जयपुर. राजधानी में 162 मीटर से बड़े भूखंडों पर जी प्लस 2 प्रकार के आवासीय यूनिट बनाने वाले बिल्डर्स जेडीए बिल्डिंग बायलॉज 2011 और 2017 के बीच उलझे हुए हैं. जयपुर के पृथ्वीराज नगर सहित अन्य इलाकों में बिल्डर्स की ओर से बिल्डिंग बायलॉज 2011 के नियमों के तहत 30 फीट की रोड पर जी प्लस 2 आवासीय बिल्डिंग का निर्माण किया जा रहा है.
हालांकि पूर्वर्ती बीजेपी सरकार ने बिल्डिंग बायलॉज 2017 लागू करते हुए जी प्लस 2 के लिए 40 फीट रोड होना सुनिश्चित करने का नियम लागू किया था. और इसी नियम को ध्यान में रखते हुए जेडीए का पीला पंजा इन बिल्डिंग्स पर पड़ रहा है, जो फिलहाल बिल्डर्स के लिए गले की फांस बना हुआ है.
इस संबंध में बिल्डर्स महासंघ के रमेश यादव ने बताया कि 2011 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार की ओर से 9 मीटर रोड पर प्लाट के साइज के अनुसार अलग-अलग इकाई निर्धारित की गई थी, लेकिन इस नियम को पूर्वर्ती बीजेपी सरकार की ओर से 12 मीटर कर दिया गया. उन्होंने दावा किया कि जयपुर में अधिकतर रोड 30 फिट की है. जिस पर जी प्लस 2 का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन जेडीए बिल्डिंग बायलॉज 2017 को आधार मानकर इन पर कार्रवाई कर रहा है. ऐसे में बिल्डर्स अब बिल्डिंग बायलॉज बदलने की मांग कर रहे हैं.
उधर, जेडीए पुलिस अधीक्षक प्रीति जैन ने बताया कि निर्माणाधीन बिल्डिंग्स का काम रोकने के लिए पहले नोटिस दिया गया और काम नहीं रोकने पर अवैध निर्माण पर कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने ये भी साफ किया कि ये सभी बिल्डिंग साल 2019 में ही बनना शुरू हुई हैं. जिन पर बिल्डिंग बायलॉज 2017 के तहत कार्रवाई की जा रही है. जेडीए ने ऐसी किसी बिल्डिंग पर कार्रवाई नहीं की जो पहले बनाई गई हो.
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हालांकि जेडीए की सख्ती के बाद बिल्डर्स आगे से ऐसे निर्माण नहीं करने को लेकर रजामंद हुए हैं और जिन निर्माणों में कमी हैं, उनमें भी सुधार की बात कह रहे हैं. उनकी अपील है कि फिलहाल जेडीए की ओर से तोड़फोड़ की कार्रवाई बंद की जाए, लेकिन जेडीए बिल्डिंग बायलॉज के विरुद्ध बनाई गई बिल्डिंग्स की सूची तैयार कर चुका है और इन पर नियमित कार्रवाई भी कर रहा है. अब देखना होगा कि इस संबंध में यूडीएच मंत्री क्या कोई बीच का रास्ता निकालते हैं या नहीं.