जयपुर. स्वास्थ्य विभाग में मास्क खरीद मामले को लेकर उपजे विवाद के मामले में सियासत गर्म है. पूर्व चिकित्सा मंत्री और भाजपा के मौजूदा विधायक कालीचरण सराफ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर मास्क खरीद में हुए कथित घोटाले की उच्चस्तरीय जांच करवाने की मांग की है. साथ ही घोटाले में लिप्त आरएमएससी विभाग के अधिकारियों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई और कॉन्ट्रैक्ट रेट से कई जुदा ज्यादा मूल्य पर सप्लाई करने वाली कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड कर उनसे रिकवरी कर एफआईआर दर्ज कराने की भी मांग की है.
बता दें, कि मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में सराफ ने कहा कि साल 2018 में 88 पैसे प्रति माह की दर से कंपनियों का राज्य सरकार के साथ करार हुआ था. जोकि जून 2020 तक का था, लेकिन महामारी के दौर में नियत खराब करके कंपनियों द्वारा कांटेक्ट तोड़कर मास्क सप्लाई रोक दी गई. ऐसे में सवाल आरएमएससी के उन अधिकारियों पर भी उठता है, जिन्होंने कंपनियों पर कांटेक्ट की पालना कराने का दबाव नहीं बनाया और ना ही कोई विधिक कार्रवाई की बल्कि आनन-फानन में कई गुना अधिक मूल्य 6 रूपये 50 पैसे की दर से दूसरी कंपनी से मास्क खरीदने की प्रक्रिया तक आरंभ कर डाली. जो खरीद करीब 20 लाख रुपए की होनी थी वो सवा करोड़ तक पहुंच गई.
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कालीचरण सराफ ने कहा, कि मामला उजागर होने के बाद घोटाला खुलने के डर से अधिकारी और कंपनी हरकत में आई और जानकारी में आया है कि तीन में से दो कंपनियां 88 पैसे की दर से मास्क देने को तैयार भी हो गई. ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि अधिकारियों ने किस उद्देश्य से जल्दबाजी में दूसरी कंपनी से साढ़े 6 रुपये प्रति मास्क खरीदने का करार किया और वो भी आपूर्ति के लिए दुगना अर्थात 28 के बजाय 56 दिन का समय देकर.
सराफ ने कहा, कि ऐसा करके अधिकारी जिन लोगों को फायदा पहुंचाना चाहते थे उनकी पहचान हर हाल में उजागर होना चाहिए. भाजपा विधायक के अनुसार वैश्विक महामारी के दौर में राज्य सरकार भारी आर्थिक संकट से गुजर रही है. इस दौर में लोग आगे आकर आर्थिक मदद और अन्य मदद में जुटे हैं. वहीं, आरएमएससी विभाग के अधिकारी कंपनियों के साथ साठगांठ करके मास्क खरीद में करोड़ों का घोटाला करके सरकारी खजाने को लूटने में लगे हैं.