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जिले का पूरा राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन, 33 वें स्थान से पहले पायदान पर आया जयपुर

जयपुर में सर्वाधिक तहसीलें होने के बावजूद भी सबसे तेज गति से अपना सारा राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन करने में सफलता हासिल की है. जिले की 17 तहसीलें ऑनलाइन अधिसूचित हो चुकी हैं. यह सफलता भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के संदर्भ में प्राप्त की गई है.

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Published : Jan 16, 2020, 11:28 PM IST

Land Records Modernization, जयपुर न्यूज
जयपुर का पूरा राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन

जयपुर. जिले में सर्वाधिक 17 तहसीलें होने के बावजूद भी सबसे तेज गति से अपना सारा राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन करने में सफलता हासिल की है. जयपुर जिला मार्च 2019 में राजस्थान के 33 जिलों में अंतिम पायदान पर था, परंतु गुरुवार को जिले की संपूर्ण 17 तहसीलें ऑनलाइन अधिसूचित हो चुकी हैं और अब जयपुर जिला सबसे ऊपर प्रथम पायदान पर आ गया है.

जयपुर का पूरा राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन

जिला कलेक्टर डॉ जोगाराम बताया कि यह सफलता भारत सरकार द्वारा चलाई जा रहे अहम प्रोजेक्ट डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के संदर्भ में प्राप्त की गई है. इसमें राजस्व रिकॉर्ड को डिजिटल कर ऑनलाइन किया जाता है. इससे किसान सीधे घर बैठे ई धरती (अपना खाता) पर अपना राजस्व रिकॉर्ड को देख सकता है और उसे बार-बार राजस्व कर्मचारियों के पास जाने की जरूरत नहीं होगी.

जिला प्रशासन में इस परियोजना की कमान संभाल रहे अतिरिक्त जिला कलेक्टर चतुर्थ अशोक कुमार ने बताया कि सभी तरह के राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन होने के कारण आम आदमी को किसी भी तरह का कार्य जिसमें राजस्व रिकॉर्ड सलंग्न करना होगा, आसान हो जाएगा. किसी भी आदमी के पास गांव में कितनी भूमि है, एक ही जगह से मालूम चल जाएगा और सीमांत किसान, लघु किसान, वृहद किसान को भी आसानी से मालूम चल सकता है. इससे किसी भी तरह की आपदा या अतिवृष्टि में राजस्व कर्मचारियों एवं अधिकारियों को रिपोर्ट बनाने और आकलन करने में भी आसानी रहेगी.

पढ़ें- SC में 17 जनवरी को होगी पंचायत चुनाव पर सुनवाई, डिप्टी सीएम ने कहा- हमारी तरफ से सभी तैयारी पूरी

उन्होंने बताया कि डीआईएलआरएमपी सरकार का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है. जयपुर जिले के ऑनलाइन होने के बाद सभी किसानों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी. इससे किसान घर बैठे अपने अपने खाते देख सकता है. उसके खाते में कितनी भूमि है, कितने खसरा नंबर है, किस किस खसरा नंबर में कितनी भूमि है. नक्शा उपलब्ध होने से यह भी देखा जा सकता है कि प्रत्येक खसरा नंबर की कितनी लंबाई चौड़ाई है. इससे उसे बार-बार सीमा ज्ञान करवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इससे यह भी मालूम चल जाएगा कि नक्शे में जो माप खसरा नंबर की है, वह मौके पर है या नहीं.

किसान स्वयं भी माप कर जानकारी प्राप्त कर सकता है. इस कार्य के लिए उसे बार-बार राजस्व कर्मचारियों के पास जाने की आवश्यकता नहीं रहेगी. पहले अपने छोटे-छोटे काम के लिए किसान राजस्व कर्मचारियों और अधिकारियों के चक्कर काटता था, लेकिन किसान अब घर बैठे ही अपने नजदीकी ई-मित्र पर जाकर अपने रिकॉर्ड की जानकारी ले सकता है.

खसरों में रहेगी समानता-

राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन होने से हर किसान का अपना खाता अलग-अलग हो गया है. इससे जमाबंदी ई-साइन होकर मिलने लगी है. इससे यह भी फायदा होगा कि नक्शे में उतने ही खसरा नंबर दर्शित होंगे, जितने जमाबंदी में होंगे. जमाबंदी और नक्शा एक समान होने पर ही ऑनलाइन किया जा सकता है. इसलिए जमाबंदी और नक्शे में खसरे समान नंबर से होंगे.

नामांतरण ऑनलाइन समय सीमा निश्चित-

राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन होने के बाद नामांतरण भी ऑनलाइन ही दर्ज किया जाएगा. कोई भी पंजीकृत दस्तावेज पंजीकरण होने के बाद सीधे ऑनलाइन तहसील में भेजे जाएंगे. नामांतरण ऑनलाइन ही दर्ज किया जाएगा. सभी राज्य कर्मचारियों अधिकारियों को निश्चित समय पर उसका निस्तारण करना होगा. यह कार्य भी ऑनलाइन ही किया जाएगा. राजस्व रिकॉर्ड में अगर किसान अपने खसरा नंबर का बंटवारा या आंशिक बेचान करता है तो उसका अलग खसरा नंबर नामांतरण के साथ दर्ज करना होगा.

खसरा गिरदावरी भी दिखेगी ऑनलाइन-

राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन होने से किसान उसके खसरा नंबर में जो फसल बोई है, वह खसरा गिरदावरी ऑनलाइन होने से देखी जा सकती है कि उसके कौन से खसरा नंबर में क्या फसल है और कितनी है. इस प्रकार किसान अपनी बोई गई फसल की गिरदावरी की सटीक जानकारी ऑनलाइन ही प्राप्त कर सकता है.

जयपुर. जिले में सर्वाधिक 17 तहसीलें होने के बावजूद भी सबसे तेज गति से अपना सारा राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन करने में सफलता हासिल की है. जयपुर जिला मार्च 2019 में राजस्थान के 33 जिलों में अंतिम पायदान पर था, परंतु गुरुवार को जिले की संपूर्ण 17 तहसीलें ऑनलाइन अधिसूचित हो चुकी हैं और अब जयपुर जिला सबसे ऊपर प्रथम पायदान पर आ गया है.

जयपुर का पूरा राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन

जिला कलेक्टर डॉ जोगाराम बताया कि यह सफलता भारत सरकार द्वारा चलाई जा रहे अहम प्रोजेक्ट डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के संदर्भ में प्राप्त की गई है. इसमें राजस्व रिकॉर्ड को डिजिटल कर ऑनलाइन किया जाता है. इससे किसान सीधे घर बैठे ई धरती (अपना खाता) पर अपना राजस्व रिकॉर्ड को देख सकता है और उसे बार-बार राजस्व कर्मचारियों के पास जाने की जरूरत नहीं होगी.

जिला प्रशासन में इस परियोजना की कमान संभाल रहे अतिरिक्त जिला कलेक्टर चतुर्थ अशोक कुमार ने बताया कि सभी तरह के राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन होने के कारण आम आदमी को किसी भी तरह का कार्य जिसमें राजस्व रिकॉर्ड सलंग्न करना होगा, आसान हो जाएगा. किसी भी आदमी के पास गांव में कितनी भूमि है, एक ही जगह से मालूम चल जाएगा और सीमांत किसान, लघु किसान, वृहद किसान को भी आसानी से मालूम चल सकता है. इससे किसी भी तरह की आपदा या अतिवृष्टि में राजस्व कर्मचारियों एवं अधिकारियों को रिपोर्ट बनाने और आकलन करने में भी आसानी रहेगी.

पढ़ें- SC में 17 जनवरी को होगी पंचायत चुनाव पर सुनवाई, डिप्टी सीएम ने कहा- हमारी तरफ से सभी तैयारी पूरी

उन्होंने बताया कि डीआईएलआरएमपी सरकार का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है. जयपुर जिले के ऑनलाइन होने के बाद सभी किसानों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी. इससे किसान घर बैठे अपने अपने खाते देख सकता है. उसके खाते में कितनी भूमि है, कितने खसरा नंबर है, किस किस खसरा नंबर में कितनी भूमि है. नक्शा उपलब्ध होने से यह भी देखा जा सकता है कि प्रत्येक खसरा नंबर की कितनी लंबाई चौड़ाई है. इससे उसे बार-बार सीमा ज्ञान करवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इससे यह भी मालूम चल जाएगा कि नक्शे में जो माप खसरा नंबर की है, वह मौके पर है या नहीं.

किसान स्वयं भी माप कर जानकारी प्राप्त कर सकता है. इस कार्य के लिए उसे बार-बार राजस्व कर्मचारियों के पास जाने की आवश्यकता नहीं रहेगी. पहले अपने छोटे-छोटे काम के लिए किसान राजस्व कर्मचारियों और अधिकारियों के चक्कर काटता था, लेकिन किसान अब घर बैठे ही अपने नजदीकी ई-मित्र पर जाकर अपने रिकॉर्ड की जानकारी ले सकता है.

खसरों में रहेगी समानता-

राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन होने से हर किसान का अपना खाता अलग-अलग हो गया है. इससे जमाबंदी ई-साइन होकर मिलने लगी है. इससे यह भी फायदा होगा कि नक्शे में उतने ही खसरा नंबर दर्शित होंगे, जितने जमाबंदी में होंगे. जमाबंदी और नक्शा एक समान होने पर ही ऑनलाइन किया जा सकता है. इसलिए जमाबंदी और नक्शे में खसरे समान नंबर से होंगे.

नामांतरण ऑनलाइन समय सीमा निश्चित-

राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन होने के बाद नामांतरण भी ऑनलाइन ही दर्ज किया जाएगा. कोई भी पंजीकृत दस्तावेज पंजीकरण होने के बाद सीधे ऑनलाइन तहसील में भेजे जाएंगे. नामांतरण ऑनलाइन ही दर्ज किया जाएगा. सभी राज्य कर्मचारियों अधिकारियों को निश्चित समय पर उसका निस्तारण करना होगा. यह कार्य भी ऑनलाइन ही किया जाएगा. राजस्व रिकॉर्ड में अगर किसान अपने खसरा नंबर का बंटवारा या आंशिक बेचान करता है तो उसका अलग खसरा नंबर नामांतरण के साथ दर्ज करना होगा.

खसरा गिरदावरी भी दिखेगी ऑनलाइन-

राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन होने से किसान उसके खसरा नंबर में जो फसल बोई है, वह खसरा गिरदावरी ऑनलाइन होने से देखी जा सकती है कि उसके कौन से खसरा नंबर में क्या फसल है और कितनी है. इस प्रकार किसान अपनी बोई गई फसल की गिरदावरी की सटीक जानकारी ऑनलाइन ही प्राप्त कर सकता है.

Intro:जयपुर। जिले में सर्वाधिक 17 तहसीलें होने के बावजूद भी सबसे तेज गति से अपना सारा राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन करने में सफलता हासिल की है। जयपुर जिला मार्च 2019 में राजस्थान के 33 जिलों में अंतिम पायदान पर था परंतु आज जिले की संपूर्ण 17 तहसीलें ऑनलाइन अधिसूचित हो चुकी है और अब जयपुर जिला सबसे ऊपर प्रथम पायदान पर आ गया है।


Body:जिला कलेक्टर डॉ जोगाराम बताया कि यह सफलता भारत सरकार द्वारा चलाई जा रहे अहम प्रोजेक्ट डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के संदर्भ में प्राप्त की गई है। इसमें राजस्व रिकॉर्ड को डिजिटल कर ऑनलाइन किया जाता है इससे किसान सीधे घर बैठे ई धरती (अपना खाता) पर अपना राजस्व रिकॉर्ड को देख सकता है और उसे बार-बार राजस्व कर्मचारियों के पास जाने की जरूरत नहीं होगी। जिला प्रशासन में इस परियोजना की कमान संभाल रहे अतिरिक्त जिला कलेक्टर चतुर्थ अशोक कुमार ने बताया कि सभी तरह के राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन होने के कारण आम आदमी को किसी भी तरह का कार्य जिसमें राजस्व रिकॉर्ड सलंग्न करना होगा, आसान हो जाएगा। किसी भी आदमी के पास गांव में कितनी भूमि है, एक ही जगह से मालूम चल जाएगा और सीमांत किसान, लघु किसान, वृहद किसान को भी आसानी से मालूम चल सकता है। इससे किसी भी तरह की आपदा या अतिवृष्टि में राजस्व कर्मचारियों एवं अधिकारियों को रिपोर्ट बनाने और आकलन करने में भी आसानी रहेगी। उन्होंने बताया कि डीआईएलआरएमपी सरकार का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जयपुर जिले के ऑनलाइन होने के बाद सभी किसानों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी। इससे किसान घर बैठे अपने अपने खाते देख सकता है। उसके खाते में कितनी भूमि है, कितने खसरा नंबर है, किस किस खसरा नंबर में कितनी भूमि है। नक्शा उपलब्ध होने से यह भी देखा जा सकता है कि प्रत्येक खसरा नंबर की कितनी लंबाई चौड़ाई है इससे उसे बार-बार सीमा ज्ञान करवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे यह भी मालूम चल जाएगा कि नक्शे में जो माप खसरा नंबर की है, वह मौके पर है या नहीं। किसान स्वयं भी माप कर जानकारी प्राप्त कर सकता है। इस कार्य के लिए उसे बार-बार राजस्व कर्मचारियों के पास जाने की आवश्यकता नहीं रहेगी। पहले अपने छोटे-छोटे काम के लिए किसान राजस्व कर्मचारियों और अधिकारियों के चक्कर काटता था लेकिन किसान अब घर बैठे ही अपने नजदीकी ई मित्र पर जाकर अपने रिकॉर्ड की जानकारी ले सकता है।
खसरों में रहेगी समानता-
राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन होने से हर किसान का अपना खाता अलग अलग हो गया है। इससे जमाबंदी ई साइन होकर मिलने लगी है। इससे यह भी फायदा होगा कि नक्शे में उतने ही खसरा नंबर दर्शित होंगे जितने जमाबंदी में होंगे। जमाबंदी और नक्शा एक समान होने पर ही ऑनलाइन किया जा सकता है। इसलिए जमाबंदी और नक्शे में खसरे समान नंबर से होंगे।

नामांतरण ऑनलाइन समय सीमा निश्चित-
राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन होने के बाद नामांतरण भी ऑनलाइन ही दर्ज किया जाएगा। कोई भी पंजीकृत दस्तावेज पंजीकरण होने के बाद सीधे ऑनलाइन तहसील में भेजे जाएंगे। नामांतरण ऑनलाइन ही दर्ज किया जाएगा सभी राज्य कर्मचारियों अधिकारियों को निश्चित समय पर उसका निस्तारण करना होगा। यह कार्य भी ऑनलाइन ही किया जाएगा। राजस्व रिकॉर्ड में अगर किसान अपने खसरा नंबर का बंटवारा या आंशिक बेचान करता है तो उसका अलग खसरा नंबर नामांतरण के साथ दर्ज करना होगा।

खसरा गिरदावरी भी दिखेगी ऑनलाइन-
राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन होने से किसान उसके खसरा नंबर में जो फसल बोई है वह खसरा गिरदावरी ऑनलाइन होने से देखी जा सकती है कि उसके कौन से खसरा नंबर में क्या फसल है और कितनी है। इस प्रकार किसान अपनी बोई गई फसल की गिरदावरी की सटीक जानकारी ऑनलाइन ही प्राप्त कर सकता है।


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