जयपुर. भक्ति युग की कवित्री के आरजे के तौर पर मॉर्डन अवतार ले महिला संघर्ष की बेबाक कहानी कहता है प्ले 'कास्ट ऑफ ऑल शेम'. जहां जनाबाई टेली कॉल के जरिए महिलाओं से बात करती है. पितृसत्तात्मक समाज में उसकी हैसियत को समझती और समाझाती है. कुछ कर गुजरने के जज्बे और न कर पाने की हताशा को महज आवाज के जरिए महसूस करती है. इस सफर में भक्ति काल की ही और 4 कवित्रियों की कविताएं साथ देती हैं. सोलो थिएटर प्रस्तुति में कुछ प्रफुल्लित करने वाली, कुछ अलग-अलग वर्गों और सेटिंग्स से भारतीय महिलाओं के बारे में विचलित करने वाले शब्दचित्रों की एक श्रृंखला शामिल की गई, जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया. जेकेके के कृष्णायन में मुंबई की अदाकारा डॉ. उल्का मयूर ने इसे खूबसूरत रंग दिया.
वहीं भोपाल के एक और नाटक को मंच (Jaipur Theater Festival 2022) पर उतारा गया. इस प्ले में रंगकर्मी के संघर्षों की कहानी थी. रंगायन में आलोक चैटर्जी द्वारा लिखित, निर्देशित और प्रस्तुत नाटक 'ऐसा ही होता है' रंगमंच की दुनिया में उनकी यात्रा पर आधारित था. आलोक ने एक थिएटर कलाकार के रूप में अपने जीवन की यात्रा को ठीक उसी समय से चित्रित किया जब उन्होंने थिएटर को करियर विकल्प के रूप में लेने का फैसला किया था. उनके प्रदर्शन के माध्यम से, दर्शकों को बी बी कारंथ और प्रसिद्ध कवि, अज्ञेय जैसी महान हस्तियों के जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में पता चला. एनएसडी के छात्रों के जीवन पर भी प्रकाश डाला कि वे क्या पढ़ते हैं, वहां किस तरह का माहौल है और संस्थान अपने स्टूडेंट्स के ज्ञान और समझ को कैसे बढ़ाता है.
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जवाहर कला केन्द्र (जेकेके) और तारामणि फाउंडेशन, जयपुर (Jaipur Theater Festival 2022 at JKK) ने मिलकर 5 दिवसीय ’जयपुर थिएटर फेस्ट’ का आयोजन किया है. फेस्टिवल के दूसरे दिन की शुरुआत मंगलवार को कलासंबंधी टॉक शो (Talk Show On Theatre at Jaipur Theater) के साथ हुई. जेकेके के कृष्णायन में 'पैट्रॉन ऑफ आर्टिस्ट एन ऑडियंस ऑर कस्टमर?' और 'सर्वाइविंग द हार्डशिप्स ऑफ थिएटर' विषय पर चर्चा का आयोजन किया गया. इस दौरान नाटक फेस्ट के पहले दिन प्रदर्शित नाटक 'संगीत बारी' को लेकर चर्चा हुई. निर्देशिका सावित्री मेधातुल और नाटक के लेखक भूषण कोरगांवकर ने 'संगीत बारी', लावणी नृत्य, कला के संरक्षक जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा की.
सावित्री मेधातुल ने कहा कि कला के लिए समर्पित स्थान की आवश्यकता है, जहां कला फल-फूल सके. कई लावणी कलाकार अपनी कला के माध्यम से इतनी सक्षम हुईं कि वे आज कई थियेटर्स की मालिक भी हैं. वहीं कलाकारों के संरक्षकों को ऑडियंस कहा जाए या कस्टमर, इस विषय पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह कलाकारों और उनके दर्शकों के बीच पार्टनरशिप की तरह है, जहां कलाकार अच्छी प्रस्तुति देता है, तो वहां उनकी कला को सराहना और प्रोत्साहन के साथ-साथ आर्थिक रूप से संरक्षण मिलना चाहिए. समाज को भी कला और कलाकारों को सहयोग करने की जरूरत है.
कृष्णयान में दूसरा टॉक शो 'सर्वाइविंग द हार्डशिप्स ऑफ थिएटर' विषय पर आयोजित हुआ जिसमें देश के जाने-माने रंगकर्मियों ने चर्चा की. टॉक शो में भोपाल के रंगकर्मी आलोक चैटर्जी, मुंबई की उल्का मयूर और जयपुर के वरिष्ठ थिएटर कलाकार महमूद अली ने रंगमंच से जुड़े अपने अनुभव, संघर्ष और नजरियों के बारे में विस्तार से बातचीत की. इस सत्र का संचालन वरिष्ठ रंगमंचकर्मी ईश्वर दत्त माथुर ने किया.ये थिएटर फेस्टीवल का पहला संस्करण है, जो कि 29 अप्रैल तक आयोजित होगा.फेस्टिवल के दौरान जयपुरवासियों को देश भर के कुछ बेहतरीन नाटकों को देखने और खुद को रोमांचित करने का अवसर प्राप्त होगा.