जयपुर. सनातन धर्म में सभी मास का अपना महत्व है, लेकिन श्रावण मास का विशेष पवित्र स्थान है. मान्यता है कि श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा होती है. लेकिन इस मास का महत्व और भी बढ़ जाता है जब भगवान विष्णु की कामिका एकादशी की तिथि आती है. श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी के रूप में मनाया जाता है.
ज्योतिषाचार्य के अनुसार कामिका एकादशी के दिन शंख, चक्र, गदा धारण करने वाले भगवान विष्णु की श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव और मधुसूदन नामों से भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए. कामिका एकादशी का शुभ मुहूर्त 16 जुलाई रात 11 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. 17 जुलाई को सुबह 5 बजकर 59 मिनट से 8 बजकर 10 मिनट के बाद व्रत का पारण किया जाएगा. इस समय तक पूजा में तुलसी के पत्तो का भी प्रयोग करें और पूजा करने अंत में विष्णु भगवान की आरती करें.
साथ ही ज्योतिषाचार्य ने बताया कि शाम को भी विष्णु भगवान के समक्ष दीपक जलाकर उनकी आराधना करनी चाहिए. वहीं 17 जुलाई यानी की शुक्रवार को विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर द्वादशी के समय शुद्ध होकर व्रत मुहूर्त के समय खोलें. फिर लोगों में प्रसाद बांटकर और ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें दान-दक्षिणा देना शुभ रहता है.
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शास्त्रों के अनुसार कामिका एकादशी पर भक्त सच्चे मन से श्रावण मास में इस शुभ तिथि पर भगवान नारायण का पूजन और उपवास करते है, उनसे देवता, गंधर्व और सूर्य पूजित हो जाते है. इस दिन जो भक्त भगवान के सामने घी और तिल के तेल का दीपक जलाता है, उसके पुण्यों की गिनती चित्रगुप्त भी नहीं कर पाते. साथ ही उपवास को करने से जीवात्माओं को उनके पाप से मुक्ति मिलती है. उनके सभी कष्ट दूर होकर उनकी इच्छाएं पूर्ण होती है. साथ ही घर-परिवार में सुख-शांति का वास होता है.
दरअसल, भगवान विष्णु के आराध्य देव भगवान भोलेनाथ है और शिव भगवान के आराध्य देव विष्णु भगवान हैं. इसलिए श्रावन मास में एकादशी का आना विशेष संयोग है. आज के दिन कामिका एकादशी पर अमृत काल भी लग रहा है. शास्त्रों में बताया गया है कि जो श्रदालु सच्चे मन जस भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसको बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है.