जयपुर. राजस्थान में भाजपा विपक्ष की भूमिका में है. लिहाजा अपराध से जुड़ा कोई बड़ा मामला होता है तो उसकी निष्पक्ष जांच सीबीआई से ही कराने की मांग भाजपा करती है, क्योंकि केंद्र में भाजपा की सरकार है. पूर्व में ऐसे कई प्रकरण थे, जिनमें भाजपा ने सड़कों पर उतर कर सीबीआई जांच की मांग की और प्रदेश की गहलोत सरकार ने उनमें से कुछ प्रकरण जांच के लिए सीबीआई को सौंप भी दिए. लेकिन कई साल बीतने के बावजूद जांच आगे नहीं बढ़ पाई या फिर कहें सीबीआई उन प्रकरणों में जांच के लिए (CBI Investigation in Alwar Atrocity Case) कोई तत्परता नहीं दिखाई. फिलहाल, इन प्रकरणों में अभी भी न्याय का इंतजार है.
गहलोत सरकार में सीबीआई को गए ये मामले, लेकिन न्याय का है इंतजार : प्रदेश की गहलोत सरकार के 3 साल के कार्यकाल में 3 बड़े प्रकरण जांच के लिए सीबीआई को सौंपे जाने का निर्णय हुआ और अब अलवर मूक-बधिर बालिका से दरिंदगी का ये प्रकरण चौथा है. पूर्व के तीनों ही प्रकरण भाजपा की मांग पर ही सीबीआई को जांच के लिए सौंपने का निर्णय हुआ, लेकिन सीबीआई के स्तर पर अब तक इन प्रकरणों की जांच लंबित पड़ी है. इनमें...
सीआई विष्णुदत्त विश्नोई आत्महत्या प्रकरण : चूरू के राजगढ़ पुलिस थाने के सीआई विष्णु दत्त विश्नोई ने 23 मई 2020 को आत्महत्या कर ली थी. जिसके बाद यह मामला काफी सुर्खियों में रहा. मामले में राजनीति भी हुई और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ सहित भाजपा के कई नेताओं ने इस प्रकरण में कांग्रेस विधायक कृष्णा पूनिया पर कुछ गंभीर आरोप तक लगाए. इसके बाद प्रदेश सरकार ने जून 2020 में इस प्रकरण की सीबीआई जांच करवाने का निर्णय लिया था.
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कमलेश प्रजापत एनकाउंटर मामला : 22 अप्रैल 2021 की रात बाड़मेर पुलिस ने कमलेश प्रजापति का एनकाउंटर किया था. यह एनकाउंटर सियासी विवादों में रहा और पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठे. एनकाउंटर के बाद से ही लगातार कमलेश प्रजापति का परिवार और समाज के लोग इसे फर्जी एनकाउंटर बता रहे थे. वहीं, स्थानीय नेता भी सरकार पर सीबीआई की जांच के लिए दबाव बना रहे थे. राजनीतिक दबाव के बाद प्रदेश की सरकार ने जुलाई 2021 को केंद्र सरकार को इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की, जिसे केंद्र ने मंजूर किया. लेकिन जांच परिणाम अब तक नहीं आ पाया.
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लवली कंडारा एनकाउंटर मामला : 13 अक्टूबर 2021 को रातानाडा थाना पुलिस ने अपराधी लवली का एनकाउंटर किया था. इसके बाद वाल्मीकि समाज सड़कों पर उतरा और एनकाउंटर पर सवाल भी उठाए गए. हालांकि, तब सरकार ने एनकाउंटर करने वाले रातानाडा थाना अधिकारी लीलाराम को हटा दिया था, लेकिन स्थानीय जांच के बाद फिर उसे बहाल कर दिया गया. विरोध तेज होने के बाद प्रदेश सरकार नवंबर 2021 में इस प्रकरण की जांच सीबीआई को भेजने को तैयार हुई.
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इन तीनों प्रकरण के बाद अब चौथा प्रकरण अलवर में भी विमंदित बालिका के साथ हुई दरिंदगी से जुड़ा है, जिसके लिए भी भाजपा ने प्रदेश सरकार पर लगातार दबाव बनाया. इसके चलते सरकार ने इसे सीबीआई को सौंपने का निर्णय लिया. लेकिन सीबीआई के पास जाने के बाद जल्दी ही इस प्रकरण में भी न्याय मिले, इसकी उम्मीद कम ही है.
हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा में लगाया था सीबीआई जांच से जुड़ा सवाल, तब मिला था यह जवाब : आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल ने पिछले दिनों लोकसभा में इससे जुड़ा अतारांकित प्रश्न संख्या 527 लगाया था. जिसमें उन्होंने पूछा था कि राजस्थान और देश के अन्य राज्यों में जांच के लिए सीबीआई के पास लंबित मामलों की संख्या (Cases Pending for CBI) कितनी है और पिछले 5 वर्षों से अधिक समय से लंबित मामलों का क्या ब्यौरा है. प्रश्न के जवाब में सरकार की ओर से जो जानकारी दी गई वो चौंकाने वाली थी.
देशभर के राज्यो के 1,256 मामले जांच के लिए पड़े लंबित : सरकार की ओर से दिए गए जवाब में 25 नवंबर 2021 तक की स्थिति के प्रकरणों की जानकारी दी गई. इसमें बताया गया कि देशभर के अलग-अलग राज्यों और संघ शासित राज्यों से जो मामले (Central Government on CBI Pending Cases) जांच के लिए सीबीआई के पास आए, लेकिन अब तक लंबित पड़े हैं. मतलब जिनका निस्तारण नहीं हो पाया, उसकी संख्या 1256 है. इनमें जांच के लिए लंबित पड़े राजस्थान के प्रकरणों की संख्या 25 हैं. इनमें भी राजस्थान में 3 प्रकरण ऐसे हैं जो पिछले 5 वर्षों से अधिक समय से जांच के लिए सीबीआई के पास लंबित ही पड़े हैं. वहीं, देश भर के करीब 64 प्रकरण ऐसे हैं जो पिछले 5 वर्ष से अधिक समय से सीबीआई के पास जांच के लिए लंबित पड़े हैं. राजस्थान से जुड़ी प्रकरणों में आज भी (CBI Cases in Rajasthan) यही स्थिति है.