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राजस्थान के रहने वाले JNU के सिक्योरिटी गार्ड रामजल ने लहराया परचम, रशियन लैंग्वेज प्रवेश परीक्षा पास कर बना JNU का छात्र

'ये राहें ले ही जाएंगी मंज़िल तक होंसला रख, कभी सुना है कि अंधेरो ने सवेरा होने ना दिया' इस कहावत को सच कर दिखाया है जेएनयू के एक सिक्योरिटी गार्ड ने. जेएनयू में 5 साल से गार्ड का काम करने वाले शख्स ने वहां का एग्जाम निकाल दिया. अब वो वहीं पढ़ाई करेंगे.

सिक्योरिटी गार्ड बना जेएनयू का छात्र
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Published : Jul 15, 2019, 11:30 PM IST

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में 5 साल से सिक्योरिटी गार्ड का काम करने वाले रामजल मीणा ने जेएनयू में बीए रशियन लैंग्वेज की प्रवेश परीक्षा पास कर ली है. अब वे इसी विद्यालय में अपनी पढ़ाई करेंगे. सत्र 2019-20 के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षा में रामजल मीणा ने बीए रशियन लैंग्वेज की पढ़ाई के लिए आवेदन किया था. जिसे उन्होंने सफलता पूर्वक पास कर लिया है. अब उनका अगला लक्ष्य सिविल सर्विसेज की परीक्षा देना है.

कौन हैं रामजल मीणा
राजस्थान के भजेड़ा गांव से ताल्लुक रखने वाले रामजल मीणा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बतौर सिक्योरिटी गार्ड काम करते हैं. उनका सपना तो कुछ और ही था पर आजीविका के कारण नौकरी तलाशनी पड़ी. कहते हैं ना कि जो मंज़िलों को पाने की चाहत रखते हैं वो समंदरों पर भी पुल बना लिया करते हैं. रामजल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने के बावजूद पढ़ाई की लगन कुछ ऐसी थी कि दिन भर की ड्यूटी के बीच समय निकालकर वे पढ़ाई भी करते रहे. नतीजतन उन्होंने प्रवेश परीक्षा पास कर ली.

सिक्योरिटी गार्ड ने पास किया एंट्रेंस एग्जाम..

पारिवारिक दायित्वों के लिए करनी पड़ी नौकरी
अपनी इस सफलता के बारे में बताते हुए रामजल मीणा ने कहा कि उनका सपना था कि सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास कर बड़े ओहदे पर बैठकर देश की सेवा करें. साथ ही अपने कस्बे का नाम भी रोशन करें लेकिन पारिवारिक दायित्वों के लिए उन्हें नौकरी करनी पड़ी.

'कभी नहीं छोड़ी पढ़ाई'
जिसके बाद इन्होंने सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी शुरू कर दी. इनके सपनों को हौसला तब मिला जब इनकी पोस्टिंग जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई. उन्होंने कहा कि छात्रों को यहां दिन रात पढ़ते देखकर उनकी भी इच्छा हुई कि वे भी सिविल सर्विसेज की परीक्षा की तैयारी करें. उन्होंने बताया कि भले ही परिस्थिति वश उन्हें नौकरी करनी पड़ रही हो पर उन्होंने पढ़ाई कभी नहीं छोड़ी.

'छात्रों ने की मदद'
उन्होंने बताया कि वे बचपन से ही मेधावी छात्र रहे हैं, लेकिन पारिवारिक ज़िम्मेदारी और परिस्थितियों की वजह से सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करनी पड़ी. काम के दौरान ही छात्रावास में रहने वाले छात्रों से बातचीत के दौरान उन्हें इस एंट्रेंस एग्जाम के बारे में पता चला. छात्रों ने ही उनका फॉर्म भरा. इसके अलावा परीक्षा परिणाम भी छात्रों ने ही बताया जिसे सुनकर ये उम्मीद बंध गयी है कि बचपन से देखा हुआ सपना साकार हो जाएगा. उन्होंने बताया कि खुद तो वो बेहतर शिक्षा में विश्वास रखते हैं. साथ ही अपने बच्चों को भी एक बेहतर भविष्य देना चाहते हैं.

'रामजल के हैं तीन बच्चे'
बता दें कि रामजल मीणा के तीन बच्चे हैं जो मुनिरका में सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. इस साल जून में आयोजित सिविल सर्विसेस की परीक्षा भी इन्होंने दी है. इससे पहले भी इन्होंने कई बार आर्मी, पुलिस आदि की प्रतियोगी परीक्षाएं दी हैं लेकिन असफल रहे. इसके बाद भी इन्होंने कभी हार नहीं मानी और ना ही पढ़ाई छोड़ी.

इस सत्र में ने बीएड की परीक्षा भी दी थी जिसमें वे पास भी हो गए लेकिन बजाय बीएड करने के उन्होंने जेएनयू में दाखिला ले लिया. उन्होंने बताया कि जेएनयू में दाखिला लेने के बाद भी वह अपनी नौकरी जारी रखना चाहते हैं जिससे उनके परिवार का भरण पोषण हो सके और वो अपनी पढ़ाई भी बदस्तूर जारी रख सकें.

'सभी ने की मदद'
अपनी सफलता का श्रेय जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों को देते हुए गार्ड रामजल ने कहा कि सभी ने उनकी पढ़ाई में हर संभव मदद की थी. जिस वजह से वे आज यह परीक्षा पास कर पाए हैं. जेएनयू में 2016 में हुए विवाद को लेकर पूछने पर उन्होंने बताया कि भले ही परिस्थितियों की वजह से जेएनयू में समय-समय पर विवाद होते रहते हैं पर स्थित नियंत्रण में रहती है. इससे वहां की शिक्षक और शिक्षण पद्धति पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और पढ़ाई का माहौल भी बना रहता है.

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में 5 साल से सिक्योरिटी गार्ड का काम करने वाले रामजल मीणा ने जेएनयू में बीए रशियन लैंग्वेज की प्रवेश परीक्षा पास कर ली है. अब वे इसी विद्यालय में अपनी पढ़ाई करेंगे. सत्र 2019-20 के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षा में रामजल मीणा ने बीए रशियन लैंग्वेज की पढ़ाई के लिए आवेदन किया था. जिसे उन्होंने सफलता पूर्वक पास कर लिया है. अब उनका अगला लक्ष्य सिविल सर्विसेज की परीक्षा देना है.

कौन हैं रामजल मीणा
राजस्थान के भजेड़ा गांव से ताल्लुक रखने वाले रामजल मीणा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बतौर सिक्योरिटी गार्ड काम करते हैं. उनका सपना तो कुछ और ही था पर आजीविका के कारण नौकरी तलाशनी पड़ी. कहते हैं ना कि जो मंज़िलों को पाने की चाहत रखते हैं वो समंदरों पर भी पुल बना लिया करते हैं. रामजल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने के बावजूद पढ़ाई की लगन कुछ ऐसी थी कि दिन भर की ड्यूटी के बीच समय निकालकर वे पढ़ाई भी करते रहे. नतीजतन उन्होंने प्रवेश परीक्षा पास कर ली.

सिक्योरिटी गार्ड ने पास किया एंट्रेंस एग्जाम..

पारिवारिक दायित्वों के लिए करनी पड़ी नौकरी
अपनी इस सफलता के बारे में बताते हुए रामजल मीणा ने कहा कि उनका सपना था कि सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास कर बड़े ओहदे पर बैठकर देश की सेवा करें. साथ ही अपने कस्बे का नाम भी रोशन करें लेकिन पारिवारिक दायित्वों के लिए उन्हें नौकरी करनी पड़ी.

'कभी नहीं छोड़ी पढ़ाई'
जिसके बाद इन्होंने सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी शुरू कर दी. इनके सपनों को हौसला तब मिला जब इनकी पोस्टिंग जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई. उन्होंने कहा कि छात्रों को यहां दिन रात पढ़ते देखकर उनकी भी इच्छा हुई कि वे भी सिविल सर्विसेज की परीक्षा की तैयारी करें. उन्होंने बताया कि भले ही परिस्थिति वश उन्हें नौकरी करनी पड़ रही हो पर उन्होंने पढ़ाई कभी नहीं छोड़ी.

'छात्रों ने की मदद'
उन्होंने बताया कि वे बचपन से ही मेधावी छात्र रहे हैं, लेकिन पारिवारिक ज़िम्मेदारी और परिस्थितियों की वजह से सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करनी पड़ी. काम के दौरान ही छात्रावास में रहने वाले छात्रों से बातचीत के दौरान उन्हें इस एंट्रेंस एग्जाम के बारे में पता चला. छात्रों ने ही उनका फॉर्म भरा. इसके अलावा परीक्षा परिणाम भी छात्रों ने ही बताया जिसे सुनकर ये उम्मीद बंध गयी है कि बचपन से देखा हुआ सपना साकार हो जाएगा. उन्होंने बताया कि खुद तो वो बेहतर शिक्षा में विश्वास रखते हैं. साथ ही अपने बच्चों को भी एक बेहतर भविष्य देना चाहते हैं.

'रामजल के हैं तीन बच्चे'
बता दें कि रामजल मीणा के तीन बच्चे हैं जो मुनिरका में सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. इस साल जून में आयोजित सिविल सर्विसेस की परीक्षा भी इन्होंने दी है. इससे पहले भी इन्होंने कई बार आर्मी, पुलिस आदि की प्रतियोगी परीक्षाएं दी हैं लेकिन असफल रहे. इसके बाद भी इन्होंने कभी हार नहीं मानी और ना ही पढ़ाई छोड़ी.

इस सत्र में ने बीएड की परीक्षा भी दी थी जिसमें वे पास भी हो गए लेकिन बजाय बीएड करने के उन्होंने जेएनयू में दाखिला ले लिया. उन्होंने बताया कि जेएनयू में दाखिला लेने के बाद भी वह अपनी नौकरी जारी रखना चाहते हैं जिससे उनके परिवार का भरण पोषण हो सके और वो अपनी पढ़ाई भी बदस्तूर जारी रख सकें.

'सभी ने की मदद'
अपनी सफलता का श्रेय जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों को देते हुए गार्ड रामजल ने कहा कि सभी ने उनकी पढ़ाई में हर संभव मदद की थी. जिस वजह से वे आज यह परीक्षा पास कर पाए हैं. जेएनयू में 2016 में हुए विवाद को लेकर पूछने पर उन्होंने बताया कि भले ही परिस्थितियों की वजह से जेएनयू में समय-समय पर विवाद होते रहते हैं पर स्थित नियंत्रण में रहती है. इससे वहां की शिक्षक और शिक्षण पद्धति पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और पढ़ाई का माहौल भी बना रहता है.

Intro:नई दिल्ली ।

'ये राहें ही ले जाएंगी मंज़िल तक हौसला रख, कभी सुना है कि अंधेरे ने सवेरा ना होने दिया' इस कहावत को सच कर दिखाया है जेएनयू में बतौर सिक्युरिटी गार्ड काम करने वाले रामजल मीणा के जज़्बे ने. बता दें कि रामजल मीणा ने जेएनयू में सत्र 2019-20 के लिए सभी विषयों के लिए आयोजित हुई प्रवेश परीक्षा में इन्होंने बीए रशियन लैंग्वेज की दाखिला परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है और अब उनका अगला लक्ष्य है सिविल सर्विसेज की परीक्षा देना.




Body:राजस्थान के एक छोटे से कस्बे से ताल्लुक रखने वाले रामजल मीणा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बतौर सिक्युरिटी गार्ड काम करते हैं. उनका सपना तो कुछ और ही था पर आजीविका के कारण नौकरी तलाशनी पड़ी. कहते हैं ना कि जो मंज़िलों को पाने की चाहत रखते हैं वो समंदरों पर भी पुल बना लिया करते हैं. रामजल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. सिक्युरिटी गार्ड की नौकरी करने के बावजूद पढ़ाई की लगन कुछ ऐसी बढ़ी कि दिन भर की ड्यूटी के बीच समय निकालकर पढ़ाई भी करते रहे. नतीजतन जेएनयू में आयोजित दाखिला प्रवेश परीक्षा पास कर ले गए. जहां इस बात से सभी हैरान हैं वहीं रामजल मीणा को तो जैसे आगे बढ़ने की चाबी ही मिल गयी है.

अपनी इस सफलता के बारे में बताते हुए रामजल मीणा ने कहा कि उनका सपना था कि सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास कर बड़े ओहदे पर बैठकर देश की सेवा करें और अपने कस्बे का नाम रोशन करें. पारिवारिक दायित्वों के चलते ये सपना जैसे कहीं खो गया और इन्होंने सिक्युरिटी गार्ड की नौकरी शुरू कर दी. इनके सपनों को हौसला तब मिला जब इनकी पोस्टिंग जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई. उन्होंने कहा कि छात्रों को यहां दिन रात पढ़ते देखकर उनकी भी इच्छा हुई कि वे भी सिविल सर्विसेज की परीक्षा की तैयारी करें. वहीं उन्होंने बताया कि भले ही परिस्थिति वश उन्हें नौकरी करनी पड़ रही हो पर उन्होंने पढ़ाई कभी नहीं छोड़ी.

वहीं उन्होंने बताया कि वे बचपन से ही मेधावी छात्र रहे हैं. लेकिन पारिवारिक ज़िम्मेदारी और परिस्थितियों के चलते सिक्युरिटी गार्ड की नौकरी करनी पड़ी. वहीं काम के दौरान ही छात्रावास में रहने वाले छात्रों से बातचीत के दौरान उन्हें इस एंट्रेंस एग्जाम के बारे में पता चला और छात्रों ने ही उनका फॉर्म भी भरा. इसके अलावा परीक्षा परिणाम भी छात्रों ने ही बताया जिसे सुनकर ये उम्मीद बंध गयी है कि बचपन से देखा हुआ सपना साकार हो जाएगा.

वहीं उन्होंने बताया कि खुद तो वो बेहतर शिक्षा में विश्वास रखते हैं साथ ही अपने बच्चों को भी एक बेहतर भविष्य देना चाहते हैं. वहीं बच्चे भी अपने पिता के नक्शे कदम पर चलकर शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन दे रहे हैं. बता दें कि रामजल मीणा के तीन बच्चे हैं जो मुनिरका में सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. ज्ञात हो कि इस सत्र जून में आयोजित हुई सिविल सर्विसेस की परीक्षा भी इन्होंने दी है. ज्ञात हो कि इससे पहले भी इन्होंने कई बार आर्मी, पुलिस आदि की कई प्रतियोगी परीक्षाएं दी हैं लेकिन असफल रहे. इसके बाद भी इन्होंने कभी हार नहीं मानी और ना ही पढ़ाई छोड़ी. बता दें कि इस सत्र उन्होंने बीएड की परीक्षा भी दी थी जिसमें वे पास भी हो गए लेकिन बजाय बीएड करने के उन्होंने जेएनयू में दाखिला ले लिया.

वहीं उन्होंने बताया कि जेएनयू में दाखिला लेने के बाद भी वह अपनी नौकरी जारी रखना चाहते हैं जिससे उनके परिवार का भरण पोषण भी हो सके और वो अपनी पढ़ाई भी बदस्तूर जारी रख सकें.



Conclusion:वहीं अपनी सफलता का श्रेय जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों को देते हुए गार्ड रामजल ने कहा कि सभी ने उनकी पढ़ाई में हर संभव मदद की थी जिसके चलते वे आज यह परीक्षा पास कर पाए हैं. वहीं जेएनयू में 2016 में हुए विवाद को लेकर पूछने पर उन्होंने बताया कि भले ही परिस्थितियों के चलते जेएनयू में समय समय पर विवाद होते रहते हैं पर स्थित नियंत्रण में रहती है और इससे वहां की शिक्षक और शिक्षण पद्धति पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और पढ़ाई का अच्छा माहौल बना रहता है.
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