जयपुर. आमेर के अचरोल गांव में गुरुवार सुबह एक पैंथर के आबादी क्षेत्र में घुसने से दहशत का माहौल बन गया था. पैंथर ने करीब 4 घंटे गांव में तांडव मचाते हुए 5 लोगों को घायल कर दिया. गुरुवार सुबह पैंथर ने गांव में सो रहे लोगों पर हमला कर दिया, जिसमें तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इसके बाद वह निर्माणाधीन अपेक्स यूनिवर्सिटी में घुस गया, जहां उसने चौकीदार समेत दो लोगों को जख्मी कर दिया. इस घटना के बाद एक बार फिर रिहायशी इलाकों में खूंखार जंगली जानवरों के हमले की घटनाओं ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है.
जयपुर के आसपास के इलाके में जंगल और पहाड़ों के बीच बघेरों के कुनबे को आबाद करने के लिए जंगलात महकमा नित नई योजनाएं ला रहा है. लेकिन इन बघेरों के रिहायशी इलाकों में दाखिल (Leopard Projects in Rajasthan) होकर खुद को और जनता की जान को खतरे में डालने के मसले पर महकमे की गंभीरता नजर नहीं आती है. एक के बाद एक घटनाएं वन विभाग के सामने हैं. लेकिन इन पर लगाम कसने के लिए पुख्ता इंतजाम या ठोस रणनीति धरातल पर नजर नहीं आती है.
ये हैं लेपर्ड प्रोजेक्ट और बघेरों की स्थिति : जयपुर शहर के मालवीय नगर औद्योगिक क्षेत्र के पीछे झालाना डूंगरी के जंगलों से लेकर, सीकर रोड तक फैले हुए नाहरगढ़ वन्य अभ्यारण तक प्रदेश के वन विभाग ने तीन लेपर्ड प्रोजेक्ट जारी रखे हुए है. यहां लेपर्ड सफारी के साथ-साथ में शहर की आबादी को साफ आबोहवा देने के लिए घने जंगल और जंगलों के संरक्षण को बनाए रखने के लिए ग्रास लैंड विकसित करने का काम जारी है.
झालाना लेपर्ड सफारी, आमागढ़ में गलता लेपर्ड सफारी और आमेर में नाहरगढ़ लेपर्ड सफारी का प्रोजेक्ट वन विभाग के अधीन है. इनमें से झालाना और गलता में लेपर्ड सफारी का काम जारी है और नाहरगढ़ में जल्द प्रोजेक्ट शुरू होने के आसार हैं. इन तीनों जंगलों की अगर बात की जाए तो करीब 60 से ज्यादा बघेरा यहां अपनी (Panther Attack in Rajasthan) आरामगाह बनाकर रह रहे हैं. यही वजह है कि अक्सर इनके आसपास के इलाकों में पैंथर का मूवमेंट नजर आता है और इस तरह की घटनाएं कई बार इंसानी जान पर आफत बनकर टूट पड़ती है.
ये रही हैं बीते 5 साल की प्रमुख घटनाएं :
19 मार्च 2017 को एक लेपर्ड जयपुर के जेएलएन मार्ग पर दौड़ता दिखा था. इसके बाद यह लेपर्ड कर्पूरचंद्र कुलिश स्मृति वन में घुस गया था. इसके चलते स्मृति वन को कई दिनों तक बंद रखना पड़ा था. वन विभाग ने यहां शिकार रखकर पिंजरे भी लगाए, लेकिन लेपर्ड पकड़ में नहीं आया था. लेपर्ड के नहीं दिखने के बाद स्मृति वन को फिर से खोला गया. रात को जवाहरलाल नेहरू मार्ग, झालाना कच्ची बस्ती, रॉयल्टी मार्ग, परिवहन मार्ग आदि इलाकों में पुलिस एवं वन विभाग की टीम कई दिनों तक गश्त करती रही. इस दरमियान तकरीबन 1 महीने तक आसपास के आबादी वाले इलाके में बसे लोग भय के साए में वक्त काटते रहे.
17 अप्रैल 2018 को मालवीय नगर औद्योगिक क्षेत्र में एक बार फिर पैंथर ने दस्तक दी. रात करीब 11.15 बजे मालवीय नगर में एक रेस्टोरेंट के नजदीक खाली प्लॉट में पैंथर दिखाई दिया. रेस्टोरेंट में आए लोगों ने पुलिस को सूचना दी. इतनी आबादी वाले इलाके में पैंथर आने की सूचना पूरे इलाके में फैल गई. जिससे वहां दहशत का माहौल हो गया. इससे भी पहले शिकार की तलाश में पैंथर जेएलएन मार्ग पर आ गया था.
15 सितंबर 2019 को झालाना वन क्षेत्र से एक बार फिर लेपर्ड शिकार की तलाश में घनी आबादी क्षेत्र में चला आया. इस बार लेपर्ड लगातार दो दिन से झालाना संस्थानिक क्षेत्र में ललित कला अकादमी परिसर में घुस रहा है. जहां उसने एक कुत्ते का शिकार किया. इसके चलते क्षेत्र में दहशत का माहौल हो गया.
13 दिसंबर 2019 को राजधानी जयपुर 18 घंटे तक एक पैंथर की वजह से दहशत का कारण बना था. पैंथर एक क्लीनिक में छुप गया था. वन विभाग ने उसे कमरे में बंद कर बाहर से ट्रेंकुलाइज गन से बेहोश किया. आबादी वाले क्षेत्र तख्तेशाही रोड पर शाम करीब 5 बजे पहली बार पैंथर को देखा गया था. इसके बाद से यह पैंथर इस पूरे इलाके में घूम रहा था और रात भर में घूमता हुआ इसी क्षेत्र में करीब तीन किलोमीटर दूर चल कर दूसरे घनी आबादी वाले क्षेत्र लालकोठी क्षेत्र में पहुंच गया था.
इस दौरान यह पैंथर एक स्कूल में गया, फिर एक कॉलेज परिसर में घुसा था. इस वजह से दोनों ही संस्थानों में अवकाश घोषित कर दिया गया था. इसके बाद यह सवाई मानसिंह स्टेडियम के पीछे की तरफ चला गया था. इसके बाद यह एक रेस्टोरेंट के सीसीटीवी में नजर आया था. इसके बाद यह विधानसभा के पीछे की तरफ स्थित ग्रेटर कैलाश कॉलोनी में चला गया था और सुबह तीन घंटे से इस इलाके एक से दूसरे मकान में जा रहा था.
21 अप्रैल 2020 को जयपुर शहर के नाहरगढ़ किले की दीवार पर एक पैंथर नजर आया. पैंथर को देखकर लोगों में अफरा-तफरी मच गई. हालांकि, पैंथर स्थानीय आबादी वाले इलाके से काफी दूरी पर था. लेकिन स्थानीय लोगों को नजर आ रहा था. जिसके चलते किले के नीचे रहने वाले लोगों ने उसकी तस्वीर कैमरे में कैद कर ली.
29 दिसंबर 2020 को जयपुर के आबादी वाले इलाके में अल सुबह एक तेंदुआ घुस आया. इससे वहां हड़कंप मच गया. मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने करीब 4 घंटे बाद दोपहर 12.15 बजे तेंदुए को ट्रैंकुलाइज करके पकड़ा. यह तेंदुआ पास ही में झालाना के जंगलों से घूमते हुए जगतपुरा स्थित रामनगरीय क्षेत्र में पहुंचा था. रामनगरीया इलाके के करोल बाग के रिद्धी-सिद्धी विहार में आए इस तेंदुए को देखकर कॉलोनी के लोगों में दहशत फैल गई.
22 अगस्त 2021 को हेरिटेज नगर निगम के वार्ड 1 पूर्व पार्षद विजयलक्ष्मी पारीक के घर से पैंथर गाय के बछड़े को शिकार करके ले गया. देर रात 12:30 बजे की यह सारी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई.
25 अक्टूबर 2021 को जयपुर के मोतीडूंगरी किले के आसपास एक तेंदुए का मूवमेंट नजर आया. तीन दिनों तक यह तेंदुआ जेएलएन मार्ग स्थित मोतीडूंगरी की पहाड़ियों में देर रात घूमता रहा. यह तेंदुआ वन विभाग के कैमरों में भी ट्रैप हुआ, लेकिन पकड़ने के लिए लगाए गए पिंजरे में कैद नहीं हो सका. लिहाजा तेंदुए के आबादी क्षेत्र में कभी भी घुसने की दहशत में किले की तलहटी में बसी गणेश नगर कॉलोनी में स्थानीय लोगों ने एक हफ्ते तक दहशत में रात गुजारी.
19 दिसंबर 2021 को जयपुर में मालवीय नगर इलाके के सेक्टर 7 में सुबह सुबह आबादी क्षेत्र में पैंथर घुस आया. एक मकान में घुसे इस वयस्क पैंथर को रेस्क्यू करने में करीब तीन घंटे लगे. पैंथर के मूवमेंट के चलते लोगो मे काफी दहशत का माहौल बन गया और सभी लोग अपने-अपने घरों की छतों पर चढ़ गए.
एक बार भालू भी हुआ दाखिल : 17 अप्रैल 2022 नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर में पिंजरे से भागा भालू जयसिंहपुरा खोर में एक मकान में दुबक कर बैठा गया. भालू को वन विभाग की टीम ने जब तक ट्रैंक्यूलाइज नहीं किया, इलाके के लोगों की सांस ऊपर चढ़ी रही. नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर का यह भालू पिंजरे से निकल कर तकरीबन 10 किलोमीटर दूर आबादी क्षेत्र में भाग गया था.
सड़क हादसे का शिकार भी हो जाते हैं पैंथर : पैंथरों की सर्वाधिक मौतें हादसों और दूसरे जानवरों के हमले में हो रही हैं. लोगों से इन्हें जान का खतरा डूंगरपुर, बांसवाड़ा, राजसमंद आदि क्षेत्रों में ज्यादा है. वहां आबादी क्षेत्रों का जंगलों से जुड़ाव और खुलापन होने के कारण ये आसानी से आबादी तक पहुंच जाते हैं. वहां कई बार लोग सुरक्षित पकड़ने की बजाय उन्हें मौत के घाट उतार रहे हैं. ग्रामीणों के हमले एवं हादसों में भी सर्वाधिक पैंथर इन्हीं क्षेत्रों में मारे गए हैं. पिछले करीब 6 साल में 63 पैंथरों को सड़कों पर वाहनों ने कुचल दिया या पटरियों पर ट्रेन ने चपेट में ले लिया. इस अवधि में 14 पैंथरों को लोगों ने घेरकर मार डाला. वन्यजीव विभाग की रिपोर्ट के अनुसार पिछले लगभग 6 साल में 253 पैंथर मारे जा चुके हैं. कभी रास्ता भटकने तो कभी भूख-प्यास के कारण भोजन की तलाश में पैंथर आबादी क्षेत्र में पहुंचे थे.
ये है वन्यजीव प्रेमियों की मांग : वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट सूरज सोनी ने बताया कि एक तरफ बघेरों की आबादी में इजाफा खुशी वाली बात है और दूसरी तरफ आबादी वाले इलाकों में इनका दखल चिंता भी बढ़ा देती है. जिस तरह से यह लगातार रिहायशी इलाकों में मूवमेंट कर रहे हैं, उसके बाद इनकी जान को भी खतरा हो सकता है. वन्यजीव प्रेमियों ने मांग की है कि जंगलों की फेंसिंग के जरिए इन वन्यजीवों का दखल आबादी वाले इलाकों से रोका जा सकता है. इसी तरह से इनके लिए जरूरी पेयजल और खाने की व्यवस्था भी इलाके में होनी चाहिए. क्षेत्र और बढ़ती आबादी के कारण पैंथर के बीच बढ़ते जीवन के संघर्ष को भी कम करने के लिए एक प्लान बनाकर उस पर काम किया जाना चाहिए.
वन्यजीव विभाग का यह कहना : इस मामले में डीएफओ मनफूल विश्नोई का कहना है कि बढ़ती आबादी (Wildlife Expert on Panther Attack) रिहायशी इलाकों में पैंथर के दखल की बड़ी वजह है. उन्होंने कहा कि बघेरों की आबादी सिर्फ जयपुर के आसपास नहीं, अपितु पूरे राजस्थान में बढ़ी है. इस वजह से अब वन विभाग जंगल में ही इनके लिए पेयजल उपलब्ध करवाने के प्रयास कर रहा है. जयपुर के आसपास के जंगलात इलाके में 30 के करीब वाटर बॉडी तैयार करवाई गई है, ताकि प्यासे जानवर आबादी वाले इलाकों का रुख ना करें. लेकिन ठोस इंतजाम के मसले पर इनके पास भी कोई जवाब नहीं था.