जयपुर. अतिरिक्त जिला न्यायालय क्रम-3 ने बिजली के खंभे की चपेट में आकर करंट लगने से महिला की मौत के मामले में जेवीवीएनएल पर 7 लाख 17000 का हर्जाना लगाया है. अदालत ने दावा पेश करने की तिथि से हर्जाना राशि पर 6 फीसदी ब्याज भी अदा करने को कहा है. अदालत ने यह आदेश मृतका चमेली देवी के परिजनों की ओर से दायर दावे पर सुनवाई करते हुए दिए.
दावे में अधिवक्ता बाबूलाल बैरवा ने अदालत को बताया कि, 21 जनवरी 2015 को भरतपुर की वैर तहसील के ग्राम बासी निवासी महिला चमेली देवी खेत पर काम कर रही थी. वहीं पास ही बिजली के तार लटक रहे थे. इस दौरान चमेली देवी बिजली के खंभे पर बंधी झोंक में आ रहे करंट की चपेट में आ गई और उसकी मौके पर ही मौत हो गई.
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दावे में कहा गया कि, बिजली की लाइन के रखरखाव का दायित्व संबंधित बिजली कंपनी पर था. बिजली कंपनी की लापरवाही से महिला की मौत हुई है. ऐसे में उसके आश्रितों को मुआवजा दिलाया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने जेवीवीएनएल पर 7 लाख 17000 हजार का जुर्माना लगाया है.
निचली अदालतें खुली, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था में कमी
राजस्थान हाईकोर्ट प्रशासन के आदेश की पालना में सोमवार को निचली अदालत खुली. हालांकि 28 जून तक इन अदालतों में सिर्फ अति आवश्यक काम ही किया जाएगा. अदालत खुलने के पहले दिन वकीलों और कर्मचारियों में कोई सोशल डिस्टेंसिंग नहीं दिखी. वहीं न्यायालय प्रशासन की ओर से अदालत आने वालों की जांच के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए.
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हालांकि प्रवेश के लिए सभी दरवाजे बंद कर सिर्फ एक दरवाजे से प्रवेश दिया गया. इस दौरान एक व्यक्ति को स्प्रे की बोतल देकर आने वाले सभी लोगों को सैनिटाइज करने का काम दिया गया, लेकिन वकीलों और कर्मचारियों की संख्या को देखते हुए यह व्यवस्था भी न काफी रही.
गौरतलब है कि, राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ पहले ही कोर्ट प्रशासन को पत्र लिखकर अदालत खुलने पर संक्रमण फैलने का खतरा बता चुका है. इस संबंध में वकीलों का कहना है कि, हाईकोर्ट प्रशासन के साथ ही जिला न्यायालय प्रशासन को पहले पूरे अदालत परिसर को सैनिटाइज करना चाहिए था. इसके अलावा कम से कम कोर्ट आने वाले हर व्यक्ति की तापमान जांच की जानी चाहिए. दूसरी ओर कर्मचारियों का कहना है कि, उनकी ओर से पहले ही कोर्ट को समस्या से अवगत कराया जा चुका है.