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Special: बजट से नाखुश प्रदेश के सरपंचों का बड़ा ऐलान, उपचुनावों में सरकार का करेंगे बहिष्कार

राजस्थान गहलोत सरकार के वर्ष 2021-22 के आम बजट से नाराज प्रदेश के 12 हजार सरपंचों ने अब सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सरपंचों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की है. सरंपचों की सख्त चेतावनी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई, तो विधानसभा उपचुनाव का बहिष्कार करेंगे. देखें ये खास रिपोर्ट

sarpanches of rajasthan unhappy with budget, jaipur latest hindi news
बजट से टूटी आस, सरपंचों की हुंकार...
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Published : Feb 28, 2021, 3:15 PM IST

जयपुर. राजस्थान गहलोत सरकार ने वर्ष 2021-22 का आम बजट पेश किया. सीएम गहलोत का दावा है कि बजट में हर वर्ग को ध्यान में रखा गया. हर तबके को कुछ ना कुछ दिया गया है, लेकिन बजट ने निराश लोग मुखर होने लगे हैं. प्रदेश के सरंपचों का कहना है कि पूरे बजट भाषण में उनका नामोनिशान तक नहीं. यही वजह है कि बजट से नाराज प्रदेश के लगभग 12 हजार सरपंच अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. क्या हैं सरपंचों की मांग, किस तरह रहेगा आंदोलन. देखें ये खास रिपोर्ट

बजट से नाखुश सरपंचों ने दी उपचुनावों में सरकार का बहिष्कार करने की चेतावनी...

बजट में नाम तक नहीं...

प्रदेश के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति की समस्याओं और विकास को लेकर काम करने वाला जनप्रतिनिधि सरपंच ही है, जिसे सीधा फाइल पर हस्ताक्षर का अधिकार दिया गया है. लेकिन, प्रदेश के लगभग 12 हजार सरपंच राजस्थान सरकार के बजट से नाखुश, नाराज और मायुश है. 2 घंटे 45 मिनट के बजट भाषण में सरकार ने इनका नाम तक नहीं लिया, तो एक ही झटके में सारी उम्मीदें टूट गई. ऐसे में अब सरपंचों के पास आंदोलन के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है. राजस्थान सरपंच संघ की प्रवक्ता सविता मेहता कहती हैं, बहुत दुःख हुआ जब सरकार ने अपने इस आम बजट में सभी वर्ग को तो कुछ ना कुछ दिया, लेकिन सरपंच जो अंतिम छोर पर बैठे हुए व्यक्ति की समस्या और विकास के लिए काम करता है, उसे नजर अंदाज किया गया.

पढ़ें: जब किसान सम्मेलन में बेरोजगार युवा ने सरकार को याद दिलाया वादा, 'हमने तैयारी की उसका क्या होगा'?

क्या हैं सरपंचों की मांगें...

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सरपंचों की प्रमुख मांगें...

इनके अलावा छठवें वित्त आयोग का शीघ्र गठन, प्रशासन गांव के संग अभियान फिर से चलाने, कृषि भूमि में बसी बस्तियों को आबादी में कन्वर्ट करने, सभी टेंडर प्रक्रिया ग्राम पंचायत स्तर से जारी की करने जैसी विभिन्न मांगें हैं. राजस्थान सरपंच संघ प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल ने बताया कि पिछले कई महीनों से सरपंच अपने विभिन्न मांगों को लेकर अलग अलग तरीके से सरकार के सामने अपनी मांगें रखी, लेकिन सरकार ने सरपंचों की मांगों के प्रति सकारात्मक रुख नहीं अपनाया. बजट में भी सरपंचों को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई. इसी वजह से आंदोलन तेज करने करने का निर्णय लिया गया.

विधानसभा उपचुनाव के बहिष्कार की चेतावनी...

राजस्थान सरपंच संघ ने चरणबद्ध आंदोलन का ऐलान किया है. पहले चरण में 1 और 2 मार्च को सभी संभाग प्रभारी जिला मुख्यालयों पर सरपंच संघ की जिला कार्यकारिणी के साथ बैठक करके आंदोलन की रणनीति बताएंगे. पंचायत समिति स्तर पर 3 मार्च को सभी सरपंचों की बैठक आयोजित कर जयपुर विधानसभा का घेराव की रणनीति बताएंगे. उसके बाद 5 मार्च को होने वाली मासिक बैठक का बहिष्कार करेंगे. इसके बाद प्रदेश के करीब 12 हजार सरपंच 8 मार्च को जयपुर में विधानसभा के घेराव के लिए प्रस्थान करेंगे. इस दिन पहले प्रदेश भर के सभी सरपंच जयपुर में एक जगह एकत्रित होकर वहां से गांधीवादी तरीके से विधानसभा की तरफ कूच करेंगे और विधानसभा का घेराव करेंगे. इसके बाद भी अगर सरपंचों की मांगे नहीं मानी गई, तो आने वाले विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों का बहिष्कार कर उन्हें हराने के लिए प्रचार प्रसार करेंगे.

ऐसा नही है राजस्थान सरपंच संघ ने पहली बार आंदोलन का बिजुल बजाय हो. इससे पहले पीडी खातों में पैसे डालने के निर्णय को लेकर सरकार से दो-दो हाथ कर चुके हैं और सरकार से अपनी मांग मनवा भी चुके हैं. अब देखने वाली बात होगी कि क्या इस बार सरकार राजस्थान सरपंच संघ के आंदोलन के बीच उनकी मांगे मानती हैं.

जयपुर. राजस्थान गहलोत सरकार ने वर्ष 2021-22 का आम बजट पेश किया. सीएम गहलोत का दावा है कि बजट में हर वर्ग को ध्यान में रखा गया. हर तबके को कुछ ना कुछ दिया गया है, लेकिन बजट ने निराश लोग मुखर होने लगे हैं. प्रदेश के सरंपचों का कहना है कि पूरे बजट भाषण में उनका नामोनिशान तक नहीं. यही वजह है कि बजट से नाराज प्रदेश के लगभग 12 हजार सरपंच अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. क्या हैं सरपंचों की मांग, किस तरह रहेगा आंदोलन. देखें ये खास रिपोर्ट

बजट से नाखुश सरपंचों ने दी उपचुनावों में सरकार का बहिष्कार करने की चेतावनी...

बजट में नाम तक नहीं...

प्रदेश के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति की समस्याओं और विकास को लेकर काम करने वाला जनप्रतिनिधि सरपंच ही है, जिसे सीधा फाइल पर हस्ताक्षर का अधिकार दिया गया है. लेकिन, प्रदेश के लगभग 12 हजार सरपंच राजस्थान सरकार के बजट से नाखुश, नाराज और मायुश है. 2 घंटे 45 मिनट के बजट भाषण में सरकार ने इनका नाम तक नहीं लिया, तो एक ही झटके में सारी उम्मीदें टूट गई. ऐसे में अब सरपंचों के पास आंदोलन के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है. राजस्थान सरपंच संघ की प्रवक्ता सविता मेहता कहती हैं, बहुत दुःख हुआ जब सरकार ने अपने इस आम बजट में सभी वर्ग को तो कुछ ना कुछ दिया, लेकिन सरपंच जो अंतिम छोर पर बैठे हुए व्यक्ति की समस्या और विकास के लिए काम करता है, उसे नजर अंदाज किया गया.

पढ़ें: जब किसान सम्मेलन में बेरोजगार युवा ने सरकार को याद दिलाया वादा, 'हमने तैयारी की उसका क्या होगा'?

क्या हैं सरपंचों की मांगें...

sarpanches of rajasthan unhappy with budget, jaipur latest hindi news
सरपंचों की प्रमुख मांगें...

इनके अलावा छठवें वित्त आयोग का शीघ्र गठन, प्रशासन गांव के संग अभियान फिर से चलाने, कृषि भूमि में बसी बस्तियों को आबादी में कन्वर्ट करने, सभी टेंडर प्रक्रिया ग्राम पंचायत स्तर से जारी की करने जैसी विभिन्न मांगें हैं. राजस्थान सरपंच संघ प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल ने बताया कि पिछले कई महीनों से सरपंच अपने विभिन्न मांगों को लेकर अलग अलग तरीके से सरकार के सामने अपनी मांगें रखी, लेकिन सरकार ने सरपंचों की मांगों के प्रति सकारात्मक रुख नहीं अपनाया. बजट में भी सरपंचों को लेकर कोई घोषणा नहीं हुई. इसी वजह से आंदोलन तेज करने करने का निर्णय लिया गया.

विधानसभा उपचुनाव के बहिष्कार की चेतावनी...

राजस्थान सरपंच संघ ने चरणबद्ध आंदोलन का ऐलान किया है. पहले चरण में 1 और 2 मार्च को सभी संभाग प्रभारी जिला मुख्यालयों पर सरपंच संघ की जिला कार्यकारिणी के साथ बैठक करके आंदोलन की रणनीति बताएंगे. पंचायत समिति स्तर पर 3 मार्च को सभी सरपंचों की बैठक आयोजित कर जयपुर विधानसभा का घेराव की रणनीति बताएंगे. उसके बाद 5 मार्च को होने वाली मासिक बैठक का बहिष्कार करेंगे. इसके बाद प्रदेश के करीब 12 हजार सरपंच 8 मार्च को जयपुर में विधानसभा के घेराव के लिए प्रस्थान करेंगे. इस दिन पहले प्रदेश भर के सभी सरपंच जयपुर में एक जगह एकत्रित होकर वहां से गांधीवादी तरीके से विधानसभा की तरफ कूच करेंगे और विधानसभा का घेराव करेंगे. इसके बाद भी अगर सरपंचों की मांगे नहीं मानी गई, तो आने वाले विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों का बहिष्कार कर उन्हें हराने के लिए प्रचार प्रसार करेंगे.

ऐसा नही है राजस्थान सरपंच संघ ने पहली बार आंदोलन का बिजुल बजाय हो. इससे पहले पीडी खातों में पैसे डालने के निर्णय को लेकर सरकार से दो-दो हाथ कर चुके हैं और सरकार से अपनी मांग मनवा भी चुके हैं. अब देखने वाली बात होगी कि क्या इस बार सरकार राजस्थान सरपंच संघ के आंदोलन के बीच उनकी मांगे मानती हैं.

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