जयपुर. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के दफ्तर पर ईडी की कार्रवाई को लेकर PFI ने शनिवार को एक प्रेस वार्ता कर भाजपा पर निशाना साधा. PFI ने कहा कि ईडी 120 करोड़ रुपए के मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा चुकी है, लेकिन कभी भी यह आरोप सिद्ध नहीं हो पाया. पीएफआई ने बाबरी मस्जिद के फैसले को लेकर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अपनी जगह है, लेकिन यह आखिरी इंसाफ नहीं है.
मोहम्मद आसिफ ने कहा कि भाजपा के इशारे पर देशभर और राजस्थान में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के दफ्तरों पर ईडी की कार्रवाई की हम निंदा करते हैं. यह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित कार्रवाई थी. पीएफआई पिछले 1 साल से ईडी की कार्रवाई का सामना कर रही है. उन्होंने जो जानकारी मांगी उसे भी उन्हें मुहैया करवाई गई. पीएफआई पर 120 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग और सीएए की फंडिंग के आरोप भी लगे, लेकिन जांच में यह आरोप सिद्ध नहीं हो पाए.
मोहम्मद आसिफ ने कहा कि वर्तमान में देश में एक बड़ा किसान आंदोलन चल रहा है और इसे पूरा समर्थन भी मिल रहा है. इसी आंदोलन से जनता का ध्यान भटकाने के लिए PFI पर ईडी की कार्रवाई की गई है. वर्तमान में केंद्र की भाजपा सरकार को उनके सामने कोई आवाज उठाने वाला पसंद नहीं है, जो भी इनके खिलाफ आवाज उठाते हैं उनको डराया धमकाया जाता है. ऐसा ही कुछ CAA आंदोलन के दौरान भी देखने को मिला था. केंद्र सरकार सरकारी एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है. ईडी पहले विश्वसनीय एजेंसी थी, लेकिन भाजपा सरकार आने के बाद वह उसे अपने विरोधियों पर उसका गलत इस्तेमाल कर रही है. यह लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है.
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बाबरी मस्जिद को लेकर शहर में लगे पोस्टरों के सवाल पर प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद आसिफ ने कहा, वर्तमान में देश में लोकतंत्र खतरे में नजर आ रहा है. इस वर्ष की पहली सीढ़ी बाबरी मस्जिद का विध्वंस है. उन्होंने कहा कि यह लड़ाई हिंदू और मुस्लिम की नहीं है. यह देश के संविधान और इंसाफ की लड़ाई है. हम बाबरी मस्जिद की कार्रवाई को नाइंसाफी के तौर पर ही देखते हैं. सुप्रीम कोर्ट से बाबरी मस्जिद को लेकर जो फैसला आया है उसमें इंसाफ नहीं है और इस नाइंसाफी की आवाज को हम हमेशा उठाते रहेंगे.
मोहम्मद आसिफ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आखिरी फैसला नहीं हो सकता. सुप्रीम कोर्ट से पहले भी कई गलतियां हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने खुद ने माना है कि वहां मूर्तियां रखना गलत था. उसको तोड़ना भी गलत था और यदि सुप्रीम कोर्ट गलत करता है तो उसकी निंदा की जानी चाहिए. बाबरी मस्जिद मामले में इंसाफ नहीं हुआ है और हमारा मानना है कि इस मामले में इंसाफ होना चाहिए.