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जयपुर की प्रथम बूट लॉन्ड्री पिछले 10 दिनों से पड़ी है बंद, मजदूरों के सामने आर्थिक संकट

रेलवे प्रशासन ने 4 साल पहले जयपुर मंडल की प्रथम बूट लॉन्ड्री (ट्रेनों में दिए जाने वाले कंबल और चादरों के धोने वाला स्थान) खोला था. लेकिन बीते 25 दिसंबर से यह लॉन्ड्री बंद पड़ी है. ऐसे में ट्रेनों में यात्रियों को दिए जाने वाले कंबल, चादरों का टोटा होने की आशंका भी लगाई जा रही है. वहीं लॉन्ड्री में कार्यरत ठेका कर्मियों के सामने अब आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया.

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जयपुर की प्रथम बूट लॉन्ड्री पिछले 10 दिन ले बंद
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Published : Jan 8, 2020, 8:23 PM IST

जयपुर. प्रदेश का रेलवे प्रशासन ने 4 साल पहले जयपुर मंडल की प्रथम बूट लॉन्ड्री (ट्रेनों में दिए जाने वाले कंबल और चादरों के धोने वाला स्थान) खोला था. लेकिन बीते 25 दिसंबर से यह लॉन्ड्री बंद पड़ी हुई है. रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी भी इसको लेकर किसी भी तरह का जवाब देने को तैयार नहीं है. वहीं दूसरी ओर अब ठेका कर्मियों पर एक बड़ा आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है. जिस वजह से उनका 6 महीने का वेतन भी बकाया है.

जयपुर की प्रथम बूट लॉन्ड्री पिछले 10 दिन ले बंद

बता दें कि 4 साल पहले जयपुर में शुरू हुई उत्तर पश्चिम रेलवे की बूट लॉन्ड्री बीते 10 दिनों से बंद पड़ी है. बूट लॉन्ड्री चला रही ठेका फर्म का टेंडर 10 दिन पहले ही खत्म हो गया है. इस वजह से करीब 50 से ज्यादा ठेका कर्मियों का भुगतान भी अब अटक गया है. ऐसे में ट्रेनों में यात्रियों को दिए जाने वाले कंबल, चादरों का टोटा यानी कमी होने की आशंका भी लगाई जा रही है. दूसरी तरफ रेल प्रशासन अब तक वैकल्पिक इंतजाम करने की कवायद में ही उलझा हुआ है.

पढ़ेंः पंचायती राज संस्था, गहलोत सरकार को नामंजूर: बीजेपी

गौरतलब है कि 4 साल पहले जयपुर, सवाई माधोपुर रेलवे लाइन के नजदीक उत्तर पश्चिम रेलवे प्रशासन ने जयपुर मंडल की प्रथम बूट लॉन्ड्री का निर्माण कराया था. ट्रेनों में यात्रियों को दिए जाने वाले कंबल, चादर और तौलियों की धुलाई अजमेर की बजाय जयपुर शहर में ही शुरू की गई थी. बीते 25 दिसंबर से जयपुर मंडल की बूटी लॉन्ड्री बंद पड़ी है. लॉन्ड्री में कार्यरत ठेका कर्मी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. ठेका फर्म ने कर्मचारियों की बीते 6 महीने की पगार भी नहीं दी है. ऐसे में एक तरफ ठेका कर्मियों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है, तो वहीं दूसरी तरफ यात्रियों को उपलब्ध कराए जाने वाले लिनेन के इंतजामों की पोल खुलने लगी है.

पढ़ेंः दारा एनकाउंटर प्रकरण: पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड़ सहित 23 के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश

इस बारे में बूट लॉन्ड्री से संबंधित कार्य देख रहे जयपुर मंडल के सीनियर डीएमई हनुमान मीणा से मामले में बात करने पर उन्होंने पूरे प्रकरण से पल्ला झाड़ते हुए मुख्य सीपीआरओ से बात करने का सुझाव दिया. जबकि मुख्य सीपीआरओ अभय शर्मा ने बताया कि जयपुर मंडल की ओर से ही बूट लॉन्ड्री संचालित करने की जानकारी है. वही बूट लॉन्ड्री का ठेका खत्म होने के बाद से लॉन्ड्री में कार्यरत ठेका कर्मियों के सामने अब आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया.


जयपुर. प्रदेश का रेलवे प्रशासन ने 4 साल पहले जयपुर मंडल की प्रथम बूट लॉन्ड्री (ट्रेनों में दिए जाने वाले कंबल और चादरों के धोने वाला स्थान) खोला था. लेकिन बीते 25 दिसंबर से यह लॉन्ड्री बंद पड़ी हुई है. रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी भी इसको लेकर किसी भी तरह का जवाब देने को तैयार नहीं है. वहीं दूसरी ओर अब ठेका कर्मियों पर एक बड़ा आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है. जिस वजह से उनका 6 महीने का वेतन भी बकाया है.

जयपुर की प्रथम बूट लॉन्ड्री पिछले 10 दिन ले बंद

बता दें कि 4 साल पहले जयपुर में शुरू हुई उत्तर पश्चिम रेलवे की बूट लॉन्ड्री बीते 10 दिनों से बंद पड़ी है. बूट लॉन्ड्री चला रही ठेका फर्म का टेंडर 10 दिन पहले ही खत्म हो गया है. इस वजह से करीब 50 से ज्यादा ठेका कर्मियों का भुगतान भी अब अटक गया है. ऐसे में ट्रेनों में यात्रियों को दिए जाने वाले कंबल, चादरों का टोटा यानी कमी होने की आशंका भी लगाई जा रही है. दूसरी तरफ रेल प्रशासन अब तक वैकल्पिक इंतजाम करने की कवायद में ही उलझा हुआ है.

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गौरतलब है कि 4 साल पहले जयपुर, सवाई माधोपुर रेलवे लाइन के नजदीक उत्तर पश्चिम रेलवे प्रशासन ने जयपुर मंडल की प्रथम बूट लॉन्ड्री का निर्माण कराया था. ट्रेनों में यात्रियों को दिए जाने वाले कंबल, चादर और तौलियों की धुलाई अजमेर की बजाय जयपुर शहर में ही शुरू की गई थी. बीते 25 दिसंबर से जयपुर मंडल की बूटी लॉन्ड्री बंद पड़ी है. लॉन्ड्री में कार्यरत ठेका कर्मी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. ठेका फर्म ने कर्मचारियों की बीते 6 महीने की पगार भी नहीं दी है. ऐसे में एक तरफ ठेका कर्मियों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है, तो वहीं दूसरी तरफ यात्रियों को उपलब्ध कराए जाने वाले लिनेन के इंतजामों की पोल खुलने लगी है.

पढ़ेंः दारा एनकाउंटर प्रकरण: पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड़ सहित 23 के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश

इस बारे में बूट लॉन्ड्री से संबंधित कार्य देख रहे जयपुर मंडल के सीनियर डीएमई हनुमान मीणा से मामले में बात करने पर उन्होंने पूरे प्रकरण से पल्ला झाड़ते हुए मुख्य सीपीआरओ से बात करने का सुझाव दिया. जबकि मुख्य सीपीआरओ अभय शर्मा ने बताया कि जयपुर मंडल की ओर से ही बूट लॉन्ड्री संचालित करने की जानकारी है. वही बूट लॉन्ड्री का ठेका खत्म होने के बाद से लॉन्ड्री में कार्यरत ठेका कर्मियों के सामने अब आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया.


Intro:जयपुर एंकर-- 4 साल पहले रेलवे प्रशासन ने जयपुर मंडल की प्रथम बूट लॉन्ड्री खोली थी. लेकिन बीती 25 दिसंबर से यह लॉन्ड्री बंद पड़ी हुई है . और रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी भी इसको लेकर किसी भी तरह का जवाब देने को तैयार नहीं है. वहीं दूसरी और अब ठेका कर्मियों पर एक बड़ा आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है. और उनका 6 महीने का वेतन भी बकाया है.




Body:जयपुर- 4 साल पहले जयपुर में शुरू हुई उत्तर पश्चिम रेलवे की बूट लॉन्ड्री बीते 10 दिन से बंद है. बूट लॉन्ड्री चला रही ठेका फर्म का टेंडर 10 दिन पहले खत्म हो गया है. और करीब 50 से ज्यादा ठेका कर्मियों का भुगतान भी अब अटक गया है. ऐसे में ट्रेनों में यात्रियों को दिए जाने वाले कंबल , चादरों का टोटा होने की आशंका का भी लगाई जा रही है . दूसरी तरफ रेल प्रशासन अब तक वैकल्पिक इंतजाम करने की कवायद में ही उलझा हुआ है. गौरतलब है कि 4 साल पहले जयपुर सवाई माधोपुर रेलवे लाइन के नजदीक उत्तर पश्चिम रेलवे प्रशासन ने जयपुर मंडल की प्रथम बूट लॉन्ड्री का निर्माण कराया था. ट्रेनों में यात्रियों को दिए जाने वाले कंबल चादर और तालियों की धुलाई अजमेर की बजाय जयपुर शहर में ही शुरू की गई थी. बीते 25 दिसंबर से जयपुर मंडल की बूटी लॉन्ड्री बंद पड़ी है. लॉन्ड्री में कार्यरत ठेका कर्मी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं . और ठेका फर्म ने कर्मचारियों की बीते 6 महीने की पगार भी हजम कर ली है . ऐसे में एक तरफ ठेका कर्मियों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. तो दूसरी तरफ यात्रियों को उपलब्ध कराए जाने वाले लिनेन के इंतजामों की पोल खुलने लगी है .

जिम्मेदार जिम्मेदारी से झाड़ रहे पल्ला-

वही जब संबंधित अधिकारीयो को मामले में ठोस जानकारी देने तक की फुर्सत रेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं है. इस बारे में बूट लॉन्ड्री से संबंधित कार्य देख रहे जयपुर मंडल के सीनियर डीएमई हनुमान मीणा से मामले में बात करने पर उन्होंने पूरे प्रकरण से पल्ला झाड़ते हुए मुख्य सीपीआरओ से बात करने का सुझाव देकर फोन काट दिया . जबकि मुख्य सीपीआरओ अभय शर्मा ने ने फ़ोन पर बताया कि जयपुर मंडल द्वारा ही बूट लॉन्ड्री संचालित करने की जानकारी दी है . वही बूट लॉन्ड्री का ठेका खत्म होने के बाद से लॉन्ड्री में कार्यरत ठेका कर्मियों के सामने अब आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया.


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