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जयपुर: मंदिरों के कपाट खुले, आयुर्वेदिक सेनिटाइजर का किया जा रहा प्रयोग

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Published : Sep 8, 2020, 2:51 PM IST

जयपुर में कई छोटे-बड़े मंदिरों के खुलने के बाद परिसर में सिर्फ आयुर्वेदिक सेनिटाइजर का ही प्रयोग किया जा रहा है. एल्कोहल युक्त सैनिटाइजर मंदिर परिसर में प्रतिबंधित हैं. ऐसे में सभी श्रद्धालुओं का परिसर में पहले आयुर्वेदिक सेनेटाइजर से हाथ धुलवाया जाता है, उसके बाद ही दर्शन की अनुमति दी जाती है.

Devotees using Ayurvedic sanitizer in temples
मंदिरों में आयुर्वेदिक सैनिटाइजर का प्रयोग कर रहे श्रद्धालु

जयपुर. राज्य सरकार के आदेशानुसार सोमवार से धार्मिकस्थलों के कपाट खुल गए हैं. लेकिन प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए बड़े मंदिरों के प्रबंधकों ने इसे दर्शनार्थियों के लिए खोलने में असमर्थता जताई है. हालांकि कई छोटे और कुछ बड़े मंदिरों के पट श्रदालुओं के लिए खोल दिए गए हैं. ऐसे में उन मंदिरों में एल्कोहल युक्त सेनिटाइजर का प्रयोग ना हो इसके लिए परिसर में आयुर्वेदिक सेनिटाइजर की व्यवस्था की गई है.

मंदिरों में आयुर्वेदिक सैनिटाइजर का प्रयोग कर रहे श्रद्धालु

शहर में साढ़े पांच माह बाद खुले मंदिरों पर रौनक दिखाई देने लगी है. ऐसे में मंदिरों में एल्कोहल रहित सेनिटाइजर की आवश्यकता को देखते हुए आर्ष संस्कृति दर्शन ट्रस्ट और जुगल किशोर भारद्वाज के द्वारा बड़ी चौपड़ स्थित ध्वजाधीश गणेश मंदिर में नि:शुल्क वितरण किया गया. इस मौके पर गोविंद देव जी मंदिर के प्रबंधक मानस गोस्वामी, सरस निकुंज के प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया, काले हनुमानजी चांदी की टकसाल से योगेश शर्मा, लोहागर्ल गांव से अनु शर्मा, वैद्य युगल किशोर भारद्वाज, गढ़ गणेश मंदिर से रघु मेहता और धर्म प्रचारक विजय शंकर पाण्डेय मौजूद रहे.

यह भी पढ़ें: भीलवाड़ा: भक्तों का भगवान से मिलने का सपना हुआ साकार, कोरोना गाइडलाइन के साथ खुले तमाम मंदिर

धर्मगुरुओं का कहना है कि, बाजार में मिल रहे सेनिटाइजर में 70 फीसदी एल्कोहल होता है. जिससे हाथ सेनिटाइजर करने पर उन पर मदिरा लगेगी. जबकि मंदिर में मदिरा का प्रवेश वर्जित है. इसलिए धार्मिक स्थलों के प्रबंधनों ने अपने स्तर पर आयुर्वेदिक पद्धति से सैनिटाइजर तैयार किया है. ये आयुर्वेदिक सैनिटाइजर एल्कोहल फ्री हैं जिसे फिटकरी, नीम, तुलसी, नींबू, कपूर, लौंग जैसी चीजों से मिलाकर बनाया गया है. इसके बाद मंदिरों में आने वाले भक्तों के हाथ इसी सैनिटाइजर से धुलवाए जा रहे हैं.

जयपुर. राज्य सरकार के आदेशानुसार सोमवार से धार्मिकस्थलों के कपाट खुल गए हैं. लेकिन प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए बड़े मंदिरों के प्रबंधकों ने इसे दर्शनार्थियों के लिए खोलने में असमर्थता जताई है. हालांकि कई छोटे और कुछ बड़े मंदिरों के पट श्रदालुओं के लिए खोल दिए गए हैं. ऐसे में उन मंदिरों में एल्कोहल युक्त सेनिटाइजर का प्रयोग ना हो इसके लिए परिसर में आयुर्वेदिक सेनिटाइजर की व्यवस्था की गई है.

मंदिरों में आयुर्वेदिक सैनिटाइजर का प्रयोग कर रहे श्रद्धालु

शहर में साढ़े पांच माह बाद खुले मंदिरों पर रौनक दिखाई देने लगी है. ऐसे में मंदिरों में एल्कोहल रहित सेनिटाइजर की आवश्यकता को देखते हुए आर्ष संस्कृति दर्शन ट्रस्ट और जुगल किशोर भारद्वाज के द्वारा बड़ी चौपड़ स्थित ध्वजाधीश गणेश मंदिर में नि:शुल्क वितरण किया गया. इस मौके पर गोविंद देव जी मंदिर के प्रबंधक मानस गोस्वामी, सरस निकुंज के प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया, काले हनुमानजी चांदी की टकसाल से योगेश शर्मा, लोहागर्ल गांव से अनु शर्मा, वैद्य युगल किशोर भारद्वाज, गढ़ गणेश मंदिर से रघु मेहता और धर्म प्रचारक विजय शंकर पाण्डेय मौजूद रहे.

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धर्मगुरुओं का कहना है कि, बाजार में मिल रहे सेनिटाइजर में 70 फीसदी एल्कोहल होता है. जिससे हाथ सेनिटाइजर करने पर उन पर मदिरा लगेगी. जबकि मंदिर में मदिरा का प्रवेश वर्जित है. इसलिए धार्मिक स्थलों के प्रबंधनों ने अपने स्तर पर आयुर्वेदिक पद्धति से सैनिटाइजर तैयार किया है. ये आयुर्वेदिक सैनिटाइजर एल्कोहल फ्री हैं जिसे फिटकरी, नीम, तुलसी, नींबू, कपूर, लौंग जैसी चीजों से मिलाकर बनाया गया है. इसके बाद मंदिरों में आने वाले भक्तों के हाथ इसी सैनिटाइजर से धुलवाए जा रहे हैं.

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