जयपुर. जिला कलेक्ट्रेट में आने वाली सैकड़ों शिकायतों और उसके समाधान के लिए उचित कार्रवाई के लिए जयपुर जिला कलेक्टर ने एक पहल की है. उन्होंने खुद का ही एक पोर्टल इजाद किया और उसे कलेक्ट्रेट में लागू किया है. वे खुद ही जयपुर जिला कलेक्ट्रेट में आने वाली शिकायतों और उसके समाधान की मॉनिटरिंग करेंगे. क्योंकि कलेक्ट्रेट में शिकायती पत्र तो आते हैं लेकिन संबंधित अधिकारी तक पहुंचने के बाद यह पत्र गुमनाम हो जाते हैं.
जयपुर जिला कलेक्टर जोगाराम जांगिड़ चाहते हैं कि शिकायती पत्रों पर उचित कार्रवाई हो, खासकर सरकार की तरफ से जो पत्र आते हैं उन पर समय पर कार्रवाई हो. कलेक्टर जोगाराम जांगिड़ ने अपना खुद का इजाद किया हुआ फॉर्मूला कलेक्ट्रेट में लगाया है. इसका नाम है इंपोर्टेंट डाक मॉनिटरिंग सिस्टम (IDMS) रखा गया है. कलेक्टर जोगाराम ने बताया कि इस सिस्टम में मुख्यमंत्री, शासन सचिवालय, मंत्रियों, विधायकों, आयोगों, संबंधित विभागों, कानून व्यवस्था से जुडे़ तमाम पत्रों का समयबद्ध निपटारा सुनिश्चित हो सकेगा.
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जब स्थानीय स्तर पर जनता की सुनवाई नहीं होती तो उन्हें अंतिम रास्ता जिला कलेक्ट्रेट ही दिखाई देता है. अपना काम होने की उम्मीद में सैकड़ों लोग जयपुर जिला कलेक्ट्रेट में आते हैं. इसी के चलते जयपुर जिला कलेक्ट्रेट में शिकायतों का ढेर भी लग जाता है. इसी समस्या से निपटने के लिए कलेक्टर जोगाराम ने अपना बनाया हुआ तरीका कलेक्ट्रेट में लागू किया है. इस सिस्टम से शिकायत संबंधित अधिकारी तक पहुंचेगी साथ ही जिला कलेक्टर जोगाराम भी उस पर नजर रखेंगे. इस सिस्टम के चलते स्थानीय अधिकारी भी अपना काम समय पर करेंगे.
क्या है आईडीएमएस (IDMS):
इस सिस्टम के दायरे में एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार, जिला स्तरीय विभागीय अधिकारी, ओआईसी रहेंगे. इसके बाद जो भी डाक आएगी वह सबसे पहले सिस्टम में चढे़गी, उसका समय बताया जाएगा और इसकी मॉनिटरिंग होगी. इस सिस्टम से महत्वपूर्ण डाक का समय पर निस्तारण होगा और आमजन को राहत मिलेगी. इससे पहले सैकड़ों की संख्या में डाक आने से कुछ पत्र इधर-उधर हो जाते थे. जिसके कारण मॉनिटरिंग नहीं हो पाती थी. कलेक्टर ने कहा कि समयबद्ध काम नहीं हुआ तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होगी. फिलहाल जयपुर में अभी इस पोर्टल पर 459 शिकायतें पेडिंग चल रही है.
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कलेक्टर डॉक्टर जोगाराम ने बताया की इंपोर्टेंट डाक मॉनिटरिंग सिस्टम (IDMS) को इजाद करने का मकसद सिर्फ समय से लोगों की समस्याओं का निस्तारण करना है. साथ ही सीएमओ, सीएमआर, मुख्य सचिव कार्यालय सहित अन्य विभागों से आने वाली डाक की भी उचित मॉनिटरिंग हो सकेगी. सबसे पहले स्कैन करके डाक को पोर्टल पर चढ़ाया जाएगा. उसके बाद संबंधित अधिकारी को भेजा जाएगा. यदि वह निस्तारण कर देता है तो उसको निस्तारण की कैटेगिरी में चढ़ा दिया जाएगा. इसकी शुरूआत जोगाराम ने झुंझुनूं में कलेक्टर रहते हुए की थी. उसके बाद जोगाराम ने अन्य जिलों में भी इसे लागू किया था.