जयपुर. शहर के प्रॉपर्टी धारकों से यूडी टैक्स वसूलने में नाकाम रहा निगम प्रशासन अब इस काम के लिये बाहरी कंपनी को टेंडर दे रहा है. जो डोर टू डोर सर्वे करने के बाद बिल बनाने से लेकर कलेक्शन करने तक का काम करेगी. इस कदम को उठाने के पीछे निगम प्रशासन स्टाफ की कमी होने का हवाला दे रहा है.
जयपुर नगर निगम की ओर से किए गए सर्वे के अनुसार शहर में फिलहाल 1 लाख 32 हजार प्रॉपर्टी धारक यूडी टैक्स के दायरे में आते हैं. जबकि वर्तमान जनसंख्या के अनुसार ये संख्या पांच से छह लाख होनी चाहिए. लेकिन निगम प्रशासन स्टाफ की कमी का हवाला देते हुए नया सर्वे नहीं करा पाने का रोना रो रहा है.
इसलिए निगम प्रशासन इस काम के लिए बाहरी कंपनी को टेंडर देने का प्लान तैयार कर रहा है. यूडी टैक्स की वसूली के लिए बाहरी कंपनी घर-घर का सर्वे करेगी और प्रॉपर्टी धारक से बकाया यूडी टैक्स भी वसूलेगी. इससे निगम को हर साल करीब 80 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होगा.
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इस संबंध में शुक्रवार को निगम मुख्यालय पर बैठक भी बुलाई गई. जिसमें कमिश्नर, डिप्टी कमिश्नर और रेवेन्यू ऑफिसर ने राय मशवरा कर निजी कंपनी के लिए इसी महीने टेंडर निकालने का फैसला लिया. इस संबंध में रेवेन्यू उपायुक्त नवीन भारद्वाज ने बताया कि निगम ने अपनी कमजोरी को समझते हुए यूडी टैक्स वसूली के लिए आउट सोर्स करने का प्लान बनाया है.
जो सर्वे, बिल असेसमेंट, डिस्ट्रीब्यूशन और कलेक्शन का काम करेगी. उन्होंने कहा कि भले ही निगम ने टैक्स जमा कराने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म दिया हो, लेकिन लोग टैक्स का भुगतान नहीं कर रहे हैं. इसलिए अब डोर टू डोर सर्वे कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि शहर में वर्तमान में 91 वार्ड हैं, लेकिन रेवेन्यू इंस्पेक्टर महज 15 से 20 हैं. जिससे ना तो सर्वे का काम किया जा सकता है और ना ही वसूली का.
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आपको बता दें कि हरियाणा, दिल्ली, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में भी यूडी टैक्स वसूली के लिए बाहरी कंपनियों को टेंडर दिया हुआ है. इसी तर्ज पर अब जयपुर नगर निगम भी अपनी कमजोरी बताते हुए बाहरी कंपनी पर डिपेंडेंड होने जा रहा है.