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शहादत को नमनः शूरवीरों के जज्बात को पोट्रेट में डालकर उनकी स्मृति को जिंदा करते हैं चंद्रप्रकाश...275 शहीदों को दे चुके हैं श्रद्धांजलि

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Published : Jul 26, 2021, 7:33 PM IST

जयपुर के चित्रकार चंद्र प्रकाश गुप्ता अपनी कला के माध्यम से कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देते है. चंद्र प्रकाश ने अब तक 275 शहीदों का पोट्रेट बनाया है. उनका इस प्रकार शहीदों को श्रद्धांजलि देने का तरीका काफी सराहनीय है.

शहीदों का पोट्रेट, portrait of martyrs
शहीदों का पोट्रेट बनाकर देते हैं श्रद्धांजलि

जयपुर. कारगिल युद्ध केवल युद्ध नहीं था, यह जवानों के जोश, जज्बे और फर्ज की लड़ाई थी. जिसमें देश के जवानों ने आगे बढ़कर दुश्मनों की छाती गोलियों ले छलनी कर दी थी और कारगिल को फतह किया. इस कारगिल युद्ध में अपनी शहादत देने वाले देश के जवानों को देश के लोगों ने अपने अलग-अलग अंदाज में श्रद्धांजलि भी दी और उनको नमन किया. ऐसे ही लोगों में जयपुर के एक चित्रकार चंद्र प्रकाश गुप्ता भी शामिल हैं, जिन्होंने कारगिल के शहीद सैनिकों को अपने रंगों से श्रद्धांजलि दी.

पढ़ेंः बम फटते ही शरीर से अलग हो गया पैर, फिर भी रॉकेट लांचर से 8 दुश्मनों को मार गिराया...शहादत से पहले मां को लिखी थी मार्मिक चिट्ठी

जयपुर के चंद्र प्रकाश गुप्ता ने कारगिल के शहीदों को अपने रंगों से पोट्रेट बनाकर श्रद्धांजलि दी और यह पोट्रेट उन्होंने शहीदों के परिजनों को भेंट भी किया. चंद्र प्रकाश गुप्ता अब तक 275 शहीदों के तेल चित्र (oil paint) बनाकर उनके परिजनों को भी भेंट कर चुके हैं.

शहीदों का पोट्रेट उनके परिजनों को भेंट करते चंद्रप्रकाश

चंद्र प्रकाश गुप्ता जयपुर के रहने वाले हैं और अपने पिता ब्रज मोहन गुप्ता के ही पद चिन्हों पर चलकर इन्होंने उनसे चित्रकारी सीखी. कारगिल युद्ध के समय शुरू हुई चंद्र प्रकाश गुप्ता की यह अनूठी मुहिम 22 साल बाद भी जारी है. चंद्र प्रकाश गुप्ता का कहना है कि जब शहीद का पोट्रेट बनाकर उनके परिजनों को भेंट करते हैं तो उन्हें बड़ा सुकून मिलता है और यही उनकी तरफ से एक सच्ची श्रद्धांजलि होती है.

गुप्ता ने पुलवामा हमले में शहीद हुए प्रदेश के जवानों को भी इसी तरह से पोट्रेट बनाकर श्रद्धांजलि दी और उनकी शहादत को याद किया. यह पोट्रेट उन्होंने शहीदों के परिजनों को भेंट किए. चंद्र प्रकाश गुप्ता अपनी इस अनूठी मुहिम में किसी तरह की कोई सरकारी सहायता नहीं लेते हैं. वह अपने स्तर पर ही यह सारा काम करते हैं. गुप्ता ने कहा कि कारगिल युद्ध में भारत की विजय एक गौरव का पल था. उस समय कारगिल के कठिन युद्ध में भारत के सैनिकों ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया और कारगिल से पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ दिया.

पढ़ें- कारगिल युद्ध की विजय गाथा : दावत छोड़ भाग छूटे थे दुश्मन, जांबाजों ने ऐसे जीती थी बजरंग पोस्ट

उन्होंने कहा कि जब कारगिल युद्ध लड़ा जा रहा था तो पूरे देश में देशभक्ति का माहौल था. जब भी शहीद का पार्थिव देह पैतृक गांव पहुंचता था सबकी आंखों में आंसू और जबान पर भारत माता की जय होती थी. सब लोग देशभक्ति के नारे लगाते थे. सभी लोग अपने-अपने अंदाज में शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहे थे उसी समय मैंने भी अपनी कला के जरिए तेल चित्र बनाकर शहीदों को श्रद्धांजलि देने निर्णय किया. यह मेरे लिए एक अलग ही अनुभूति थी.

गुप्ता ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए राजस्थान के सैनिकों का पोट्रेट बनाकर उनके परिजनों को भेंट किया. गुप्ता अब 275 सैनिकों के तेल चित्र बनाकर उनके परिजनों को भेंट कर चुके हैं. चंद्र प्रकाश गुप्ता ने कहा कि जब तक मेरे शरीर में प्राण है तब तक शहीदों की शहादत को श्रद्धांजलि देने की उनकी यह अनूठी मुहिम लगातार जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसी भी इलाके किसी भी गांव ढाणी में स्थित शहीद के पैतृक गांव जाकर वे उनकी विधवा, माता-पिता या बच्चो को वे यह तेल चित्र भेंट करते हैं.

गुप्ता ने कहा कि वो शहीदों के परिजनों को भी नमन करते हैं जिन्होंने अपने दिल के टुकड़े को देश के लिए न्योछावर कर दिया. चित्रकार चंद्र प्रकाश गुप्ता ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए 72 सैनिकों और पुलवामा हमले में प्रदेश के शहीद हुए 5 जवानों के पोर्ट्रेट बनाकर उनके परिजनों को भेंट कर चुके हैं. अपने संस्मरण सुनाते हुए चंद्र प्रकाश गुप्ता ने कहा कि लगभग डेढ़ साल पहले उन्होंने 22 साल के सौरभ कटारा का पोर्ट्रेट उनके परिजनों को भेंट किया. सौरभ कटारा भी देश के लिए शहीद हो गए थे.

गुप्ता ने कहा कि सौरभ कटारा अपनी शादी के 17 दिन बाद ही देश के लिए शहीद हो गए थे. जब उनका पोट्रेट परिजनों को भेंट किया तो उस समय उनकी पत्नी की मेहंदी तक फीकी नही पड़ी थी.

पढ़ेंः कारगिल युद्ध की विजय गाथा : दावत छोड़ भाग छूटे थे दुश्मन, जांबाजों ने ऐसे जीती थी बजरंग पोस्ट

गुप्ता ने श्रद्धांजलि देने की इस अनूठी मुहिम की शुरुआत की थी तब उनकी उम्र 28 साल थी. चंद्र प्रकाश गुप्ता ने कहा कि मेरे काम को देखते हुए तत्कालीन राज्यपाल अंशुमन सिंह ने उन्हें गवर्नर हाउस बुलाया और उनके काम की तारीफ भी की. जब गवर्नर किसी शहीद की मूर्ति अनावरण समारोह में जाते थे तो वह मुझे भी अपने साथ राजकीय विमान में ले जाते थे और वहीं पर गुप्ता शहीद का तेल चित्र उनके परिजनों को भेंट करते थे.

जयपुर. कारगिल युद्ध केवल युद्ध नहीं था, यह जवानों के जोश, जज्बे और फर्ज की लड़ाई थी. जिसमें देश के जवानों ने आगे बढ़कर दुश्मनों की छाती गोलियों ले छलनी कर दी थी और कारगिल को फतह किया. इस कारगिल युद्ध में अपनी शहादत देने वाले देश के जवानों को देश के लोगों ने अपने अलग-अलग अंदाज में श्रद्धांजलि भी दी और उनको नमन किया. ऐसे ही लोगों में जयपुर के एक चित्रकार चंद्र प्रकाश गुप्ता भी शामिल हैं, जिन्होंने कारगिल के शहीद सैनिकों को अपने रंगों से श्रद्धांजलि दी.

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जयपुर के चंद्र प्रकाश गुप्ता ने कारगिल के शहीदों को अपने रंगों से पोट्रेट बनाकर श्रद्धांजलि दी और यह पोट्रेट उन्होंने शहीदों के परिजनों को भेंट भी किया. चंद्र प्रकाश गुप्ता अब तक 275 शहीदों के तेल चित्र (oil paint) बनाकर उनके परिजनों को भी भेंट कर चुके हैं.

शहीदों का पोट्रेट उनके परिजनों को भेंट करते चंद्रप्रकाश

चंद्र प्रकाश गुप्ता जयपुर के रहने वाले हैं और अपने पिता ब्रज मोहन गुप्ता के ही पद चिन्हों पर चलकर इन्होंने उनसे चित्रकारी सीखी. कारगिल युद्ध के समय शुरू हुई चंद्र प्रकाश गुप्ता की यह अनूठी मुहिम 22 साल बाद भी जारी है. चंद्र प्रकाश गुप्ता का कहना है कि जब शहीद का पोट्रेट बनाकर उनके परिजनों को भेंट करते हैं तो उन्हें बड़ा सुकून मिलता है और यही उनकी तरफ से एक सच्ची श्रद्धांजलि होती है.

गुप्ता ने पुलवामा हमले में शहीद हुए प्रदेश के जवानों को भी इसी तरह से पोट्रेट बनाकर श्रद्धांजलि दी और उनकी शहादत को याद किया. यह पोट्रेट उन्होंने शहीदों के परिजनों को भेंट किए. चंद्र प्रकाश गुप्ता अपनी इस अनूठी मुहिम में किसी तरह की कोई सरकारी सहायता नहीं लेते हैं. वह अपने स्तर पर ही यह सारा काम करते हैं. गुप्ता ने कहा कि कारगिल युद्ध में भारत की विजय एक गौरव का पल था. उस समय कारगिल के कठिन युद्ध में भारत के सैनिकों ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया और कारगिल से पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ दिया.

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उन्होंने कहा कि जब कारगिल युद्ध लड़ा जा रहा था तो पूरे देश में देशभक्ति का माहौल था. जब भी शहीद का पार्थिव देह पैतृक गांव पहुंचता था सबकी आंखों में आंसू और जबान पर भारत माता की जय होती थी. सब लोग देशभक्ति के नारे लगाते थे. सभी लोग अपने-अपने अंदाज में शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहे थे उसी समय मैंने भी अपनी कला के जरिए तेल चित्र बनाकर शहीदों को श्रद्धांजलि देने निर्णय किया. यह मेरे लिए एक अलग ही अनुभूति थी.

गुप्ता ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए राजस्थान के सैनिकों का पोट्रेट बनाकर उनके परिजनों को भेंट किया. गुप्ता अब 275 सैनिकों के तेल चित्र बनाकर उनके परिजनों को भेंट कर चुके हैं. चंद्र प्रकाश गुप्ता ने कहा कि जब तक मेरे शरीर में प्राण है तब तक शहीदों की शहादत को श्रद्धांजलि देने की उनकी यह अनूठी मुहिम लगातार जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसी भी इलाके किसी भी गांव ढाणी में स्थित शहीद के पैतृक गांव जाकर वे उनकी विधवा, माता-पिता या बच्चो को वे यह तेल चित्र भेंट करते हैं.

गुप्ता ने कहा कि वो शहीदों के परिजनों को भी नमन करते हैं जिन्होंने अपने दिल के टुकड़े को देश के लिए न्योछावर कर दिया. चित्रकार चंद्र प्रकाश गुप्ता ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए 72 सैनिकों और पुलवामा हमले में प्रदेश के शहीद हुए 5 जवानों के पोर्ट्रेट बनाकर उनके परिजनों को भेंट कर चुके हैं. अपने संस्मरण सुनाते हुए चंद्र प्रकाश गुप्ता ने कहा कि लगभग डेढ़ साल पहले उन्होंने 22 साल के सौरभ कटारा का पोर्ट्रेट उनके परिजनों को भेंट किया. सौरभ कटारा भी देश के लिए शहीद हो गए थे.

गुप्ता ने कहा कि सौरभ कटारा अपनी शादी के 17 दिन बाद ही देश के लिए शहीद हो गए थे. जब उनका पोट्रेट परिजनों को भेंट किया तो उस समय उनकी पत्नी की मेहंदी तक फीकी नही पड़ी थी.

पढ़ेंः कारगिल युद्ध की विजय गाथा : दावत छोड़ भाग छूटे थे दुश्मन, जांबाजों ने ऐसे जीती थी बजरंग पोस्ट

गुप्ता ने श्रद्धांजलि देने की इस अनूठी मुहिम की शुरुआत की थी तब उनकी उम्र 28 साल थी. चंद्र प्रकाश गुप्ता ने कहा कि मेरे काम को देखते हुए तत्कालीन राज्यपाल अंशुमन सिंह ने उन्हें गवर्नर हाउस बुलाया और उनके काम की तारीफ भी की. जब गवर्नर किसी शहीद की मूर्ति अनावरण समारोह में जाते थे तो वह मुझे भी अपने साथ राजकीय विमान में ले जाते थे और वहीं पर गुप्ता शहीद का तेल चित्र उनके परिजनों को भेंट करते थे.

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