इसके साथ ही आयोग ने फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड, फोर्टिस हॉस्पिटल व फोर्टिस एस्कॉर्ट हॉस्पिटल के डॉ शैलू कक्कड़ व डॉ नरेश सोनी पर 25 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है.
परिवाद में अधिवक्ता विजय अग्रवाल ने बताया कि परिवादी के यूट्रस में गांठ का डॉ. शैलू कक्कड़ व डॉ नरेश सोनी ने 9 जनवरी 2014 को ऑपरेशन किया. ऑपरेशन के बाद ब्लेडर यूट्रस को सही किया. पार्थी ने 30 जुलाई 2014 को पुनः दिखाया तो उसे राइट साइड की किडनी में काम करना नहीं बताया.
जिसके चलते प्रार्थी को अपनी किडनी निकलवानी पड़ी. वहीं इसके जवाब में हॉस्पिटल ने कहा कि उन्होंने सही ऑपरेशन किया था, लेकिन प्रार्थाी ने आगे फॉलोअप नहीं किया और 6 महीने बाद किडनी के खराब होने पर उसे निकाल दिया गया. उन्होंने इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने हॉस्पिटल में डॉक्टर पर जुर्माना लगाया है.
इलाज में लापरवाही से किडनी खराब...जयपुर के इस नामी अस्पताल पर 25 लाख का जुर्माना
राज्य उपभोक्ता आयोग में महिला के यूट्रस में गांठ के ऑपरेशन के दौरान लापरवाही बरतने और किडनी खराब होने का गंभीर मामला सामने आया है. इसमें अदालत ने हर्जाना राशि परिवाद दायर करने की तारीख 4 मार्च 2016 से 9 फीसदी ब्याज सहित दो माह में अदा करने को कहा है. आयोग ने यह आदेश रेणु सैनी व चरण सैनी के परिवार पर दिया.
इसके साथ ही आयोग ने फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड, फोर्टिस हॉस्पिटल व फोर्टिस एस्कॉर्ट हॉस्पिटल के डॉ शैलू कक्कड़ व डॉ नरेश सोनी पर 25 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है.
परिवाद में अधिवक्ता विजय अग्रवाल ने बताया कि परिवादी के यूट्रस में गांठ का डॉ. शैलू कक्कड़ व डॉ नरेश सोनी ने 9 जनवरी 2014 को ऑपरेशन किया. ऑपरेशन के बाद ब्लेडर यूट्रस को सही किया. पार्थी ने 30 जुलाई 2014 को पुनः दिखाया तो उसे राइट साइड की किडनी में काम करना नहीं बताया.
जिसके चलते प्रार्थी को अपनी किडनी निकलवानी पड़ी. वहीं इसके जवाब में हॉस्पिटल ने कहा कि उन्होंने सही ऑपरेशन किया था, लेकिन प्रार्थाी ने आगे फॉलोअप नहीं किया और 6 महीने बाद किडनी के खराब होने पर उसे निकाल दिया गया. उन्होंने इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने हॉस्पिटल में डॉक्टर पर जुर्माना लगाया है.
Body:परिवाद में अधिवक्ता विजय अग्रवाल ने बताया कि पार्थी के यूट्रस में गांठ का डॉ शैलू कक्कड़ व डॉ नरेश सोनी ने 9 जनवरी 2014 को ऑपरेशन किया। ऑपरेशन के बाद ब्लेडर यूट्रस को सही किया। पार्थी ने 30 जुलाई 2014 को पुनः दिखया तो उसे राइट साइड की किडनी में काम करना नहीं बताया। जिसके चलते प्रार्थी को अपनी किडनी निकालनी पड़ी। वही जवाब में हॉस्पिटल ने कहा कि उन्होंने सही ऑपरेशन किया था, लेकिन प्रार्थना ने आगे फॉलोउप नहीं किया और 6 महीने बाद किडनी के खराब होने पर उसे निकाल दिया गया। उन्होंने इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने हॉस्पिटल में डॉक्टर पर जाना लगाया है।
Conclusion: