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स्पेशल रिपोर्ट: जेडीए की मनमानी!...2 साल से जयपुर नगर निगम को नहीं दी हिस्सा राशि

जेडीए जयपुर नगर निगम को दिए जाने वाली हिस्सा राशि का भुगतान नहीं कर रहा है साल 2018 19 और इस साल भी जेडीए की ओर से ₹1 भी इस मद में नहीं दिया गया. ऐसे में नगर निगम के इनकम स्टेटस में दूसरी मदों की तुलना में जेडीए का कॉलम जीरो है. देखिए जयपुर से स्पेशल रिपोर्ट..

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जेडीए की मनमानी!
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Published : Dec 25, 2019, 10:34 PM IST

Updated : Dec 26, 2019, 12:20 AM IST

जयपुर. राज्य सरकार के नियमों के तहत विकास प्राधिकरण की ओर से आवंटन और नीलामी के जरिए विक्रय किए गए भूमि/भवन से प्राप्त विक्रय राशि का 15% हिस्सा राशि संबंधित नगरीय निकायों को हस्तांतरित करना होता है, लेकिन जेडीए (जयपुर विकास प्राधिकरण ) ने बीते 2 साल से जयपुर नगर निगम को उसकी हिस्सा राशि नहीं दी है. यही नहीं साल 2014 से लेकर अब तक लगातार देय राशि का ग्राफ गिरता चला जा रहा है.

जेडीए की मनमानी!
साल हिस्सा राशि
2014-15 90 करोड़ ₹
2015-16 55 करोड़ ₹
2016-17 20 करोड़ ₹
2017-18 10 करोड़ ₹
2018-19 0 ₹
2019-अब तक 0 ₹

इस संबंध में रेवेन्यू उपायुक्त नवीन भारद्वाज ने बताया कि कॉरपोरेशन एरिया में यूआईटी और डेवलपमेंट अथॉरिटी होती हैं. उनके लिए 2010 में नियम बनाए गए थे, कि जो भी वो ऑक्शन या अलॉटमेंट से भूमि बेचते या डिस्पोज करते हैं, उस कीमत का 15% नगर निगम और नगरीय निकाय को जमा कराना होता है. हालांकि 2018 से इस मद में कोई पैसा जमा नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि इससे पहले तक जेडीए ये पैसा जमा कराती रही है.

पढ़ें- जयपुर: 31 दिसंबर तक लीज राशि एकमुश्त जमा कराने पर ब्याज में मिलेगी 100 फीसदी की छूट

निगम प्रशासक विजय पाल सिंह को भी इसकी जानकारी है, लेकिन इस पर एक्शन लेने की बात पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और सचिव स्तर पर जेडीए से बातचीत की जा रही है. इसके अलावा पीएचईडी में भी सीवरेज चार्ज बकाया चल रहा है. इसे लेकर दोनों विभागों को पत्र भी लिखा जा चुका है. अब बैठक करके अकाउंट क्लियर किए जाएंगे.

पढ़ें- जयपुर में ठप पड़े एलिवेटेड और आरओबी के निर्माण कार्यों को मिलेगी गति, जेडीसी ने दिए निर्देश

आपको बता दें कि निगम और जेडीए के अधिनियम में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार द्वारा 2010 में ये निर्देश प्रदान किए गए थे। लेकिन अब जेडीए इन नियमों को ताक पर रखे हुए है.

जयपुर. राज्य सरकार के नियमों के तहत विकास प्राधिकरण की ओर से आवंटन और नीलामी के जरिए विक्रय किए गए भूमि/भवन से प्राप्त विक्रय राशि का 15% हिस्सा राशि संबंधित नगरीय निकायों को हस्तांतरित करना होता है, लेकिन जेडीए (जयपुर विकास प्राधिकरण ) ने बीते 2 साल से जयपुर नगर निगम को उसकी हिस्सा राशि नहीं दी है. यही नहीं साल 2014 से लेकर अब तक लगातार देय राशि का ग्राफ गिरता चला जा रहा है.

जेडीए की मनमानी!
साल हिस्सा राशि
2014-15 90 करोड़ ₹
2015-16 55 करोड़ ₹
2016-17 20 करोड़ ₹
2017-18 10 करोड़ ₹
2018-19 0 ₹
2019-अब तक 0 ₹

इस संबंध में रेवेन्यू उपायुक्त नवीन भारद्वाज ने बताया कि कॉरपोरेशन एरिया में यूआईटी और डेवलपमेंट अथॉरिटी होती हैं. उनके लिए 2010 में नियम बनाए गए थे, कि जो भी वो ऑक्शन या अलॉटमेंट से भूमि बेचते या डिस्पोज करते हैं, उस कीमत का 15% नगर निगम और नगरीय निकाय को जमा कराना होता है. हालांकि 2018 से इस मद में कोई पैसा जमा नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि इससे पहले तक जेडीए ये पैसा जमा कराती रही है.

पढ़ें- जयपुर: 31 दिसंबर तक लीज राशि एकमुश्त जमा कराने पर ब्याज में मिलेगी 100 फीसदी की छूट

निगम प्रशासक विजय पाल सिंह को भी इसकी जानकारी है, लेकिन इस पर एक्शन लेने की बात पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और सचिव स्तर पर जेडीए से बातचीत की जा रही है. इसके अलावा पीएचईडी में भी सीवरेज चार्ज बकाया चल रहा है. इसे लेकर दोनों विभागों को पत्र भी लिखा जा चुका है. अब बैठक करके अकाउंट क्लियर किए जाएंगे.

पढ़ें- जयपुर में ठप पड़े एलिवेटेड और आरओबी के निर्माण कार्यों को मिलेगी गति, जेडीसी ने दिए निर्देश

आपको बता दें कि निगम और जेडीए के अधिनियम में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार द्वारा 2010 में ये निर्देश प्रदान किए गए थे। लेकिन अब जेडीए इन नियमों को ताक पर रखे हुए है.

Intro:जयपुर - जेडीए जयपुर नगर निगम को दिए जाने वाली हिस्सा राशि का भुगतान नहीं कर रहा है साल 2018 19 और इस साल भी जेडीए की ओर से ₹1 भी इस मद में नहीं दिया गया ऐसे में नगर निगम के इनकम स्टेटस में दूसरी मदों की तुलना में जेडीए का कॉलम जीरो है।


Body:राज्य सरकार के नियमों के तहत विकास प्राधिकरण द्वारा आवंटन और नीलामी के जरिए विक्रय किए गए भूमि/भवन से प्राप्त विक्रय राशि का 15% हिस्सा राशि संबंधित नगरीय निकायों को हस्तांतरित करना होता है। लेकिन जयपुर विकास प्राधिकरण ने बीते 2 साल से जयपुर नगर निगम को उसकी हिस्सा राशि नहीं दी है। यही नहीं साल 2014 से लेकर अब तक लगातार देय राशि का ग्राफ गिरता चला जा रहा है।

साल 2014-15 90 करोड़
साल 2015-16 55 करोड़
साल 2016-17 20 करोड़
साल 2017-18 10 करोड़
साल 2018-19 ₹0
साल 2019-अब तक ₹0

इस संबंध में रेवेन्यू उपायुक्त नवीन भारद्वाज ने बताया कि कॉरपोरेशन एरिया में यूआईटी और डेवलपमेंट अथॉरिटी होती हैं। उनके लिए 2010 में नियम बनाए गए थे, कि जो भी वो ऑक्शन या अलॉटमेंट से भूमि बेचते या डिस्पोज करते हैं, उस कीमत का 15% नगर निगम और नगरीय निकाय को जमा कराना होता है। हालांकि 2018 से इस मद में कोई पैसा जमा नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि इससे पहले तक जेडीए ये पैसा जमा कराती रही है।
बाईट - नवीन भारद्वाज, रेवेन्यू उपायुक्त

निगम प्रशासक विजय पाल सिंह को भी इसकी जानकारी है। लेकिन इस पर एक्शन लेने की बात पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और सचिव स्तर पर जेडीए से बातचीत की जा रही है। इसके अलावा पीएचईडी में भी सीवरेज चार्ज बकाया चल रहा है। इसे लेकर दोनों विभागों को पत्र भी लिखा जा चुका है। अब बैठक करके अकाउंट क्लियर किए जाएंगे।
बाईट - विजय पाल सिंह, निगम प्रशासक


Conclusion:आपको बता दें कि निगम और जेडीए के अधिनियम में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार द्वारा 2010 में ये निर्देश प्रदान किए गए थे। लेकिन अब जेडीए इन नियमों को ताक पर रखे हुए है।
Last Updated : Dec 26, 2019, 12:20 AM IST
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