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Land Acquisition Case : डीसी को जानकारी ही नहीं किस शपथ पत्र पर साइन कर रहे हैं, कार्मिक विभाग करे उचित कार्रवाई

सेज योजना में 25 फीसदी भूमि आवंटन के मामले में कोर्ट ने तत्कालीन जोन उपायुक्त की कार्यप्रणाली पर कड़ी टिप्पणी की (JDA Appellate Tribunal in SEZ land land acquisition case) है. अधिकरण का कहना है कि तत्कालीन जोन 11 के उपायुक्त अशोक योगी ने जवाब पर साइन करने के अलावा अपना कोई दायित्व नहीं निभाया. यहां तक कि उन्हें यह भी जानकारी नहीं थी कि अधिकरण में पेश शप​थ पत्र किस उद्देश्य के लिए था.

JDA Appellate Tribunal in SEZ land land acquisition case
डीसी को जानकारी ही नहीं किस शपथ पत्र पर साइन कर रहे हैं, कार्मिक विभाग करे उचित कार्रवाई
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Published : Jun 28, 2022, 11:24 PM IST

जयपुर. जेडीए अपीलीय अधिकरण (JDA Appellate Tribunal) ने भूमि अवाप्ति के मुआवजे से जुड़े मामले में तत्कालीन जोन उपायुक्त की कार्यप्रणाली पर कड़ी टिप्पणी की है. अधिकरण ने कहा है कि प्रभारी अधिकारी ने जवाब पर हस्ताक्षर करने के अलावा अपने दायित्व का निर्वाह नहीं किया. तत्कालीन जोन 11 के उपायुक्त अशोक योगी को यह भी जानकारी नहीं थी कि अधिकरण में पेश किया गया शपथ पत्र किस उद्देश्य के लिए था.

अधिकरण ने कहा कि किसी भी प्रकरण में प्रभारी अधिकारी की नियुक्ति इस उद्देश्य से की जाती है कि वह प्रकरण दर्ज होने के बाद से उसके निस्तारण तक हर स्टेज पर अपडेट रहे और अपने वकील को मार्गदर्शन दे. लेकिन सेज जैसी महत्वपूर्ण योजना में 25 फीसदी भूमि के आवंटन के इस गंभीर मामले में तत्कालीन उपायुक्त ने कोई रूचि नहीं ली. इसके अलावा ना तो जवाब पेश किया गया और ना ही सही शपथ पत्र पेश किया गया. उनका यह कृत्य मिसकंडट को दर्शाता है. इसके साथ ही अधिकरण ने आदेश को आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रमुख कार्मिक विभाग को भेजा है.

पढ़ें: जयपुर: सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की मांग, शिव सेना हिंदुस्तान का JDA पर भ्रष्टाचार का आरोप

अधिकरण ने आशंका जताई की जोन उपायुक्त प्रार्थी गंगादेवी को अनुचित लाभ पहुंचाना चाहते थे. अधिकरण ने यह आदेश गंगा देवी के रेफरेंस को खारिज करते हुए दिए. अधिकरण ने गंगा देवी को कहा कि वह पालड़ी परसा और भम्भोरिया, बगरू खुर्द में 1124 वर्गमीटर आवासीय और 281 वर्गमीटर व्यावसायिक भूमि के आवंटन के लिए आवेदन पेश करे और जेडीए पूर्व में लॉटरी के माध्यम से आवंटित उक्त गांवों के भूखंड के संबंध में गंगादेवी को पट्टा जारी करे. अधिकरण ने कहा कि मामले में प्रार्थी की ओर से लॉटरी से आरक्षण की प्रक्रिया के स्थान पर चाहे गए भूखंडों से आवंटन किया जाता तो जेडीए को काफी हानि होना तय था.

पढ़ें: पृथ्वीराज नगर के निवासियों को बड़ी राहत: आवंटन पर ब्याज और पेनल्टी में 100 प्रतिशत छूट

रेफरेंस में कहा गया कि उसकी महापुरा स्थित जमीन को सेज के लिए अवाप्त किया गया था. वहीं मुआवजे के तौर पर आवासीय और व्यावसायिक भूमि देने का आरक्षण पत्र भी निशुल्क जारी किया गया, लेकिन आवंटन पत्र जारी नहीं किया गया. जबकि आरक्षित भूखंडों में से कुछ भूखंड मुआवजे के भूखंडों के रूप में आरक्षित हैं. वहीं जेडीए की ओर से कहा गया कि प्रार्थी को लॉटरी के जरिए नियमानुसार पास के गांव में भूखंड आवंटन किए गए, लेकिन प्रार्थी ने वहां भूखंड नहीं लेने की आपत्ति पेश कर दी. इसके बाद आवंटन की कार्रवाई नहीं की जा सकी.

जयपुर. जेडीए अपीलीय अधिकरण (JDA Appellate Tribunal) ने भूमि अवाप्ति के मुआवजे से जुड़े मामले में तत्कालीन जोन उपायुक्त की कार्यप्रणाली पर कड़ी टिप्पणी की है. अधिकरण ने कहा है कि प्रभारी अधिकारी ने जवाब पर हस्ताक्षर करने के अलावा अपने दायित्व का निर्वाह नहीं किया. तत्कालीन जोन 11 के उपायुक्त अशोक योगी को यह भी जानकारी नहीं थी कि अधिकरण में पेश किया गया शपथ पत्र किस उद्देश्य के लिए था.

अधिकरण ने कहा कि किसी भी प्रकरण में प्रभारी अधिकारी की नियुक्ति इस उद्देश्य से की जाती है कि वह प्रकरण दर्ज होने के बाद से उसके निस्तारण तक हर स्टेज पर अपडेट रहे और अपने वकील को मार्गदर्शन दे. लेकिन सेज जैसी महत्वपूर्ण योजना में 25 फीसदी भूमि के आवंटन के इस गंभीर मामले में तत्कालीन उपायुक्त ने कोई रूचि नहीं ली. इसके अलावा ना तो जवाब पेश किया गया और ना ही सही शपथ पत्र पेश किया गया. उनका यह कृत्य मिसकंडट को दर्शाता है. इसके साथ ही अधिकरण ने आदेश को आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रमुख कार्मिक विभाग को भेजा है.

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अधिकरण ने आशंका जताई की जोन उपायुक्त प्रार्थी गंगादेवी को अनुचित लाभ पहुंचाना चाहते थे. अधिकरण ने यह आदेश गंगा देवी के रेफरेंस को खारिज करते हुए दिए. अधिकरण ने गंगा देवी को कहा कि वह पालड़ी परसा और भम्भोरिया, बगरू खुर्द में 1124 वर्गमीटर आवासीय और 281 वर्गमीटर व्यावसायिक भूमि के आवंटन के लिए आवेदन पेश करे और जेडीए पूर्व में लॉटरी के माध्यम से आवंटित उक्त गांवों के भूखंड के संबंध में गंगादेवी को पट्टा जारी करे. अधिकरण ने कहा कि मामले में प्रार्थी की ओर से लॉटरी से आरक्षण की प्रक्रिया के स्थान पर चाहे गए भूखंडों से आवंटन किया जाता तो जेडीए को काफी हानि होना तय था.

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रेफरेंस में कहा गया कि उसकी महापुरा स्थित जमीन को सेज के लिए अवाप्त किया गया था. वहीं मुआवजे के तौर पर आवासीय और व्यावसायिक भूमि देने का आरक्षण पत्र भी निशुल्क जारी किया गया, लेकिन आवंटन पत्र जारी नहीं किया गया. जबकि आरक्षित भूखंडों में से कुछ भूखंड मुआवजे के भूखंडों के रूप में आरक्षित हैं. वहीं जेडीए की ओर से कहा गया कि प्रार्थी को लॉटरी के जरिए नियमानुसार पास के गांव में भूखंड आवंटन किए गए, लेकिन प्रार्थी ने वहां भूखंड नहीं लेने की आपत्ति पेश कर दी. इसके बाद आवंटन की कार्रवाई नहीं की जा सकी.

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