के विक्रय पर किसानों को किसी भी प्रकार के कर, उपकर या शुल्क नहीं देने पड़ेंगे. ये तर्क वास्तविकता से हट कर है. इसके पूर्व भी किसानों को अपनी उपजों को देशभर में बेचने की छूट थी और उनके विक्रय पर किसी भी प्रकार के कर, उपकार या शुल्क देने की आवश्यकता नहीं थी.
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पत्र के अनुसार सही तथ्य यह है कि सरकार ने बड़ी पूंजी वालों को राज्यों की ओर से बनाए गए कानूनों की परिधि से बाहर कर दिया. उनकी ओर से देय सभी प्रकार के कर, उपकार और शुल्कों से मुक्ति दे दी. इसी प्रकार उनको सम्पूर्ण देश में कृषि उपजों के क्रय-विक्रय करने पर छूट दे दी. इतना ही नहीं तो संग्रहण सीमा को समाप्त करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में प्रावधान कर दिए. उन्हें कृषि उपजों के असीमित भंडारण के लिए सुविधा प्रदान कर दी.
इन सब प्रावधानों के परिणाम स्वरूप कृषि उपजों के व्यापार को हथियाने के लिए बड़ी पूंजी वालों को अवसर दे दिया. इसका देश में विरोध नहीं हो, इसलिए कोरोना काल ही में ये कहर ढाया गया. किसानों को गारंटीड मूल्य की चर्चा कर उचित मूल्य प्राप्ति का आश्वासन देने का प्रचार किया जा रहा है. जबकि इन कानूनों में गारंटीड मूल्य एवं उचित मूल्य प्राप्ति के आश्वासन के लिए कोई प्रावधान नहीं है. बावजूद इसके सरकार इसे प्रचार करके कागज के फूलों से खुशबू बिखेरने जैसा काम कर रही है. राष्ट्रीय अध्यक्ष जाट ने पत्र में प्रकट किया है कि विविधता के कारण देश में 523 से अधिक एग्रो इकोनॉमिक जोन होते हुए भी भारत सरकार “एक राष्ट्र – एक बाजार” का नारा दे रही है. यह नारा विसंगति पूर्ण होने के साथ ही व्यवस्था को केंद्रीकृत करने वाला है. केंद्रीकृत व्यवस्था भ्रष्टाचार और लूट की जननी होती है.
रामपाल जाट की ओर से भेजे गए पत्र के अनुसार देश में 86.6 प्रतिशत किसानों की जोत का अकार 2 हेक्टेयर से कम है. वहीं देश की जोत का औसत आकार 1.15 हेक्टेयर है. इन परिस्थितियों में देश में विकेंद्रीकृत व्यवस्था अधिक कारगर है. छोटी जोत वाले किसानों को उनकी उपजों के अच्छे दाम प्राप्ति के लिए उनकी खरीद ग्रामस्तर पर वर्षभर होना अपरिहार्य है. किसानों की समृद्धि उनकी उपजों के अच्छे दाम प्राप्ति पर निर्भर है. किसानों की आवश्यकता अनुसार भारत सरकार को सभी प्रकार की उपजों की सम्पूर्ण खरीद की गारंटी का कानून लाना चाहिए. इसके विपरीत सरकार बड़े पूंजी वालों को कृषि उपजों के व्यापार पर एकाधिकार सौंपने के लिए कानून बना रही है.