जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना काल में जारी लॉकडाउन के चलते हजारों की संख्या में मजदूर एक राज्य से दूसरे राज्य की ओर पलायन कर रहे हैं. कई मजदूरों की हालत तो इतनी बदतर है कि वे नंगे पांव ही तेज दोपहरी में तपती हुई सड़कों पर चलने को मजबूर हैं. पलायन के दर्द के सामने उनके पैरों में पड़े छाले और घाव भी कुछ नहीं हैं. लेकिन ऐसे मजदूरों की पीड़ा को महसूस किया है, जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के एसीपी आदर्श नगर पुष्पेंद्र सिंह ने. विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से एसीपी आदर्श नगर पुष्पेंद्र सिंह ने मजदूरों की मदद करने का जिम्मा उठाया है.
तस्वीरों में आप जिस पुलिस अधिकारी को आत्मीयता के साथ नंगे पांव चल रहे मजदूरों को चप्पल पहनाते हुए और खाने-पीने के लिए अन्य सामान देते हुए देख रहे हैं, वह जयपुर कमिश्नरेट के एसीपी आदर्श नगर पुष्पेंद्र सिंह हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान एसीपी आदर्श नगर पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि काफी लंबे समय से मजदूर पलायन कर रहे हैं और उनके पास पहनने के लिए चप्पल जूते तक नहीं हैं. यहां तक कि बिना कुछ खाए पिए भी मजदूर सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर रहे हैं, जिसे ध्यान में रखते हुए मजदूरों की मदद की जा रही है. मजदूरों को पहनने के लिए जूते-चप्पल, पीने के लिए पानी, खाने के लिए बिस्किट और कुछ कपड़े व अन्य सामान मुहैया करवाया जा रहा है.
बस में बैठाकर दूसरे राज्य की सीमा तक पहुंचाए जा रहे हैं मजदूर
एसीपी आदर्श नगर पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि पैदल जा रहे मजदूरों को रोककर खाना-पानी और अन्य आवश्यक वस्तुएं दी जा रही हैं. साथ ही मजदूरों को रोडवेज बस में बैठाकर उनके राज्यों की सीमा तक पहुंचाया जा रहा है, जिस राज्य से वह मजदूर संबंध रखते हैं.
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राजधानी से गुजरने वाले अधिकतर मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल की तरफ पलायन कर रहे हैं. ऐसे में प्रशासन द्वारा मजदूरों को पैदल न जाकर बसों के माध्यम से विभिन्न राज्यों की सीमा तक पहुंचाया जा रहा है. वहीं यदि किसी मजदूर की तबियत खराब है तो उसका स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जा रहा है.
जयपुर पुलिस निभा रही इंसानियत
एक राज्य से दूसरे राज्य की तरफ पलायन कर रहे मजदूरों के दर्द को समझते हुए जयपुर पुलिस ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए मजदूरों को खाना पीना, कपड़े और जूते-चप्पल उपलब्ध करवाने का काम किया है. नंगे पांव पैदल चल रहे मजदूरों को जब पहनने के लिए जूते चप्पल दिए जाते हैं तो सुकून की एक चमक उनकी निगाहों में साफ दिखाई देती है. हालांकि मजदूरों के दिल में छिपे पलायन के दर्द को तो दूर नहीं किया जा सकता. मगर संकट की इस घड़ी में उनकी सहायता कर दर्द को बांटा जा सकता है. मजदूरों के दर्द को बांटने का काम जयपुर पुलिस बखूबी निभा रही है.