जयपुर. राजस्थान में बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक जोगिंदर सिंह अवाना ने कांग्रेस हाईकमान से गुर्जर समाज के व्यक्ति को राज्यसभा में भेजने की मांग की है. अवाना राजस्थान कांग्रेस सरकार में देवनारायण बोर्ड के अध्यक्ष हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि 70 से 75 विधानसभा क्षेत्रों में बड़ी संख्या में गुर्जर समाज के लोग (Condition of Gurjar People in Rajasthan) निवास करते हैं. देश की आजादी से अब तक राज्यसभा में गुर्जर समाज का कोई भी व्यक्ति नहीं गया है. राज्यसभा में गुर्जर समाज का व्यक्ति जरूर जाना चाहिए.
अवाना ने आगे बताया कि बसपा के 6 विधायकों ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी. हम सभी 6 विधायक बसपा से जीते थे और बड़ी उम्मीद के साथ कांग्रेस में आए हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूरे प्रदेश के विकास को लेकर चिंतित रहते हैं. हम मुख्यमंत्री की लोकप्रियता और विकास को देखकर कांग्रेस में आए थे. राज्यसभा के चुनाव 10 जून को होने जा रहे हैं.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जो आदेश होगा और कांग्रेस का जो कैंडिडेट होगा, हम पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ (Rajasthan Rajyasabha Election 2022) कांग्रेस कैंडिडेट को वोट करेंगे. जोगिंदर सिंह अवाना ने बताया कि वर्ष 2008 में देवनारायण बोर्ड का गठन हुआ था. देवनारायण बोर्ड का पहला अध्यक्ष मैं रहा हूं, सभी जिलों में दौरे करना शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात हुई थी तो उन्होंने भी कहा था कि सभी जिलों का दौरा करके लोगों की समस्याएं सुनें.
जिलों में दौरे करने पर मिले मांग पत्र : अभी तक करीब एक दर्जन जिलों का दौरा कर लिया है. सभी जिलों में अच्छा रिस्पांस मिला है. लोगों ने बड़ी संख्या में मांग पत्र दिए हैं. सर्व समाज के लोगों से चर्चा हुई है. कई जिलों से विद्यालय, डेयरी प्लांट, छात्रावासों की मांग आई है. इन सभी मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से चर्चा हुई है. सभी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अवगत करवाया गया है. हमें उम्मीद है कि शीघ्र ही सभी मांगों पर मुहर लगेगी.
राज्यसभा चुनाव में गुर्जर समाज के व्यक्ति को प्राथमिकता देने की मांग : जोगिंदर सिंह अवाना ने बताया कि पूरे राजस्थान में करीब 200 विधानसभा हैं, जिनमें से 70 से 75 विधानसभा ऐसी है जहां पर बड़ी संख्या में गुर्जर समाज के लोग निवास करते हैं. 10 से 15 लोकसभा की सीटें हैं, जिनमें गुर्जर समाज की अच्छी संख्या है. जब से देश आजाद हुआ है, तब से राज्यसभा में गुर्जर समाज का कोई भी व्यक्ति नहीं गया है. उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से कांग्रेस हाईकमान से मांग की है कि राज्यसभा में गुर्जर समाज का कोई ना कोई व्यक्ति जरूर जाना चाहिए.
राजस्थान में राज्यसभा की 2 से 3 सीट होगी, जहां पर हमारी दावेदारी होगी और जीत होगी. गुर्जर समाज का व्यक्ति राज्यसभा में जाएगा तो पूरे देश में बहुत अच्छा मैसेज आएगा. गुर्जर समाज के लिए राजस्थान के लोकप्रिय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हमेशा गंभीर रहते हैं. गुर्जर समाज को आरक्षण दिया, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने गोली चलवाकर गुर्जर समाज के 72 लोगों को मारने का काम किया था.
अशोक गहलोत सरकार ने गुर्जर समाज को बिना लाठी-डंडे चलवाए ही 5 प्रतिशत आरक्षण देने का काम किया है. स्वर्गीय कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने गुर्जर समाज को एकत्रित करने का काम किया था, जिसका समाज को काफी लाभ मिल रहा है. गुर्जर समाज के करीब 38 विद्यार्थी आरएएस के पद पर आए हैं. 1000 से अधिक बच्चे रीट में पास हुए. इसके अलावा हजारों बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर समेत विभिन्न पदों पर आए हैं. छोटे से लेकर बड़े पदों पर गुर्जर समाज के बच्चे निकल कर आगे आ रहे हैं. इसका सारा श्रेय कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला और कांग्रेस सरकार को जाता है.
बसपा से कांग्रेस में आए दो विधायकों को नहीं मिला पद : बसपा से कांग्रेस में 6 विधायक आए थे, जिनमें से 2 विधायकों को कोई पद नहीं मिला है. जिसकी वजह से उनमें नाराजगी देखने को मिल रही है. इस मामले को लेकर देवनारायण बोर्ड के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह अवाना ने कहा कि ऐसा मुझे नहीं लगता कि कोई नाराजगी है. सभी का समायोजन होना संभव नहीं है. जिस तरह से धीरे-धीरे मंत्रालय बंटे और फिर मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ, फिर बोर्ड के अध्यक्ष बनाए गए. अभी कुछ संसदीय सचिव और कुछ अन्य पद भी बाकी हैं. हमारे विधायक साथी वाजिब अली खान और संदीप यादव को बहुत शीघ्र बड़ी जिम्मेदारी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत देंगे. ऐसी हम आशा करते हैं.
कपिल सिब्बल के सपा ज्वाइन करने पर बोले जोगिंदर अवाना : कपिल सिब्बल के सपा पार्टी ज्वाइन करने पर जोगिंदर सिंह अवाना ने कहा कि वह कांग्रेस पार्टी में लंबे समय से थे. यह तो बड़े नेता हैं और यह उनका निर्णय है कि कहां जाना और कहां नहीं जाना है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इतने लोकप्रिय हैं कि कांग्रेस पार्टी के नेता पार्टी छोड़ना तो दूर, दूसरे दलों के नेता भी प्रभावित होकर कांग्रेस को ज्वाइन किया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छवि गांधीवादी नेता की है.