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खबरों से प्रभावित होकर न्यायिक अधिकारी ना करे फैसले : हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग से छेड़छाड़ के मामले में सवाई माधोपुर की पॉक्सो अदालत के न्यायाधीश पर टिप्पणी करते हुए कहा कि डीजे स्तर के अधिकारी को अपने फैसले देते समय समाचार पत्र में प्रकाशित खबरों से प्रभावित नहीं होना चाहिए.

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राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Jun 30, 2020, 7:46 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग से छेड़छाड़ के मामले में सवाई माधोपुर की पॉक्सो अदालत के न्यायाधीश पर टिप्पणी करते हुए कहा कि डीजे स्तर के अधिकारी को अपने फैसले देते समय समाचार पत्र में प्रकाशित खबरों से प्रभावित नहीं होना चाहिए. इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि जिले में समान प्रकृति के अपराध होने के आधार पर जमानत अर्जी खारिज नहीं की जानी चाहिए. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश विनोद कुमार उर्फ भोलाराम की जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया.

न्यायाधीश शर्मा ने हाईकोर्ट में दिए अपने आदेश में कहा कि पॉक्सो कोर्ट ने जमानत अर्जी पर आदेश देते समय पुलिस अधिकारियों पर गंभीर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि ऐसी टिप्पणियों से कोर्ट, प्रशासन और पुलिस पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है. कोर्ट को सिर्फ मुकदमे से संबंधित तथ्यों तक ही सीमित रहना चाहिए. अदालत ने पॉक्सो जज को भविष्य में ऐसी प्रतिकूल टिप्पणियां देने को लेकर सचेत रहने के निर्देश दिए हैं.

यह भी पढ़ें: अजमेरः सरकारी क्वार्टर की मरम्मत नहीं होने पर अफसर ने ली कोर्ट की शरण

जमानत अर्जी में कहा गया कि गत फरवरी माह में मलारना डूंगर थाने में याचिकाकर्ता को शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. एसडीएम से जमानत मिलने के बाद उसी दिन याचिकाकर्ता के खिलाफ नाबालिग से छेड़छाड़ करने का मामला दर्ज करा दिया गया. जबकि पहली गिरफ्तारी के समय नाबालिग के पिता ने ऐसा कोई बयान ही नहीं दिया था.

यह भी पढ़ें: हाईकोर्ट ने RAS मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी करने पर लगी रोक हटाई

वहीं 19 जून को पॉक्सो अदालत ने याचिकाकर्ता की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए सब-इंस्पेक्टर स्तर के थाने में पुलिस निरीक्षक स्तर के अधिकारी को नियुक्त करने पर सवाल उठाए. इसके साथ ही अदालत ने थाना इलाके में अत्यधिक बजरी खनन की बात भी कही. वहीं पुलिस की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने आदेश की कॉपी डीजीपी को भेजते हुए थाना अधिकारी जितेंद्र सिंह को गंभीर मामलों में जांच नहीं देने पर विचार करने को कहा था.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग से छेड़छाड़ के मामले में सवाई माधोपुर की पॉक्सो अदालत के न्यायाधीश पर टिप्पणी करते हुए कहा कि डीजे स्तर के अधिकारी को अपने फैसले देते समय समाचार पत्र में प्रकाशित खबरों से प्रभावित नहीं होना चाहिए. इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि जिले में समान प्रकृति के अपराध होने के आधार पर जमानत अर्जी खारिज नहीं की जानी चाहिए. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश विनोद कुमार उर्फ भोलाराम की जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया.

न्यायाधीश शर्मा ने हाईकोर्ट में दिए अपने आदेश में कहा कि पॉक्सो कोर्ट ने जमानत अर्जी पर आदेश देते समय पुलिस अधिकारियों पर गंभीर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि ऐसी टिप्पणियों से कोर्ट, प्रशासन और पुलिस पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है. कोर्ट को सिर्फ मुकदमे से संबंधित तथ्यों तक ही सीमित रहना चाहिए. अदालत ने पॉक्सो जज को भविष्य में ऐसी प्रतिकूल टिप्पणियां देने को लेकर सचेत रहने के निर्देश दिए हैं.

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जमानत अर्जी में कहा गया कि गत फरवरी माह में मलारना डूंगर थाने में याचिकाकर्ता को शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. एसडीएम से जमानत मिलने के बाद उसी दिन याचिकाकर्ता के खिलाफ नाबालिग से छेड़छाड़ करने का मामला दर्ज करा दिया गया. जबकि पहली गिरफ्तारी के समय नाबालिग के पिता ने ऐसा कोई बयान ही नहीं दिया था.

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वहीं 19 जून को पॉक्सो अदालत ने याचिकाकर्ता की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए सब-इंस्पेक्टर स्तर के थाने में पुलिस निरीक्षक स्तर के अधिकारी को नियुक्त करने पर सवाल उठाए. इसके साथ ही अदालत ने थाना इलाके में अत्यधिक बजरी खनन की बात भी कही. वहीं पुलिस की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने आदेश की कॉपी डीजीपी को भेजते हुए थाना अधिकारी जितेंद्र सिंह को गंभीर मामलों में जांच नहीं देने पर विचार करने को कहा था.

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