जयपुर. कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर एक साल से ज्यादा समय तक अलग-अलग संगठनों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन किया. संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक जीत हासिल की. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की ऐतिहासिक जीत की खुशी में मंगलवार को सभी संगठनों की ओर से जयपुर में किसान आंदोलन विजयोत्सव (Kisan Andolan Vijayotsav) कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें किसान आंदोलन में अहम योगदान निभाने वाले प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया.
दिल्ली में हुए किसान आंदोलन में जयपुर के भी कई सामाजिक संगठनों ने अहम योगदान दिया. इस आंदोलन को महिला छात्र युवा संगठन, व्यापारिक संगठन, आम जनता, कर्मचारी व ट्रेड यूनियन संगठनों ने तन-मन और धन से अपना पूरा सहयोग दिया. संगठनों ने किसान आंदोलन विजयोत्सव मनाया.
कार्यक्रम में राजस्थान किसान सभा के तारा सिंह सिद्धू, राजस्थान सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष सवाई सिंह, सीआईटीयू के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र शुक्ला, एनएफआईडब्ल्यू की महासचिव निशा सिद्धू, सीपीआई के सचिव नरेंद्र आचार्य, सीपीआईएम के सचिव संजय माधव, ईशा शर्मा आदि को सम्मानित किया गया. साथ ही कार्यक्रम के दौरान आने वाले समय में जनता के अन्य मुद्दों पर किस तरह से संघर्ष किया जाए उसे लेकर भी चर्चा की गई. सभी प्रतिनिधियों ने किसान आंदोलन के दौरान हुए अनुभवों को भी साझा किया.
इस मौके पर सीआईटीयू की उपाध्यक्ष सुमित्रा चोपड़ा ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों पर तीन काले कृषि कानून थोप दिए थे. ये कृषि कानून देश की खेती, किसानी ही नहीं बल्कि आम जनता के हित में भी नहीं थे. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कानून में संशोधन की मांग भी रखी लेकिन किसान नहीं माने.
आखिर में केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानून रद्द करने पड़े. किसानों की ऐतिहासिक जीत हुई और केंद्र सरकार ने एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने के लिए कमेटी भी बना दी. उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में जयपुर के साथियों ने भी अहम योगदान दिया. जो शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पर सर्दी गर्मी बरसात और ठंड में भी डटे रहे.