जयपुर. राज्यसभा में पारित हुए कृषि से जुड़े तीन विधेयकों के खिलाफ कांग्रेस ने जहां जिला कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा. वहीं, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने विरोध कर रहे कांग्रेस नेताओं पर किसानों को भ्रमित करने का आरोप लगाया. कटारिया ने ये भी कहा कि कांग्रेस नेता आखिर ये बता दें कि इन विधेयकों से किसानों को नुकसान कैसे होगा.
प्रदेश भाजपा मुख्यालय में पत्रकारों से रूबरू होते हुए कटारिया ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग की अधिकतर सिफारिशों को समायोजित करते हुए इन विधेयकों को पारित कराया गया है, जो पूरी तरह किसानों के हित में है. कटारिया ने कहा इन कानून का विरोध करने वाले कांग्रेस के नेता पहले इन तीनों ही बिल को अच्छी तरह पढ़ लें, उसके बाद ही आलोचना करें.
कटारिया ने इन बिल को 'वन नेशन वन मंडी' की अवधारणा बताते हुए विरोध कर रहे कांग्रेसी नेताओं से पूछा कि आखिर उन्हें तकलीफ क्या है. उन्होंने इस दौरान चेतावनी भी दी कि सार्वजनिक रूप से कांग्रेस का कोई समझदार नेता इस मामले में उनसे बहस कर लें और ये बता दें कि इन बिलों में आखिर किसानों को नुकसान कहां है.
कटारिया ने कहा कि एक संशोधन तो 1955 में बने कानून में किया गया लेकिन तब और आज की स्थितियों में बहुत अंतर है. क्योंकि, तब वस्तुओं की सीमित संख्या थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है. यही कारण है कि वस्तुओं की मात्राओं की सीमा को समाप्त कर दिया गया. लेकिन इमरजेंसी के दौरान उसे लागू किया जा सकता है.
इसी तरह कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर जो गलतफहमी कांग्रेस नेताओं द्वारा फैलाई जा रही है. उसके बारे में भी कांग्रेस नेताओं को पूरा ज्ञान उठा लेना चाहिए. क्योंकि, कांटेक्ट फार्मिंग में जमीन पर किसी का कोई अधिकार नहीं होगा. केवल उसमें उत्पन्न होने वाले माल के बारे में ही है और उसमें भी किसान को जो मिनिमम प्राइस में कोई नुकसान होगा तो उसका भार भी किसान पर नहीं आएगा. कटारिया ने कहा तीसरा संशोधन किसान को उसकी उपज कहीं पर भी किसी भी समय बेचने का अधिकार देने से जुड़ा है, जिससे किसान को अपनी उत्पादन को बेचने के लिए एक बड़ा क्षेत्र मिल पाएगा.