जयपुर. राजधानी के दोनों निगम के लिए बीता वित्तीय वर्ष राजस्व वसूली के नजरिए से कुछ खास नहीं रहा. हालांकि वित्तीय वर्ष 2021-22 के भी 9 महीने बीत चुके हैं जिसमें हेरिटेज निगम करीब 18 करोड़ तो ग्रेटर नगर निगम करीब 40 करोड़ राजस्व ही इकट्ठा (Revenue collection by Greater Nagar Nigam) कर पाया है. ऐसे में अब दोनों निगम इस वित्तीय वर्ष के बचे हुए महीनों में बकायेदारों को डिमांड नोटिस भेज राशि जमा नहीं कराने पर संपत्तियां कुर्क कर तिजोरी भरने की तैयारी की जा रहे हैं.
प्रदेश में फैले कोरोना का असर नगर निगम की वित्तीय स्थिति पर भी पड़ा है. तमाम कवायद के बावजूद निगम तय लक्ष्य के आसपास भी नहीं पहुंचा है.
हेरिटेज नगर निगम :
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हालांकि हेरिटेज निगम अधिकारियों का तर्क है कि बीते वित्तीय वर्ष की तुलना में अब तक ज्यादा राजस्व अर्जित किया जा चुका है. इस वित्तीय वर्ष में 3 महीने और बचे हैं. जिसमें 35 करोड़ राजस्व इकट्ठा करने का लक्ष्य है. इसके लिए डिमांड भी जनरेट की जा रही है. डिमांड नोटिस भी जारी किए जा रहे हैं. जिन लोगों ने लंबे समय से यूडी टैक्स जमा नहीं कराया है, उन्हें चिह्नित किया गया है. उन्हें धारा 130 का नोटिस दिया गया है. 15 दिन में यदि वो डिमांड राशि जमा नहीं कराते हैं, तो फिर कुर्की की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.
हेरिटेज निगम राजस्व उपायुक्त सोहन राम ने बताया कि बड़ी राशि के करीब 5 हजार बकायेदारों को चिह्नित किया गया है. अब तक करीब 1200 नोटिस दिए जा चुके हैं.
ग्रेटर नगर निगम :
वहीं ग्रेटर नगर निगम भी राजस्व के मामले में कुछ खास नहीं कर पाया. इस वित्तीय वर्ष में अब तक महज 40 करोड़ का आंकड़ा छूने वाले ग्रेटर नगर निगम की राजस्व उपायुक्त शिप्रा शर्मा ने बताया कि काफी समय से निगम राजस्व कोरोना से प्रभावित चल रहा है. हालांकि दिसंबर महीने में बेहतर वसूली हुई और अब जनवरी, फरवरी और मार्च में सभी जोन के लक्ष्य को तीन टुकड़ों में बांटकर लक्ष्य प्राप्ति करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने बताया कि करीब 124 करोड़ राजस्व का लक्ष्य है. ऐसे में सभी टीमें कलेक्शन में जुटी हुई हैं. नगरपालिका अधिनियम के अंतर्गत जिन संपत्ति धारकों ने डिमांड नोटिस के बाद भी राशि जमा नहीं कराई है, उनकी संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई भी की जा रही है. अब तक 927 बकायेदारों को चिह्नित करते हुए 130 डिमांड नोटिस जारी किए जा चुके हैं.
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बहरहाल, निगम में आने वाले राजस्व पर ही काफी हद तक शहरी क्षेत्र के विकास कार्य निर्भर रहते हैं. लेकिन शहर के दोनों ही निगम राजस्व वसूली में अब तक फिसड्डी साबित हुए हैं. अब महज ढाई महीना बचा है, जिसमें राजस्व लक्ष्य बहुत बड़ा है.