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Special: शराब के शौकीन बढ़ाएंगे राजस्व, फिर भरेगा सरकारी खजाना - jaipur news

लॉकडाउन के दौरान जब शराब की दुकानें खुलीं तो शौकीनों की भीड़ लग गई. राशन की दुकानों से ज्यादा लंबी कतार वाइन शॉप पर देखने को मिली. राशन के बाद शायद लोगों को इसी का इंतजार था. राज्य सरकार ने भी बाजारों को खोलने से पहले लॉकडाउन में खाली हुए खजाने को भरने के लिए सबसे बेहतर जरिया इसे ही समझा.

Alcohol sales will increase revenue
शराब की बिक्री से बढ़ेगा राजस्व
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Published : Oct 30, 2020, 10:52 PM IST

जयपुर. कोरोना महामारी के संक्रमण काल के दौरान आम आदमी की आर्थिक स्थिति बिगड़ती गई. इसके साथ ही सरकारी खजाना भी खाली होता गया. ऐसे में पहले लॉकडाउन के बाद सबसे पहले शराब की दुकानों को खोले जाने की परमीशन दी गई. दुकानें खुलते ही छोटी-बड़ी तमाम दुकानों पर शराब के शौकीनों की भीड़ लग गई. सरकार के पास लॉकडाउन के दौरान हुए राजस्व के नुकसान को इसके जरिए पूरा किया जा सकेगा, लेकिन कोई खास लाभ नहीं हुआ.

शराब की बिक्री से बढ़ेगा राजस्व

शराब की बिक्री से अर्जित आबकारी राजस्व राज्य सरकार की आय का प्रमुख स्रोत माना जाता है. लॉकडाउन होने से कुछ दिन के लिए शराब की दुकानों को भी बंद किया गया था जिसके चलते राजस्व में भी भारी गिरावट आई. हालांकि लॉकडाउन में ही शराब की दुकानों को खोलने की इजाजत भी दे दी गई थी. आबकारी अधिकारियों की माने तो स्टूडेंट्स ज्यादातर बीयर का सेवन करते हैं. ऐसे में शिक्षण संस्थान बंद होने की वजह से बीयर की बिक्री काफी कम हुई है. शराब की बिक्री और राजस्व भी काफी प्रभावित हुई है. ठंडी बीयर की बिक्री कोरोना की वजह से भी कम हुई है. राज्य सरकार ने शराब की बिक्री पर अधिभार लगाया है ताकि राजस्व में वृद्धि हो सके.

यह भी पढ़ें: Special: त्योहारी सीजन में बढ़ी बाजारों की रौनक...लौटने लगी व्यापारियों के चेहरे की मुस्कान

आबकारी राजस्व की बात करें तो वर्ष 2019-20 में प्रदेश भर में शराब बिक्री से 9593.60 करोड़ रुपए की आय हुई. अप्रैल से सितंबर महीने में 4161.57 करोड़ रुपए की आय हुई. इसमें अप्रैल में 670.01 करोड़, मई में 857.70 करोड़ रुपए, जून में 648.03 करोड़ रुपए, जुलाई में 779.50 करोड़, अगस्त में 652.15 करोड़, सितंबर में 554.18 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था.

Revenue figures from alcohol
शराब से मिले राजस्व के आंकड़े
वर्ष 2020-21 में पूरे प्रदेश भर में अप्रैल से सितंबर माह तक शराब बिक्री से 4099.87 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है. अप्रैल महीने में 145.17 करोड़ रुपए, मई महीने में 697.01 करोड़ रुपए, जून में 740.22 करोड़, जुलाई महीने में 900 करोड़, अगस्त में 819.13 करोड़, 4 सितंबर महीने में 798.34 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है. पिछले पिछले वर्ष 2019-20 की तुलना 2020-21 से की जाए तो अप्रैल से सितंबर के बीच करीब 61.7 करोड़ रुपए राजस्व कम प्राप्त हुआ है.

यह भी पढ़ें: Special: असमंजस में आतिशबाजी कारोबार, पटाखा व्यापारियों को सरकार की गाइडलाइन का इंतजार

जिला आबकारी अधिकारी सुनील भाटी ने बताया कि कोरोना की वजह से आबकारी विभाग का काम पर भी असर पड़ा है. राजस्व की बात की जाए तो 2 से 3 महीने में अब जाकर राजस्व वापस कवर होने लगा है. उम्मीद है कि मार्च तक राजस्व का वार्षिक टारगेट अचीव कर लिया जाएगा. उन्होंने बताया कि बीयर की बिक्री पर ज्यादा असर पड़ा है. शिक्षण संस्थान बंद होने की वजह से बियर की बिक्री कम हुई है क्योंकि स्टूडेंट्स ज्यादातर बीयर ही पीते हैं. लेकिन अब बिक्री फिर से रफ्तार पकड़ने लगी है. वॉल्यूम पर जरूर फर्क पड़ा है, लेकिन राजस्व को कवर कर लिया जाएगा. कोरोना काल मे शराब बिक्री अधिभार लगने से राजस्व टारगेट पूरा होने की उम्मीद है.

Revenue affected due to lockdown
लॉकडाउन से राजस्व से पड़ा असर

यह भी पढ़ें: Special: फलों से ज्यादा महंगी हुईं सब्जियां, आम आदमी की पहुंच से हुई दूर

आबकारी एसोसिएशन के अध्यक्ष निलेश मेवाड़ा ने बताया कि कोरोना महामारी की वजह से शराब के कारोबार पर काफी असर पड़ा है. पिछले साल की तुलना में इस बार शराब की बिक्री कम हुई है. सरकार की ओर से राजस्व वृद्धि के लिए शराब बिक्री पर अधिभार लगाया गया है. सरकार ने शराब बिक्री पर एडिशनल ड्यूटी चार्ज लगाया है. एडिशनल ड्यूटी 15 प्रतिशत बढ़ाई गई है. कोरोना सेस के नाम से टैक्स लगाया गया है. 10 रुपये और 5 रुपये बोतल पर अधिभार लगाया गया है. बोतल पर 10 रुपये और अद्धे व पव्वे पर 5 रुपये अधिभार लगाया गया है.

शराब कारोबारियों की स्थिति खराब चल रही है. आबकारी विभाग ने कारोबारियों को एसपीएफ पेनाल्टी के नोटिस दिए हैं. इसके संबंध में आबकारी आयुक्त से मुलाकात कर राहत देने की मांग की गई है. पेनाल्टी के विरोध में शराब कारोबारी कोर्ट पहुंचे, जिस पर स्टे भी मिल गया है. आबकारी विभाग से मांग की गई है कि ऐसी परिस्थितियों में पेनल्टी माफ की जाए और आबकारी टैक्स में छूट दी जाए. कई जगह पर सरकार ने करों में छूट दी है, लेकिन शराब व्यापार में कोई छूट नहीं दी गई है. कोरोना के कारण लॉकडाउन होने से एक महीने शराब की दुकानें बंद रहीं, उसकी जो भी लाइसेंस ड्यूटी है, वह वापस मिलनी चाहिए.

जयपुर. कोरोना महामारी के संक्रमण काल के दौरान आम आदमी की आर्थिक स्थिति बिगड़ती गई. इसके साथ ही सरकारी खजाना भी खाली होता गया. ऐसे में पहले लॉकडाउन के बाद सबसे पहले शराब की दुकानों को खोले जाने की परमीशन दी गई. दुकानें खुलते ही छोटी-बड़ी तमाम दुकानों पर शराब के शौकीनों की भीड़ लग गई. सरकार के पास लॉकडाउन के दौरान हुए राजस्व के नुकसान को इसके जरिए पूरा किया जा सकेगा, लेकिन कोई खास लाभ नहीं हुआ.

शराब की बिक्री से बढ़ेगा राजस्व

शराब की बिक्री से अर्जित आबकारी राजस्व राज्य सरकार की आय का प्रमुख स्रोत माना जाता है. लॉकडाउन होने से कुछ दिन के लिए शराब की दुकानों को भी बंद किया गया था जिसके चलते राजस्व में भी भारी गिरावट आई. हालांकि लॉकडाउन में ही शराब की दुकानों को खोलने की इजाजत भी दे दी गई थी. आबकारी अधिकारियों की माने तो स्टूडेंट्स ज्यादातर बीयर का सेवन करते हैं. ऐसे में शिक्षण संस्थान बंद होने की वजह से बीयर की बिक्री काफी कम हुई है. शराब की बिक्री और राजस्व भी काफी प्रभावित हुई है. ठंडी बीयर की बिक्री कोरोना की वजह से भी कम हुई है. राज्य सरकार ने शराब की बिक्री पर अधिभार लगाया है ताकि राजस्व में वृद्धि हो सके.

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आबकारी राजस्व की बात करें तो वर्ष 2019-20 में प्रदेश भर में शराब बिक्री से 9593.60 करोड़ रुपए की आय हुई. अप्रैल से सितंबर महीने में 4161.57 करोड़ रुपए की आय हुई. इसमें अप्रैल में 670.01 करोड़, मई में 857.70 करोड़ रुपए, जून में 648.03 करोड़ रुपए, जुलाई में 779.50 करोड़, अगस्त में 652.15 करोड़, सितंबर में 554.18 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था.

Revenue figures from alcohol
शराब से मिले राजस्व के आंकड़े
वर्ष 2020-21 में पूरे प्रदेश भर में अप्रैल से सितंबर माह तक शराब बिक्री से 4099.87 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है. अप्रैल महीने में 145.17 करोड़ रुपए, मई महीने में 697.01 करोड़ रुपए, जून में 740.22 करोड़, जुलाई महीने में 900 करोड़, अगस्त में 819.13 करोड़, 4 सितंबर महीने में 798.34 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है. पिछले पिछले वर्ष 2019-20 की तुलना 2020-21 से की जाए तो अप्रैल से सितंबर के बीच करीब 61.7 करोड़ रुपए राजस्व कम प्राप्त हुआ है.

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जिला आबकारी अधिकारी सुनील भाटी ने बताया कि कोरोना की वजह से आबकारी विभाग का काम पर भी असर पड़ा है. राजस्व की बात की जाए तो 2 से 3 महीने में अब जाकर राजस्व वापस कवर होने लगा है. उम्मीद है कि मार्च तक राजस्व का वार्षिक टारगेट अचीव कर लिया जाएगा. उन्होंने बताया कि बीयर की बिक्री पर ज्यादा असर पड़ा है. शिक्षण संस्थान बंद होने की वजह से बियर की बिक्री कम हुई है क्योंकि स्टूडेंट्स ज्यादातर बीयर ही पीते हैं. लेकिन अब बिक्री फिर से रफ्तार पकड़ने लगी है. वॉल्यूम पर जरूर फर्क पड़ा है, लेकिन राजस्व को कवर कर लिया जाएगा. कोरोना काल मे शराब बिक्री अधिभार लगने से राजस्व टारगेट पूरा होने की उम्मीद है.

Revenue affected due to lockdown
लॉकडाउन से राजस्व से पड़ा असर

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आबकारी एसोसिएशन के अध्यक्ष निलेश मेवाड़ा ने बताया कि कोरोना महामारी की वजह से शराब के कारोबार पर काफी असर पड़ा है. पिछले साल की तुलना में इस बार शराब की बिक्री कम हुई है. सरकार की ओर से राजस्व वृद्धि के लिए शराब बिक्री पर अधिभार लगाया गया है. सरकार ने शराब बिक्री पर एडिशनल ड्यूटी चार्ज लगाया है. एडिशनल ड्यूटी 15 प्रतिशत बढ़ाई गई है. कोरोना सेस के नाम से टैक्स लगाया गया है. 10 रुपये और 5 रुपये बोतल पर अधिभार लगाया गया है. बोतल पर 10 रुपये और अद्धे व पव्वे पर 5 रुपये अधिभार लगाया गया है.

शराब कारोबारियों की स्थिति खराब चल रही है. आबकारी विभाग ने कारोबारियों को एसपीएफ पेनाल्टी के नोटिस दिए हैं. इसके संबंध में आबकारी आयुक्त से मुलाकात कर राहत देने की मांग की गई है. पेनाल्टी के विरोध में शराब कारोबारी कोर्ट पहुंचे, जिस पर स्टे भी मिल गया है. आबकारी विभाग से मांग की गई है कि ऐसी परिस्थितियों में पेनल्टी माफ की जाए और आबकारी टैक्स में छूट दी जाए. कई जगह पर सरकार ने करों में छूट दी है, लेकिन शराब व्यापार में कोई छूट नहीं दी गई है. कोरोना के कारण लॉकडाउन होने से एक महीने शराब की दुकानें बंद रहीं, उसकी जो भी लाइसेंस ड्यूटी है, वह वापस मिलनी चाहिए.

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