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विदेशों में नौकरी से लेकर सियासत में एंट्री और समाज की अगुवाई तक...ये है विजय बैंसला का सफरनामा

गुर्जर आरक्षण आंदोलन एक बार फिर राजस्थान में उग्र होता दिख रहा है. इस आंदोलन की अगुवाई गुर्जर नेता विजय बैंसला कर रहे हैं. इस रिपोर्ट में जानिए कौन हैं विजय बैंसला और क्या है उनका सफरनामा...

Gujjar reservation movement latest news, Gujjar leader Vijay Bainsla
गुर्जर नेता विजय बैंसला
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Published : Nov 1, 2020, 11:08 PM IST

जयपुर. एमबीसी आरक्षण सहित विभिन्न मांगों को लेकर गुर्जर आरक्षण आंदोलन की अगुवाई कर रहे गुर्जर नेता विजय बैंसला आज सुर्खियों में हैं. वजह निश्चित तौर पर गुर्जर आरक्षण आंदोलन है, जो एक बार फिर राजस्थान में उग्र होता दिख रहा है. लेकिन कौन हैं विजय बैंसला और क्या है उनका सफरनामा देखिए इस रिपोर्ट में...

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केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के साथ विजय बैंसला

राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन के कर्ता-धर्ता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र विजय सिंह बैंसला आज गुर्जर नेताओं में अग्रिम पंक्ति के नेता माने जाते हैं. कारण साफ है कि इस बार एमबीसी आरक्षण आंदोलन को लेकर पूरे राजस्थान में जिसने अलख जगाई और समाज को एकजुट किया वह विजय बैंसला ही हैं. इस बार कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला से ज्यादा विजय बैंसला इस आंदोलन की अगुवाई करते नजर आए.

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विजय बैंसला-कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला

पढ़ें- गुर्जर आंदोलन को लेकर सरकार खुले मन से कर रही काम: CS निरंजन आर्य

हिमाचल प्रदेश में हुआ जन्म...

उच्च शिक्षित, बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में टॉप मैनेजमेंट स्तर पर विदेशों में नौकरी करने के बाद सियासत में एंट्री और फिर समाज के आरक्षण की मांग पर सब कुछ छोड़कर पटरी पर बैठने तक का सफर तय करने वाले विजय सिंह बैंसला का जन्म 3 नवंबर 1971 को हिमाचल प्रदेश में हुआ. स्कूली शिक्षा सेंट जेवियर्स में हुई और महाराजा कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की.

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विजय बैंसला-कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला

सालों तक टेलीकॉम कंपनियों मे किया है काम...

विजय बैंसला एमएससी करने के साथ ही मार्केटिंग और फाइनेंस में एमबीए किए हुए हैं. लोगों को इस बात की जानकारी शायद ही हो कि आज गुर्जर समाज की अगुवाई कर रहा है युवा सालों तक टेलीकॉम कंपनियों में टॉप लेवल पर नौकरियां कर चुका है. ना केवल भारत बल्कि अफ्रीका, सिंगापुर, मलेशिया और अफगानिस्तान में भी विभिन्न कंपनियों में अच्छी सैलरी पैकेज में विजय बैंसला नौकरियां कर चुके हैं.

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अमित शाह के साथ विजय बैंसला

विजय ने अपनी अंतिम नौकरी काबुल में की थी...

विजय बैंसला ने अपनी अंतिम नौकरी अफगानिस्तान के काबुल में की थी. करीब 3 साल तक यहां नौकरी के बाद वे भारत लौट आए. विजय बैंसला के परिवार में पिता कर्नल किरोड़ी बैसला के साथ ही पत्नी और एक पुत्र भी है.

पढ़ें- गुर्जर आरक्षण आंदोलन: नया समझौता प्रस्ताव लेकर पहुंचे भरतपुर SDM...बैंसला ने मानने से किया इनकार

भाजपा में एंट्री...लेकिन समाज को रखा सर्वोच्च ...

पिछले लोकसभा चुनाव में विजय बैंसला अपने पिता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के साथ भाजपा में शामिल हुए. नौकरी छोड़ सियासत में एंट्री का ये सफर अचंभित करने वाला था क्योंकि पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में ही राजस्थान में सबसे बड़ा गुर्जर आरक्षण आंदोलन हुआ, जिसमें 70 से अधिक गुर्जरों की मौत हुई.

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विजय बैंसला-कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला

किरोड़ी बैंसला ने भाजपा का साथ चुना...

लेकिन समाज के हितों के लिए कर्नल किरोड़ी बैंसला ने भाजपा का साथ चुना और दिल्ली में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की मौजूदगी में कर्नल बैंसला और उनके पुत्र विजय सिंह ने बीजेपी भी ज्वाइन की. भाजपा को लोकसभा चुनाव में इसका फायदा भी मिला और राजस्थान की 24 सीटों पर बीजेपी और 1 पर सहयोगी आरएलपी का कब्जा रहा.

कर्नल बैंसला का भाजपा में जाने का कोई लाभ नहीं...

बीजेपी को तो कर्नल बैंसला के साथ का सियासी फायदा मिला, लेकिन गुर्जर समाज को कर्नल बैंसला का भाजपा में जाने का कोई लाभ नहीं मिला. यही कारण था कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार को केंद्र की मोदी सरकार से मिले एमबीसी समाज के आरक्षण के वादों को जब पूरी तरह अमलीजामा नहीं पहनाया गया तो एक बार फिर समाज ने अपनी हुंकार भरी और इस बार की अगुवाई विजय बैंसला ने की.

जयपुर. एमबीसी आरक्षण सहित विभिन्न मांगों को लेकर गुर्जर आरक्षण आंदोलन की अगुवाई कर रहे गुर्जर नेता विजय बैंसला आज सुर्खियों में हैं. वजह निश्चित तौर पर गुर्जर आरक्षण आंदोलन है, जो एक बार फिर राजस्थान में उग्र होता दिख रहा है. लेकिन कौन हैं विजय बैंसला और क्या है उनका सफरनामा देखिए इस रिपोर्ट में...

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केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के साथ विजय बैंसला

राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन के कर्ता-धर्ता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र विजय सिंह बैंसला आज गुर्जर नेताओं में अग्रिम पंक्ति के नेता माने जाते हैं. कारण साफ है कि इस बार एमबीसी आरक्षण आंदोलन को लेकर पूरे राजस्थान में जिसने अलख जगाई और समाज को एकजुट किया वह विजय बैंसला ही हैं. इस बार कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला से ज्यादा विजय बैंसला इस आंदोलन की अगुवाई करते नजर आए.

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विजय बैंसला-कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला

पढ़ें- गुर्जर आंदोलन को लेकर सरकार खुले मन से कर रही काम: CS निरंजन आर्य

हिमाचल प्रदेश में हुआ जन्म...

उच्च शिक्षित, बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में टॉप मैनेजमेंट स्तर पर विदेशों में नौकरी करने के बाद सियासत में एंट्री और फिर समाज के आरक्षण की मांग पर सब कुछ छोड़कर पटरी पर बैठने तक का सफर तय करने वाले विजय सिंह बैंसला का जन्म 3 नवंबर 1971 को हिमाचल प्रदेश में हुआ. स्कूली शिक्षा सेंट जेवियर्स में हुई और महाराजा कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की.

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विजय बैंसला-कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला

सालों तक टेलीकॉम कंपनियों मे किया है काम...

विजय बैंसला एमएससी करने के साथ ही मार्केटिंग और फाइनेंस में एमबीए किए हुए हैं. लोगों को इस बात की जानकारी शायद ही हो कि आज गुर्जर समाज की अगुवाई कर रहा है युवा सालों तक टेलीकॉम कंपनियों में टॉप लेवल पर नौकरियां कर चुका है. ना केवल भारत बल्कि अफ्रीका, सिंगापुर, मलेशिया और अफगानिस्तान में भी विभिन्न कंपनियों में अच्छी सैलरी पैकेज में विजय बैंसला नौकरियां कर चुके हैं.

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अमित शाह के साथ विजय बैंसला

विजय ने अपनी अंतिम नौकरी काबुल में की थी...

विजय बैंसला ने अपनी अंतिम नौकरी अफगानिस्तान के काबुल में की थी. करीब 3 साल तक यहां नौकरी के बाद वे भारत लौट आए. विजय बैंसला के परिवार में पिता कर्नल किरोड़ी बैसला के साथ ही पत्नी और एक पुत्र भी है.

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भाजपा में एंट्री...लेकिन समाज को रखा सर्वोच्च ...

पिछले लोकसभा चुनाव में विजय बैंसला अपने पिता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के साथ भाजपा में शामिल हुए. नौकरी छोड़ सियासत में एंट्री का ये सफर अचंभित करने वाला था क्योंकि पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में ही राजस्थान में सबसे बड़ा गुर्जर आरक्षण आंदोलन हुआ, जिसमें 70 से अधिक गुर्जरों की मौत हुई.

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विजय बैंसला-कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला

किरोड़ी बैंसला ने भाजपा का साथ चुना...

लेकिन समाज के हितों के लिए कर्नल किरोड़ी बैंसला ने भाजपा का साथ चुना और दिल्ली में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की मौजूदगी में कर्नल बैंसला और उनके पुत्र विजय सिंह ने बीजेपी भी ज्वाइन की. भाजपा को लोकसभा चुनाव में इसका फायदा भी मिला और राजस्थान की 24 सीटों पर बीजेपी और 1 पर सहयोगी आरएलपी का कब्जा रहा.

कर्नल बैंसला का भाजपा में जाने का कोई लाभ नहीं...

बीजेपी को तो कर्नल बैंसला के साथ का सियासी फायदा मिला, लेकिन गुर्जर समाज को कर्नल बैंसला का भाजपा में जाने का कोई लाभ नहीं मिला. यही कारण था कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार को केंद्र की मोदी सरकार से मिले एमबीसी समाज के आरक्षण के वादों को जब पूरी तरह अमलीजामा नहीं पहनाया गया तो एक बार फिर समाज ने अपनी हुंकार भरी और इस बार की अगुवाई विजय बैंसला ने की.

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