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स्पेशल रिपोर्टः क्या 16 फरवरी को नींदड़ के किसान रामनारायण की बेटियां सीमा और सुमन ले पाएंगी सात फेरे..?

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Published : Jan 8, 2020, 10:43 PM IST

जयपुर के नींदड़ में जेडीए प्रशासन किसानों की रातों की नींदे उड़ा दी है. जेडीए प्रशासन नींदड़ आवासीय योजना के तहत इन किसानों की जमीन पुराने भूमि अधिग्रहण बिल के आधार पर अवाप्त कर रहा है. आइए जानते है इस खास रिपोर्ट में एक ऐसे ही किसान की परेशानी जिनके सिर पर दो बेटियों के शादी की जिम्मेदारी है और वहीं जेडीए इनकी जमीन आवाप्त कर रही है.

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नींदड़ आवासीय योजना

नींदड़ (जयपुर). प्रदेश से 20 किलोमीटर दूर नींदड़ गांव में 7 जनवरी से किसानों ने जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू किया. यहां जेडीए प्रशासन नींदड़ आवासीय योजना के तहत इन किसानों की जमीन पुराने भूमि अधिग्रहण बिल के आधार पर अवाप्त कर रहा है. लेकिन नींदड़ का किसान इस पर रजामंद नहीं है. किसान अपनी जमीन का मुआवजा नए भूमि अधिग्रहण बिल के अनुसार चाहते हैं.

नींदड़ आवासीय योजना

इन्हीं किसानों में से एक है राम नारायण शर्मा. नींदड़ में इनकी दो बीघा जमीन है. जिस पर खेती कर वो अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. लेकिन जेडीए की योजना के अनुसार उनकी जमीन पर से 200 फीट रोड गुजरनी है. जिसके चलते उनकी आजीविका का एक मात्र साधन भी उनसे छीना जा रहा है. एक तरफ उनकी आजिविका उनसे छीना जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर 16 फरवरी को उनकी दो बेटियों की विदाई होनी है. लेकिन शादी की तैयारी करने के बजाएं, रामनारायण को यही चिंता सता रही है कि यदि उनकी जमीन अवाप्त कर ली जाती है, तो उनके घर शहनाई बजेगी भी या नहीं. उनकी दोनो बेटियां डोली चढ़ेंगी या नहीं.

पढ़ेंः दारा एनकाउंटर प्रकरण: पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड़ सहित 23 के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश

ईटीवी भारत की टीम नींदड़ गांव में रामनारायण के घर पहुंची, उनसे बात की तो उन्होंने अपना दुखड़ा रो दिया. कहा कि जिस जमीन पर मंडप सजाने की वो तैयारी कर रहे हैं, उसी को जेडीए उनसे छीनने पर आमादा है. टीम ने यहां उनके परिवार से भी बात की. रामनारायण की पत्नी रेखा देवी को फिक्र सता रही है कि यदि ये जमीन उनसे छिन जाती है, तो उनके घर का चूल्हा भी नहीं जलेगा. उनकी बेटियां सीमा और सुमन जिनकी शादी 16 फरवरी को होनी तय है, वो भी चिंतित है कि क्या उनकी डोली उठ पाएगी या नहीं.

पढ़ेंः सीकरः मोबाइल विक्रेताओं ने ई-कॉमर्स कम्पनियों की मनमानी को लेकर उपखण्ड अधिकारी को सौंपा ज्ञापन

रामनारायण जो बीते 10 साल से इसी उधेड़बुन में लगे हैं कि यदि जेडीए उनकी जमीन अवाप्त करता है, तो उनका गुजारा कैसे चलेगा. आखिर कैसे वो अपनी दो जवान बेटियों को ब्याह पाएंगे. नींदड़ गांव में अकेले रामनारायण ऐसे किसान नहीं है. कुछ और परिवारों का भी यही हाल है. यही वजह है कि आज अपनी जमीन बचाने के लिए ये किसान उसी जमीन में समाधि लेकर न्याय का इंतजार कर रहे हैं.

नींदड़ (जयपुर). प्रदेश से 20 किलोमीटर दूर नींदड़ गांव में 7 जनवरी से किसानों ने जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू किया. यहां जेडीए प्रशासन नींदड़ आवासीय योजना के तहत इन किसानों की जमीन पुराने भूमि अधिग्रहण बिल के आधार पर अवाप्त कर रहा है. लेकिन नींदड़ का किसान इस पर रजामंद नहीं है. किसान अपनी जमीन का मुआवजा नए भूमि अधिग्रहण बिल के अनुसार चाहते हैं.

नींदड़ आवासीय योजना

इन्हीं किसानों में से एक है राम नारायण शर्मा. नींदड़ में इनकी दो बीघा जमीन है. जिस पर खेती कर वो अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. लेकिन जेडीए की योजना के अनुसार उनकी जमीन पर से 200 फीट रोड गुजरनी है. जिसके चलते उनकी आजीविका का एक मात्र साधन भी उनसे छीना जा रहा है. एक तरफ उनकी आजिविका उनसे छीना जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर 16 फरवरी को उनकी दो बेटियों की विदाई होनी है. लेकिन शादी की तैयारी करने के बजाएं, रामनारायण को यही चिंता सता रही है कि यदि उनकी जमीन अवाप्त कर ली जाती है, तो उनके घर शहनाई बजेगी भी या नहीं. उनकी दोनो बेटियां डोली चढ़ेंगी या नहीं.

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ईटीवी भारत की टीम नींदड़ गांव में रामनारायण के घर पहुंची, उनसे बात की तो उन्होंने अपना दुखड़ा रो दिया. कहा कि जिस जमीन पर मंडप सजाने की वो तैयारी कर रहे हैं, उसी को जेडीए उनसे छीनने पर आमादा है. टीम ने यहां उनके परिवार से भी बात की. रामनारायण की पत्नी रेखा देवी को फिक्र सता रही है कि यदि ये जमीन उनसे छिन जाती है, तो उनके घर का चूल्हा भी नहीं जलेगा. उनकी बेटियां सीमा और सुमन जिनकी शादी 16 फरवरी को होनी तय है, वो भी चिंतित है कि क्या उनकी डोली उठ पाएगी या नहीं.

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रामनारायण जो बीते 10 साल से इसी उधेड़बुन में लगे हैं कि यदि जेडीए उनकी जमीन अवाप्त करता है, तो उनका गुजारा कैसे चलेगा. आखिर कैसे वो अपनी दो जवान बेटियों को ब्याह पाएंगे. नींदड़ गांव में अकेले रामनारायण ऐसे किसान नहीं है. कुछ और परिवारों का भी यही हाल है. यही वजह है कि आज अपनी जमीन बचाने के लिए ये किसान उसी जमीन में समाधि लेकर न्याय का इंतजार कर रहे हैं.

Intro:जयपुर - नींदड़ के किसान जमीन में समाधि लेकर सत्याग्रह कर रहे हैं। इसी गांव के एक किसान राम रामनारायण भी हैं। जिनके घर में 16 फरवरी को शहनाई बजनी है। उनकी दोनों बेटियों के मंडप उसी जमीन पर सजने हैं, जिस जमीन को जेडीए अधिग्रहण कर रहा है। ये जमीन उसके परिवार के भरण पोषण का एकमात्र जरिया है। यही वजह है कि आज राम नारायण के माथे पर चिंता की लकीरें उभरी हुई है। और वो सवाल कर रहा है कि क्या उसकी बेटियां सीमा और सुमन सात फेरे ले पाएंगी।


Body:जयपुर से 20 किलोमीटर दूर नींदड़ गांव में 7 जनवरी से किसानों ने जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू किया। यहां जेडीए प्रशासन नींदड़ आवासीय योजना के तहत इन किसानों की जमीन पुराने भूमि अधिग्रहण बिल के आधार पर अवाप्त कर रहा है। लेकिन नींदड़ का किसान इस पर रजामंद नहीं है। किसान अपनी जमीन का मुआवजा नए भूमि अधिग्रहण बिल के अनुसार चाहते हैं। इन्हीं किसानों में से एक है राम नारायण शर्मा। नींदड़ में उनकी दो बीघा जमीन है। जिस पर खेती कर वो अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। लेकिन जेडीए की योजना में उनकी जमीन पर से 200 फीट रोड गुजरनी है। जिसके चलते उनकी आजीविका का एक मात्र साधन भी उनसे छीना जा रहा है। 16 फरवरी को उनकी दो बेटियों की विदाई होनी है। लेकिन शादी की तैयारी करने के बजाएं, रामनारायण को यही चिंता सता रही है कि यदि उनकी जमीन अवाप्त कर ली जाती है, तो उनके घर शहनाई बजेगी भी या नहीं। ईटीवी भारत नींदड़ गांव में रामनारायण के घर पहुंचा, उनसे बात की तो उन्होंने अपना दुखड़ा भी रो दिया। कहा कि जिस जमीन पर मंडप सजाने की वो तैयारी कर रहे हैं, उसी को जेडीए लेने पर आमादा है। यहां उनके परिवार से भी बात की। तो रामनारायण की पत्नी रेखा देवी को फिक्र सता रही है कि यदि ये जमीन उनसे छिन जाती है, तो उनके घर का चूल्हा भी चलेगा या नहीं। उनकी बेटियां सीमा और सुमन जिनकी शादी 16 फरवरी को होनी है, वो भी चिंतित है कि क्या उनकी डोली उठ पाएगी या नहीं।


Conclusion:रामनारायण जो बीते 10 साल से इसी उधेड़बुन में लगे हैं कि यदि जेडीए उनकी जमीन अवाप्त करता है, तो उनका गुजारा कैसे चलेगा। आखिर कैसे वो अपनी दो जवान बेटियों को ब्याह पाएंगे। नींदड़ गांव में अकेले रामनारायण ऐसे किसान नहीं। कुछ और परिवारों का भी यही हाल है। यही वजह है कि आज अपनी जमीन बचाने के लिए ये किसान उसी जमीन में समाधि लेकर न्याय का इंतजार कर रहे हैं।
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