जयपुर. प्रताप नगर थाना पुलिस की ओर से दशहरे पर दहन से पहले रावण के पुतले को थाने ले जाने के मामले में प्रताप नगर थानाधिकारी महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-5 अदालत में पेश हुए. अदालत ने मामले में 10 नवंबर को फैसला देना तय किया है. पिछली सुनवाई पर थानाधिकारी ने राजस्थान कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के मद्देनजर इंतजामों में व्यस्तता का हवाला देते हुए अदालत में पेश नहीं हुए थे. जिसके बाद अदालत ने उन्हें 9 नवंबर को होने वाली सुनवाई में पेश होने के आदेश दिए थे.
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सुनवाई के दौरान प्रताप नगर थानाधिकारी अदालत में पेश हुए. उन्होंने अदालत को बताया कि दशहरे पर इलाके में धारा 144 लागू होने के चलते रावण के पुतले को धारा 149 के तहत थाने लाया गया था. इस पर अदालत ने कहा कि यदि पुलिस ने कार्रवाई की तो फिर पुतले को जब्त क्यों नहीं किया गया. इसके साथ ही अदालत ने विकास समिति के पदाधिकारियों पर की गई कार्रवाई सहित अन्य बिन्दुओं पर थानाधिकारी से जवाब मांगा, लेकिन थानाधिकारी अपने जवाब से अदालत को संतुष्ठ नहीं कर सके.
अदालत ने रावण के पुतले की रिहाई के मामले में 10 नंवबर को फैसला देना तय किया है. गौरतलब है की प्रताप नगर केंद्रीय विकास समिति की ओर से दशहरे पर 15 फीट का रावण दहन किया जाना था. दहन से पहले ही प्रताप नगर थाना पुलिस ने मौके पर पहुंची और पुतले को अपने साथ थाने ले आई थी. इस पर विकास समिति की ओर से अदालत में प्रार्थना पत्र भेजकर रावण को छुड़वाने की गुहार लगाई गई.
वहीं अदालती आदेश की पालना में प्रताप नगर थाना अधिकारी ने जवाब पेश कर अदालत को बताया था कि उन्होंने न तो रावण को जब्त किया है और ना ही वहां मौजूद लोगों से अभद्रता की है. पुलिस ने सिर्फ कोरोना प्रोटोकॉल की पालना करते हुए रावण के पुतले को थाने में सुरक्षा के लिए रखा था. पुलिस के जवाब का विरोध करते हुए समिति की ओर से अधिवक्ता विकास सोमानी ने कहा था कि बड़े मैदान में पांच लोगों की मौजूदगी से महामारी कानून कैसे टूट सकता है. पुलिस ने यदि रावण को जब्त नहीं किया तो किस कानून के तहत उसे थाने लाया गया. इस पर कोर्ट ने थानाधिकारी को पेश होकर जवाब देने को कहा था.