नींदड़ (जयपुर). प्रदेश से 20 किलोमीटर दूर नींदड़ गांव में 7 जनवरी से किसानों ने जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू किया. यहां जेडीए प्रशासन नींदड़ आवासीय योजना के तहत इन किसानों की जमीन पुराने भूमि अधिग्रहण बिल के आधार पर अवाप्त कर रहा है. लेकिन नींदड़ का किसान इस पर रजामंद नहीं है. किसान अपनी जमीन का मुआवजा नए भूमि अधिग्रहण बिल के अनुसार चाहते हैं.
इन्हीं किसानों में से एक है राम नारायण शर्मा. नींदड़ में इनकी दो बीघा जमीन है. जिस पर खेती कर वो अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. लेकिन जेडीए की योजना के अनुसार उनकी जमीन पर से 200 फीट रोड गुजरनी है. जिसके चलते उनकी आजीविका का एक मात्र साधन भी उनसे छीना जा रहा है. एक तरफ उनकी आजिविका उनसे छीना जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर 16 फरवरी को उनकी दो बेटियों की विदाई होनी है. लेकिन शादी की तैयारी करने के बजाएं, रामनारायण को यही चिंता सता रही है कि यदि उनकी जमीन अवाप्त कर ली जाती है, तो उनके घर शहनाई बजेगी भी या नहीं. उनकी दोनो बेटियां डोली चढ़ेंगी या नहीं.
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ईटीवी भारत की टीम नींदड़ गांव में रामनारायण के घर पहुंची, उनसे बात की तो उन्होंने अपना दुखड़ा रो दिया. कहा कि जिस जमीन पर मंडप सजाने की वो तैयारी कर रहे हैं, उसी को जेडीए उनसे छीनने पर आमादा है. टीम ने यहां उनके परिवार से भी बात की. रामनारायण की पत्नी रेखा देवी को फिक्र सता रही है कि यदि ये जमीन उनसे छिन जाती है, तो उनके घर का चूल्हा भी नहीं जलेगा. उनकी बेटियां सीमा और सुमन जिनकी शादी 16 फरवरी को होनी तय है, वो भी चिंतित है कि क्या उनकी डोली उठ पाएगी या नहीं.
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रामनारायण जो बीते 10 साल से इसी उधेड़बुन में लगे हैं कि यदि जेडीए उनकी जमीन अवाप्त करता है, तो उनका गुजारा कैसे चलेगा. आखिर कैसे वो अपनी दो जवान बेटियों को ब्याह पाएंगे. नींदड़ गांव में अकेले रामनारायण ऐसे किसान नहीं है. कुछ और परिवारों का भी यही हाल है. यही वजह है कि आज अपनी जमीन बचाने के लिए ये किसान उसी जमीन में समाधि लेकर न्याय का इंतजार कर रहे हैं.