जयपुर. राज्य सरकार पर भार बनने के बजाय अब जयपुर मेट्रो अपने ही संसाधनों से रेवेन्यू जनरेट करने की जुगत में लगा हुआ है. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की मंजूरी के बाद मेट्रो प्रशासन अब अपनी 14 जमीनों को लीज पर देने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए एक लैंड सेल का गठन भी किया गया है, जिसमें रिटायर्ड आरएएस अधिकारियों के साथ-साथ जयपुर कलेक्ट्रेट के पटवारियों को भी शामिल किया गया है. इसके साथ ही जयपुर मेट्रो ने दो कंसलटेंसी फर्म को भी हायर किया है.
इस संबंध में जयपुर मेट्रो कॉरपोरेट अफेयर्स डायरेक्टर राजेश कुमार अग्रवाल ने बताया कि जयपुर मेट्रो में नॉन फेयर रेवेन्यू बढ़ाने पर काम किया जा रहा है. मेट्रो के पास पार्किंग और अन्य जमीन को लीज पर देने की कार्रवाई चल रही है. इसके लिए ट्रांजेक्शन एडवाइजर नियुक्त किए गए हैं. उनकी मदद लेकर जमीनों को लॉन्ग टर्म लीज पर देने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे जयपुर मेट्रो के ऑपरेशनल लॉस को कम किया जा सकेगा और आगामी प्रोजेक्ट के लिए भी फंड जमा किया जा सकेगा.
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उन्होंने बताया कि जयपुर मेट्रो के पास फिलहाल 8 हजार स्क्वॉयर मीटर जमीन स्टेशन की पार्किंग में उपलब्ध है. उसके अलावा टोंक रोड, लालकोठी और दुर्गापुरा में जमीन उपलब्ध है. उन्हें जेडीए के माध्यम से बेचने की कोशिश की जा रही है. इनमें कुछ प्लॉट बेचे जा चुके हैं, बाकी पर कार्रवाई की जा रही है.
अग्रवाल ने बताया कि जो इंटरनेशनल नॉर्म्स हैं, उसमें नॉन फेयर रेवेन्यू, फेयर रेवेन्यू की 30 प्रतिशत के करीब होता है. अभी फेयर रेवेन्यू 9 करोड़ है, उसके हिसाब से 3 करोड़ नॉन फेयर रेवेन्यू होना चाहिए. पिछले साल करीब साढ़े 3 करोड़ रुपए नॉन फेयर रेवेन्यू रहा, जिसे अगले साल तक 4 से 5 करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
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हालांकि, कोविड-19 की वजह से फिलहाल जमीनों को लीज पर देने का काम शुरू नहीं हो पाया है. इसके लिए पहले टेंडर फ्लोट होंगे और उसके बाद जो रेवेन्यू आएगा, जो अगले वित्तीय वर्ष में शामिल होगा. इससे पहले मेट्रो प्रशासन एडवरटाइजमेंट, मेट्रो स्टेशन की छतों पर मोबाइल टावर, एटीएम और कियोस्क के लिए स्टेशन पर जगह देना, मेट्रो स्टेशन की दुकानों को किराए पर देने का काम भी कर रहा है.