जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने 12 करोड़ 58 लाख रुपए के सर्विस टैक्स की ब्याज और पेनल्टी सहित वसूली के मामले में राजस्थान स्टेट ब्रेवरेज कॉरपोरेशन को सर्विस टैक्स के दायरे में नहीं माना है.
इसके साथ ही अदालत ने केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें उत्पाद शुल्क विभाग और सर्विस टैक्स अपीलीय अधिकरण की तरफ से कॉरपोरेशन के हक में 12 अक्टूबर 2017 को दिए फैसले को चुनौती दी थी. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ ने यह आदेश दिया.
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बता दें कि कॉरपोरेशन की ओर से अदालत को बताया कि कॉरपोरेशन निर्माताओं से शराब खरीद कर उसे लाइसेंस धारकों को बेचता है. लाइसेंस धारक उसे रिटेल में ग्राहकों को बेचते हैं, लेकिन उत्पाद शुल्क विभाग ने 9 जनवरी 2014 को आदेश जारी कर कॉरपोरेशन को सर्विस टैक्स के दायरे में मानते हुए उस पर 12 करोड़ 58 लाख रुपए की डिमांड निकाल दी. उत्पाद शुल्क विभाग का मानना था कि कॉरपोरेशन कमीशन एजेंट के तौर पर काम करता है. इसे कॉरपोरेशन ने अपीलीय अधिकरण में चुनौती देते हुए कहा कि वे कमीशन एजेंट नहीं है और न उनकी गतिविधियां सर्विस टैक्स के दायरे में हैं. वे तो केवल मार्जिन मनी अर्जित करते हैं और उन पर सर्विस टैक्स नहीं लगाया जा सकता.
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सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी पूर्व के फैसलों में राजस्थान स्टेट ब्रेवरेज कॉरपोरेशन को सर्विस टैक्स के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी नहीं माना है. इसलिए उन पर लगाए सर्विस टैक्स को निरस्त किया जाए. इस पर अपीलीय अधिकरण ने कॉरपोरेशन के हक में फैसला दिया. जिसे उत्पाद शुल्क विभाग ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.